ऑटो मीटर
क्या खूब बदले तुमने भी अपने तेवर
न चाहते हुए भी अकसर तुम्हारी बक बक सुना करती थी,
कलिना से अँधेरी तक सिग्नल पर
जब तुम फंस जाते थे
टप टप पसीने बहते थे
मैं भी तो थक के चूर हुआ करती थी
तुमने ब्रेकर्स पे मुझे कितने ब्रेक दिये
मेरे क्रोकरी
के कितने बर्तन क्रैक किये
"ओवर नाईट" काम मैं करती लेकिन
"नाईट चार्ज" कमाते तुम थे
तुमने कई बार " Don't Touch Me "कहकर धमकाया
फिर भी हमें कभी गुस्सा न आया।
मेरी जेब ( ऑटो का किराया देकर ) हो रही है खाली
और तुम खरीद रहे हो नवी मुंबई में फ़्लैट 2 रूम किचन वाली
लगातार तुम करते रहे मनमानी
हमने फिर भी तुम्हारी हर जिद्द मानी
लेकिन हर हठ( जिद्द ) की भी होती है हद
मेरे दिल में हाँ मेरे दिल में घट चुका है तुम्हारा कद
जाओ अब सच में नहीं आता है तुम पर प्यार
तुम्हें देख कर आता है रेड बुखार
अगर तेरा है ये इमोशनल अत्याचार
तो जाओ मैं भी करुँगी अबसे प्रोफेशनल रूप इखितियार।
ये बदलाव कैसा ? अच्छा लगा
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