21 अक्तूबर को मशहूर निर्देशक यश चोपड़ा का और 25अक्तूबर को कॉमेडी सरताज जसपाल भट्टी का निधन हो गया. उनकी मृत्यु के बाद इसी शुक्रवार उनकी फिल्म पॉवर कट रिलीज हुई और खुद जसपाल भट्टी के परिवारवालों ने फिल्म की स्क्रिनिंग का खास आयोजन किया, जिसमें पंजाब के लगभग सभी चर्चित चेहरे नजर आये. सभी ने अपने दोस्त जसपाल भट्टी को श्रद्धांजलि देते हुए फिल्म की तारीफ की. जसपाल भट्टी के बेटे ह्वील चेयर पर बैठ कर ही थियेटर में आये लेकिन आये. पत् नी की आंखें नम थीं. लेकिन उन्हें गर्व था कि उनके पति की आखिरी फिल्म को दर्शकों का प्यार मिल रहा है. कुछ इसी तरह यश चोपड़ा की पत् नी पामेला चोपड़ा भी अपने पति की अंतिम फिल्म जब तक हैं जान के लिए भव्य प्रीमियर का आयोजन करने जा रही हैं. गौरतलब है कि पिछले कई सालों से यशराज ने फिल्मों के प्रीमियर की परंपरा समाप्त कर दी थी. लेकिन इस बार पामेला चोपड़ा ने तय किया है कि वे अपने पति की आखिरी फिल्म का जश्न मनायेंगी. शोक नहीं. क्योंकि यश भी जिंदगी को जिंदादिली से मनाने में यकीन रखते थे. पामेला ने दोनों बेटों को जिम्मेदारी दे भी दी है. दरअसल, हकीकत भी यही है कि सिनेमा एक ऐसी निरंतर क्रिया है. जो कभी थमती नहीं. राजकपूर ने फिल्म मेरा नाम जोकर में वाकई सर्कस के जोकर के रूप में यह दर्शाया था कि किस तरह ये दुनिया किसी के जाने के बाद थमती नहीं. या उसे थाम कर नहीं रखा जा सकता. जो शो है. उसे चलना ही होगा. स्पष्ट है कि न तो पामेला और न ही जसपाल भट्टी की पत् नी फिलवक्त किसी भी जश्न की स्थिति में हैं. लेकिन इसके बावजूद वे अपने अपने पति को इस माध्यम से प्यार समर्पित करने की कोशिश कर रही हैं. इतने सालों तक अपने पति के साथ रहते हुए आखिर वे भी इस सिनेमा की रीत को समझ चुकी हैं. वे जानती हैं कि चाहे कुछ भी हो जाये द शो मस्ट गो आॅन. राजकपूर ने मेरा नाम जोकर में जोकर राजू के बहाने वाकई बहुत मार्मिक बात दिखाई है. यह जिंदगी सर्कस ही है. अपने पिता की मृत्यु के बावजूद वह लोगों को हंसा रहा है. ठीक उसी तरह जैसे पामेला और जसपाल की पत् नी निभा रही हैं. खुद यश चोपड़ा ने बताया था कि कैसे श्रीदेवी अपने पिता की अंत्येष्टि से तुरंत आकर शूटिंग की थी. परेश रावल की मां का भी सरदार फिल्म के वक्त देहांत हो गया था. लेकिन उन्हें शूटिंग जारी रखनी पड़ी थी. दरअसल, वास्तविकता यही है कि एक कलाकार दुखी होते हुए भी खुशी का मुखौटा पहन कर ही सही लेकिन अपना काम पूरा करता है.
My Blog List
20121106
द शो मस्ट गो आॅन
21 अक्तूबर को मशहूर निर्देशक यश चोपड़ा का और 25अक्तूबर को कॉमेडी सरताज जसपाल भट्टी का निधन हो गया. उनकी मृत्यु के बाद इसी शुक्रवार उनकी फिल्म पॉवर कट रिलीज हुई और खुद जसपाल भट्टी के परिवारवालों ने फिल्म की स्क्रिनिंग का खास आयोजन किया, जिसमें पंजाब के लगभग सभी चर्चित चेहरे नजर आये. सभी ने अपने दोस्त जसपाल भट्टी को श्रद्धांजलि देते हुए फिल्म की तारीफ की. जसपाल भट्टी के बेटे ह्वील चेयर पर बैठ कर ही थियेटर में आये लेकिन आये. पत् नी की आंखें नम थीं. लेकिन उन्हें गर्व था कि उनके पति की आखिरी फिल्म को दर्शकों का प्यार मिल रहा है. कुछ इसी तरह यश चोपड़ा की पत् नी पामेला चोपड़ा भी अपने पति की अंतिम फिल्म जब तक हैं जान के लिए भव्य प्रीमियर का आयोजन करने जा रही हैं. गौरतलब है कि पिछले कई सालों से यशराज ने फिल्मों के प्रीमियर की परंपरा समाप्त कर दी थी. लेकिन इस बार पामेला चोपड़ा ने तय किया है कि वे अपने पति की आखिरी फिल्म का जश्न मनायेंगी. शोक नहीं. क्योंकि यश भी जिंदगी को जिंदादिली से मनाने में यकीन रखते थे. पामेला ने दोनों बेटों को जिम्मेदारी दे भी दी है. दरअसल, हकीकत भी यही है कि सिनेमा एक ऐसी निरंतर क्रिया है. जो कभी थमती नहीं. राजकपूर ने फिल्म मेरा नाम जोकर में वाकई सर्कस के जोकर के रूप में यह दर्शाया था कि किस तरह ये दुनिया किसी के जाने के बाद थमती नहीं. या उसे थाम कर नहीं रखा जा सकता. जो शो है. उसे चलना ही होगा. स्पष्ट है कि न तो पामेला और न ही जसपाल भट्टी की पत् नी फिलवक्त किसी भी जश्न की स्थिति में हैं. लेकिन इसके बावजूद वे अपने अपने पति को इस माध्यम से प्यार समर्पित करने की कोशिश कर रही हैं. इतने सालों तक अपने पति के साथ रहते हुए आखिर वे भी इस सिनेमा की रीत को समझ चुकी हैं. वे जानती हैं कि चाहे कुछ भी हो जाये द शो मस्ट गो आॅन. राजकपूर ने मेरा नाम जोकर में जोकर राजू के बहाने वाकई बहुत मार्मिक बात दिखाई है. यह जिंदगी सर्कस ही है. अपने पिता की मृत्यु के बावजूद वह लोगों को हंसा रहा है. ठीक उसी तरह जैसे पामेला और जसपाल की पत् नी निभा रही हैं. खुद यश चोपड़ा ने बताया था कि कैसे श्रीदेवी अपने पिता की अंत्येष्टि से तुरंत आकर शूटिंग की थी. परेश रावल की मां का भी सरदार फिल्म के वक्त देहांत हो गया था. लेकिन उन्हें शूटिंग जारी रखनी पड़ी थी. दरअसल, वास्तविकता यही है कि एक कलाकार दुखी होते हुए भी खुशी का मुखौटा पहन कर ही सही लेकिन अपना काम पूरा करता है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment