20121127

स्थापित शोज की घटती लोकप्रियता



सलमान खान ने बिग बॉस सीजन 6 का तेवर बदला. उन्होंने इस शो में अपशब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगायी. शो का समय निर्धारित किया. लेकिन अफसोस यह शो इस वर्ष उतनी लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाया. अब बिग बॉस के मेकर्स इसे लोकप्रिय बनाने के लिए वे हर हथकंडे अपना रहे हैं. जिससे शो को कुछ लोकप्रियता मिल जाये. बिग बॉस के घर को पहले तो टूरिज्म के नाम पर प्रमोट किया गया. फिर इस शो में नये नये प्रतिभागियों की एंट्री करवाई जा रही है. तो शो के प्रतिभागियों को मड से बने घरों में कुछ दिन बिताने पड़े. इमाम जैसे प्रतिभागियों को लाकर शो में जबरन रुचि बढ़ाने की कोशिश की जा रही है और अब इस शो में दुनिया की सबसे छोटी महिला बिग बॉस के घर में आ चुकी हैं. मसलन, बिग बॉस वे तमाम कोशिशें कर रहा है. ताकि दर्शकों की रुचि बरकरार रहे. कुछ इसी तरह सोनी टीवी का लोकप्रिय रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति भी इस वर्ष अपनी लोकप्रियता खो रहा है. हालांकि इस वर्ष भी सोनाली मुखर्जी जैसी महिलाओं को लाकर ह्मुमन टच देने की कोशिश की तो जा रही है. लेकिन आम दर्शकों में इस वर्ष केबीसी को लेकर खास उत्सुकता नहीं है. दरअसल, हकीकत यह है कि ये तमाम शो हर वर्ष अपने नये कलेवर में आने की कोशिश तो करते हैं. नये सीजन का इन्हें नाम तो मिलता है. लेकिन शो का अंदाज बहुत हद तक एक सा होता है और यही वजह होती है कि दर्शक भी इस तरह के शो से बोर हो जाते हैं. निस्संदेह पिछले कई सालों से केबीसी और बिग बॉस ने कामयाबी हासिल की. लेकिन वे सारे सीजन कुछ न कुछ नया लेकर आते थे या यह भी कहा जा सकता है कि बिग बॉस व केबीसी ने अपना सर्वश्रेष्ठ अब दे दिया है. अब ऐसे शोज पर विराम लगना चाहिए. रामायण, महाभारत के भी सीक्वल आज भी टेलीविजन पर दिखाये जा रहे हैं.कुछ महीनों पहले मेरी सिद्धार्थ काक से बात हुई थी. सिद्धार्थ काक सुरभि जैसे शो के रचयिता थे. मैंने उनसे पूछा कि वे सुरभि का सीक्वल या नया सीजन लेकर क्यों नहीं आये. उन्होंने मार्के की बात कही थी कि कुछ चीजें एक बार हो तो उसका एहसास जिंदगी भर रह जाता है. जो माइलस्टोन बन चुके होते हैं. उन पर बार बार रगड़ दी जायेगी तो वे भी आम पत्थर हो जायेंगे. सुरभि आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है, क्योंकि उसका कोई सीक्वल नहीं बना. वह स्थापित रहेगा. सिद्धार्थ की यही बात काश, टेलीविजन के मेकर्स को भी समझ आये और वे कुछ नये प्रयोग करने की सोचें. न कि पुराने शोज को दोहराते रहे.

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