आज के दौर के किंग आॅफ रोमांस शाहरुख खान आज 47 वें बसंत में प्रवेश कर रहे हैं. वास्तविकता में शाहरुख खान के जन्मदिन में बसंत शब्द का इस्तेमाल न सिर्फ प्रासंगिक है. बल्कि उचित भी है. चूंकि शाहरुख ही किंग आॅफ रोमांस हैं और रुमानी जीवन में, रुमानी लोगों की जिंदगी में बसंत महीने का खास महत्व है. इस लिहाज से शाहरुख के साथ बसंत की उपाधि फिट बैठती है. इसी महीने उनकी बहुचर्चित व बहुप्रतिक्षित फिल्म जब तक हैं जान रिलीज हो रही है. यह फिल्म उसी निर्देशक की फिल्म है, जिन्होंने शाहरुख खान को किंग आॅफ रोमांस की उपाधि दिलायी. यश चोपड़ा. हाल ही में जब तक हैं जान फिल्म से संबंधित एक कार्यक्रम में जब शाहरुख से पूछा गया कि वे आज भी हिंदी सिनेमा के किंग आॅफ रोमांस माने जाते हैं और वे किसी तरह सिनेमा में रोमांस को जिंदा रखना चाहेंगे तो उनका जवाब था कि वे हिंदी सिनेमा के किंग आॅफ रोमांस शम्मी कपूर, राजेश खन्ना को मानते हैं. खुद को नहीं. दरअसल, हकीकत भी यही है कि पिछले कई सालों से हिंदी सिनेमा में रोमांस पर लगातार फिल्में बनती तो आ रही हैं. लेकिन जो रुमानियत, प्रेम को परदे पर उतारने और निभाने में शम्मी कपूर, राजेश खन्ना या देव आनंद साहब माहिर थे. वे रुमानियत आज खो चुकी है. शाहरुख खान भी लंबे अरसे के बाद रोमांटिक फिल्म में नजर आ रहे हैं. जबकि शाहरुख यह अच्छी तरह जानते हैं कि वे प्रेम की परिभाषाओं को परदे पर उतारने में माहिर रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद वे धाराप्रवाह में बह कर वे फिल्में करने लगे. जिसमें वे फिट हैं ही नहीं. वे रा. वन में बड़ी बड़ी बिल्डिंग में सुपरमैन की तरह करतब दिखाने लगे. जबकि दर्शक आज भी उन्हें सरसो के खेत में या स्वीजरलैंड की गलियों में प्रेम गीत गाते देखना चाहते हैं. वे डॉन बन कर अपनी प्रेमिका को जंगली बिल्ली कह कर पुकारने लगे. जबकि लोग उन्हें आज भी क...क किरण और आइ लव यू सिमरन कहते हुए सुनना चाहते हैं. वे डॉन की परिभाषा देने में व्यस्त हो गये थे. जबकि लोग आज भी उनसे दिल तो पागल है, कुछ कुछ होता के राहुल की तरह प्यार और दोस्ती की परिभाषा देते हुए सुनना चाहते हैं. यह सच है कि हर एक्टर को हर तरह की फिल्में करनी चाहिए. लेकिन यह भी सच है कि शाहरुख ने प्रेम विधा में भी विभिन्नता दी है तो फिर उन्हें वैसी ही फिल्में करती रहनी चाहिए. आज भी शाहरुख को जेम्स बांड बनने इच्छा है. जबकि लोग उन्हें राज के रूप में ही देखना चाहते हैं. संभवत: शाहरुख इस बात को समझ पायें.
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20121106
किंग आॅफ रोमांस का 47वां बसंत
आज के दौर के किंग आॅफ रोमांस शाहरुख खान आज 47 वें बसंत में प्रवेश कर रहे हैं. वास्तविकता में शाहरुख खान के जन्मदिन में बसंत शब्द का इस्तेमाल न सिर्फ प्रासंगिक है. बल्कि उचित भी है. चूंकि शाहरुख ही किंग आॅफ रोमांस हैं और रुमानी जीवन में, रुमानी लोगों की जिंदगी में बसंत महीने का खास महत्व है. इस लिहाज से शाहरुख के साथ बसंत की उपाधि फिट बैठती है. इसी महीने उनकी बहुचर्चित व बहुप्रतिक्षित फिल्म जब तक हैं जान रिलीज हो रही है. यह फिल्म उसी निर्देशक की फिल्म है, जिन्होंने शाहरुख खान को किंग आॅफ रोमांस की उपाधि दिलायी. यश चोपड़ा. हाल ही में जब तक हैं जान फिल्म से संबंधित एक कार्यक्रम में जब शाहरुख से पूछा गया कि वे आज भी हिंदी सिनेमा के किंग आॅफ रोमांस माने जाते हैं और वे किसी तरह सिनेमा में रोमांस को जिंदा रखना चाहेंगे तो उनका जवाब था कि वे हिंदी सिनेमा के किंग आॅफ रोमांस शम्मी कपूर, राजेश खन्ना को मानते हैं. खुद को नहीं. दरअसल, हकीकत भी यही है कि पिछले कई सालों से हिंदी सिनेमा में रोमांस पर लगातार फिल्में बनती तो आ रही हैं. लेकिन जो रुमानियत, प्रेम को परदे पर उतारने और निभाने में शम्मी कपूर, राजेश खन्ना या देव आनंद साहब माहिर थे. वे रुमानियत आज खो चुकी है. शाहरुख खान भी लंबे अरसे के बाद रोमांटिक फिल्म में नजर आ रहे हैं. जबकि शाहरुख यह अच्छी तरह जानते हैं कि वे प्रेम की परिभाषाओं को परदे पर उतारने में माहिर रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद वे धाराप्रवाह में बह कर वे फिल्में करने लगे. जिसमें वे फिट हैं ही नहीं. वे रा. वन में बड़ी बड़ी बिल्डिंग में सुपरमैन की तरह करतब दिखाने लगे. जबकि दर्शक आज भी उन्हें सरसो के खेत में या स्वीजरलैंड की गलियों में प्रेम गीत गाते देखना चाहते हैं. वे डॉन बन कर अपनी प्रेमिका को जंगली बिल्ली कह कर पुकारने लगे. जबकि लोग उन्हें आज भी क...क किरण और आइ लव यू सिमरन कहते हुए सुनना चाहते हैं. वे डॉन की परिभाषा देने में व्यस्त हो गये थे. जबकि लोग आज भी उनसे दिल तो पागल है, कुछ कुछ होता के राहुल की तरह प्यार और दोस्ती की परिभाषा देते हुए सुनना चाहते हैं. यह सच है कि हर एक्टर को हर तरह की फिल्में करनी चाहिए. लेकिन यह भी सच है कि शाहरुख ने प्रेम विधा में भी विभिन्नता दी है तो फिर उन्हें वैसी ही फिल्में करती रहनी चाहिए. आज भी शाहरुख को जेम्स बांड बनने इच्छा है. जबकि लोग उन्हें राज के रूप में ही देखना चाहते हैं. संभवत: शाहरुख इस बात को समझ पायें.
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