माधुरी दीक्षित ने अमेरिका से वापसी करने के बाद बेहद सलीके से फिर से अपने करियर की शुरुआत की है. अपनी इस सेकेंड इनिंग में न केवल उन्होंने अपने काम करने का अंदाज बदला है. बल्कि बदलते दौर के साथ उन्हें यह एहसास हो चुका है कि शायद कि आज मीडिया की कितनी जरूरत है. और अगर मीडिया की जरूरत है तो उन तक बकायदा खबरें पहुंचाने व मीडिया से संपर्क बनाये रखने के माध्यम की भी कितनी जरूरत है. शायद यही वजह है कि वह समय के साथ साथ इतनी प्रोफेशनल हो गयीं कि उन्होंने अपने 27 साल पुराने सेकट्री रिकु राकेश नाथ को भी बाय बाय कह कर, अपना पब्लिक रिलेशन का सारा कार्यभार सलमान खान की पर्सनल सेकट्री रेश्मा को सौंप दिया है. रिकु ने जब माधुरी से कहा कि वह अब भी उनके साथ काम करना चाहते हैं, तो उन्होंने उन्हें रेश्मा शेट्ठी के अंडर में काम करने की सलाह दी. जबकि रिकु पिछले 27 साल से माधुरी के सारे काम को संभालते आ रहे थे. मधुर भंडारकर ने अपनी फिल्म हीरोइन में दरअसल, हीरोइन की जिंदगी को भले ही सतही तौर पर दिखाया हो. लेकिन वर्तमान दौर में एक सेलिब्रिटी की जिंदगी में उसके पीआर की क्या अहमियत होती है. इसका अच्छा चित्रण किया है. आज हर सेलिब्रिटी को अपना नाम चाहिए. वह चाहती हैं कि उनके पी आर वर्तमान में चल रहे वक्त के साथ चले. और वे ज्यादा से ज्यादा उनकी लोकप्रियता के लिए काम करें. खुद माधुरी ने माना है कि पहले जिस तरह का वर्क कल्चर बॉलीवुड में था. अब नहीं है. जाहिर है, उन्हें भी यह एहसास हुआ होगा कि शायद रिकु आज के वक्त के साथ चल पाने में फिट नहीं बैठ रहे. सो, उन्होंने यह रिश्ता तोड़ दिया. दरअसल, हकीकत यही है कि यहां बॉलीवुड में कुछ भी स्थाई नहीं है. यहां वक्त के साथ नीयत और सीरत दोनों बदलती है. वर्तमान में बॉलीवुड में सेलिब्रिटीज से अधिक नखरे उनके पीआर के होते हैं. एक बड़े सुपरस्टार की पीआर ने खुद स्वीकारा है कि क्या स्टोरीज जानी है. यह वह तय करते हैं न कि स्टार्स. खुद आमिर खान ने हाल ही में जब एक पीआर स्टोरी पर मैंने सवाल पूछा कि क्या वह वाकई संदिग्ध हो गये हैं...वे चौंके. फिर जब मैंने उन्हें बताया कि आपकी पीआर की तरफ से यह खबर आयी है तो उन्होंने तुरंत पीआर की बात को सही कह दिया. यह दर्शाता है कि आज सेलिब्रिटिज किस तरह पीआर की कठपुतलियां हैं. और जो पीआर इसमें नाकामयाब हैं. उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है.
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20121121
पीआर की कठपुतलियां स्टार्स
माधुरी दीक्षित ने अमेरिका से वापसी करने के बाद बेहद सलीके से फिर से अपने करियर की शुरुआत की है. अपनी इस सेकेंड इनिंग में न केवल उन्होंने अपने काम करने का अंदाज बदला है. बल्कि बदलते दौर के साथ उन्हें यह एहसास हो चुका है कि शायद कि आज मीडिया की कितनी जरूरत है. और अगर मीडिया की जरूरत है तो उन तक बकायदा खबरें पहुंचाने व मीडिया से संपर्क बनाये रखने के माध्यम की भी कितनी जरूरत है. शायद यही वजह है कि वह समय के साथ साथ इतनी प्रोफेशनल हो गयीं कि उन्होंने अपने 27 साल पुराने सेकट्री रिकु राकेश नाथ को भी बाय बाय कह कर, अपना पब्लिक रिलेशन का सारा कार्यभार सलमान खान की पर्सनल सेकट्री रेश्मा को सौंप दिया है. रिकु ने जब माधुरी से कहा कि वह अब भी उनके साथ काम करना चाहते हैं, तो उन्होंने उन्हें रेश्मा शेट्ठी के अंडर में काम करने की सलाह दी. जबकि रिकु पिछले 27 साल से माधुरी के सारे काम को संभालते आ रहे थे. मधुर भंडारकर ने अपनी फिल्म हीरोइन में दरअसल, हीरोइन की जिंदगी को भले ही सतही तौर पर दिखाया हो. लेकिन वर्तमान दौर में एक सेलिब्रिटी की जिंदगी में उसके पीआर की क्या अहमियत होती है. इसका अच्छा चित्रण किया है. आज हर सेलिब्रिटी को अपना नाम चाहिए. वह चाहती हैं कि उनके पी आर वर्तमान में चल रहे वक्त के साथ चले. और वे ज्यादा से ज्यादा उनकी लोकप्रियता के लिए काम करें. खुद माधुरी ने माना है कि पहले जिस तरह का वर्क कल्चर बॉलीवुड में था. अब नहीं है. जाहिर है, उन्हें भी यह एहसास हुआ होगा कि शायद रिकु आज के वक्त के साथ चल पाने में फिट नहीं बैठ रहे. सो, उन्होंने यह रिश्ता तोड़ दिया. दरअसल, हकीकत यही है कि यहां बॉलीवुड में कुछ भी स्थाई नहीं है. यहां वक्त के साथ नीयत और सीरत दोनों बदलती है. वर्तमान में बॉलीवुड में सेलिब्रिटीज से अधिक नखरे उनके पीआर के होते हैं. एक बड़े सुपरस्टार की पीआर ने खुद स्वीकारा है कि क्या स्टोरीज जानी है. यह वह तय करते हैं न कि स्टार्स. खुद आमिर खान ने हाल ही में जब एक पीआर स्टोरी पर मैंने सवाल पूछा कि क्या वह वाकई संदिग्ध हो गये हैं...वे चौंके. फिर जब मैंने उन्हें बताया कि आपकी पीआर की तरफ से यह खबर आयी है तो उन्होंने तुरंत पीआर की बात को सही कह दिया. यह दर्शाता है कि आज सेलिब्रिटिज किस तरह पीआर की कठपुतलियां हैं. और जो पीआर इसमें नाकामयाब हैं. उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है.
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