20121106

यश के कुछ अधूरे सपने



हिंदी सिनेमा के किंग आॅफ रोमांस यश चोपड़ा ने 21 अक्तूबर को दुनिया से अलविदा कह दिया. लेकिन अपनी अंतिम विदाई पर उन्हें अपने दर्शकों का भरपूर प्यार मिला. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कम ही होता है कि आम दर्शक अभिनेताओं के साथ साथ निर्देशकों से भी कनेक्ट हो पायें. लेकिन यश चोपड़ा आम दर्शकों के दिलों तक पहुंचनेवाले निर्देशकों में से एक थे. शायद इसलिए क्योंकि उनकी ही फिल्मों ने प्यार की कई परिभाषाएं सिखायीं. शायद यही वजह भी थी कि मीडिया से बहुत कम मुखातिब होनेवाले यश चोपड़ा की अंतिम विदाई पर उनके ुपार्थिव शरीर के दर्शन के लिए आम दर्शकों को नहीं रोका गया. जिस यशराज स्टूडियो को उन्होंने अपनी मेहनत से सींचा. उसी यशराज स्टूडियो में उनके पार्थिव शरीर को भी रखा गया. और उसी स्टूडियो में. स्टूडियो नंबर 4.  जहां एक महीने पहले 27 सितंबर को शाहरुख खान ने अलग अंदाज में यश चोपड़ा के जन्मदिन का जश्न मनाया.यह स्टूडियो हिंदी सिनेमा जगत में ऐतिहासिक माना जायेगा.  यश चोपड़ा फिल्मों में जीते थे. फिल्मों के लिए जीते थे. लेकिन अपने जन्मदिन पर ही उन्होंने घोषणा की थी कि जब तक हैं जान उनकी निर्देशित आखिरी फिल्म होगी. चूंकि अब वह चाहते थे कि वे अपनी पत् नी के साथ वक्त गुजारें. दरअसल, शायद ईश्वर ने उन्हें कहीं से यह संकेत दिया था कि वाकई जब तक हैं जान उनकी आखिरी फिल्म होगी. यश साहब अपने जन्मदिन के अवसर पर स्टेज पर जब शाहरुख के साथ बात कर रहे थे. तो नीचे आगे की पंक्ति में ही उनकी पत् नी पामेला चोपड़ा बैठी थीं. वे यश चोपड़ा की बातें सुन कर बार बार मुस्कुरा रहा थीं. शायद उन्हें खुशी थी कि अब उन्हें अपने पति के साथ कुछ वक्त गुजारने का मौका मिलेगा. लेकिन यश साहब का यह सपना अधूरा रह गया. निस्संदेह उन्होंने अपने जीवन में वे तमाम ख्वाहिशें पूरी कीं. जो वे करना चाहते थे. वे फिल्में ही बनाना चाहते थे. सो, उन्होंने बनायी. लेकिन कुछ सपने जो अधूरे रहे. वे जब तक हैं जान के एक गाने की शूटिंग करने स्वीजरलैंड जाना चाहते थे. लेकिन वे जा नहीं पाये. वे अभी और नये युवा तकनीशियन को काम करते देखना चाहते थे. यशराज में. यशराज की और उन्नति देखना चाहते थे. उन्होंने फिल्मों के दृष्टिकोण से तो लगभग सारी ख्वाहिशें पूरी कीं. शाहरुख खान यश चोपड़ा द्वारा दिया गया सबसे बहुमूल्य तोहफा है बॉलीवुड को.हिंदी सिनेमा ने एक बुजुर्ग को खोया है. एक कल्पनाशील शख्सियत जिसकी हिंदी सिनेमा को जरूरत थीं.

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