यश चोपड़ा ने शाहरुख खान को किंग आॅफ रोमांस बनाया, और उनकी आखिरी फिल्म जब तक है जान भी रोमांटिक फिल्म रही. शाहरुख मानते हैं कि ये फिल्म उनके लिए हमेशा खास रहेगी. जब तक है जान में अपने किरदार और उनसे जुड़े खास पहलुओं पर शाहरुख खान से अनुप्रिया अनंंत से विशेष बातचीत की.
शाहरुख हमेशा यश चोपड़ा के करीबी रहे. वे हम उम्र न रहते हुए भी अच्छे दोस्त रहे. क्योंकि दोनों की जिंदगी में प्रेम की खास जगह थी.
शाहरुख, ऐसी क्या बातें थीं, जिसने आपको और यशजी को एक दोस्त भी बनाया. आप दोनों में एक अलग सा रिश्ता था?
हां, यह सच है कि हम दोनों में ऐसी कुछ बात तो थी जिसने हमें एक अच्छा दोस्त बना दिया. मुझे लगता है कि हम दोनों जिंदगी को एक ही नजरिये से देखते थे. हम हमउम्र नहीं थे. लेकिन सोच में हम दोनों ही जवां थे. यशजी भी जिंदगी को सेलिब्रेशन मानते थे. मैं भी मानता था. हम दोनों मानते थे कि काम को मजे लेकर करो. अच्छी नहीं बनी. और नहीं चली तो यह तो बाद की बात है. लेकिन जब काम करो तो माहौल को खास रखो. खुशमिजाज रखो. शायद यही वजह थी कि हम दोनों में पहली फिल्म से ही दोस्ती हो गयी थी. मुझे याद है. जब फिल्म डर रिलीज हो रही थी. उस वक्त कहीं न कहीं मन में यह बात थी कि फिल्म का नायक नेगेटिव किरदार का है. पता नहीं लोग उसे पसंद करेंगे कि नहीं. मैं तो उस वक्त नया था. लोगों से बात नहीं करता था. राज कमल थियेटर में जब हम गये थे और हमने फिल्म देखी और वहां के लोगों का रिस्पांस देखा था तो वह तो कमाल का था. उस वक्त से लेकर आज तक यश जी कहते थे हमेशा अपनी रिलीज के बाद. अगर दर्शकों को फिल्म पसंद आ गयी तो. लगता यार ऊपरवाले ने कुछ अच्छा कर दिया. मजा आ गया यार. लोगों को काम पसंद आ गयी. तो मुझे लगता कि काम को तनाव न लेकर बिजनेस न समझ कर हम दिल से करते थे. क्योंकि यशजी टेक्नीकल डायरेक्टर नहीं थे और मंै टेक्नीकल एक्टर नहीं था. दोनों ही इमोशन को महत्व देते हैं. निजी जिंदगी में भी और परदे पर भी.
तो आप मानते हैं कि यही वजह रही है कि अब तक यशजी के साथ बनी आपकी सारी फिल्में इसलिए सफल रहीं.
हां, मुझे लगता है कि ऊपरवाला भी जब कोई अच्छी चीज करने जाता है. तो ये चीजें मेल खाती हैं. मैंने यशजी के साथ डर के बाद लगातार काम किया है और सभी लोगों को पसंद आयी क्योंकि हम दोनों का जो अप्रोच था फिल्म को लेकर वह काफी भावनात्मक होता था. हुमन टच होता था. यशजी हमेशा कहा करते थे. डर के बाद से ही वे मुझसे कहते कि शाहरुख देख मैं लव स्टोरी नहीं बनाता. मैं ह्मुन रिलेशनशिप पर फिल्में बनाता हूं. और इस रिलेशनशीप में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका प्यार निभाता है. इसलिए शायद प्यार पर आधारित फिल्में लोगों को पसंद आती हैं.
आप काफी लंबे अरसे के बाद रोमांटिक फिल्म कर रहे हैं. क्या फर्क आया है. इन कुछ सालों में प्यार के मायने बदले हैं क्या ? आपका नजरिया.
मुझे लगता है कि प्यार की इंटेनसिटी नहीं बदलती. एक्सप्रेशन बदल जाता है. हां, यह जरूर है कि अब प्यार करने के तरीके में बदलाव आया है. अब जैसे प्रेम कहानी में कोई देवदास नहीं बनना चाहेगा न लड़का, न लड़की. अब प्यार में थोड़ा समर्पण जैसा भाव नहीं रह गया है. अपनी अपनी सोच और शर्त के अनुसार प्यार करने लगे हैं. लेकिन इससे प्यार के मायने नहीं बदले हैं. तब भी प्यार दो लोगों के मन की बात कहता था. अब भी वैसी ही बातें हैं.
क्या आपको टीएज उम्र के प्यार और मैच्योर प्यार में कोई अंतर नजर आता है? किस उम्र का प्यार अधिक परिपक्व होता है.
सबसे पहले तो मैं कहना चाहंूगा कि प्यार कि कोई उम्र नहीं होती. टीनएज में जो प्यार करेगा उसके दिखाने और जताने का तरीका अलग होगा. जो टीनएज का प्यार है. हो सकता है कि उसमें लड़का या लड़की प्रपोज करे तो गुलाब देकर या प्रेमपत्र देकर इजहार करे. वही मैच्योर प्रेम कहानी में भी प्यार है. लेकिन तरीका बदल जाता है. मुझे ये लगता है कि प्यार के एक्सप्रेशन बदल जाते हैं. जो व्यक्ति उठ कर आॅफिस जाता है. वह भी तो प्यार करता ही है अपनी पत् नी से. लेकिन रिस्पांसिबिलिटी के साथ वह अपने प्यार को कम वक्त दे पाता है. तो बस फर्क इतना सा है.
हर प्रेम कहानी में बाधाएं होती ही हैं. कम से कम हिंदी फिल्मों में तो हमने यही देखा है? तो जब तक है जान की कहानी किस तरह की है. किस तरह की बाधाओं से इस फिल्म के किरदार समर और मीरा रूबरू होते हैं.
बिल्कुल, इस प्रेम कहानी में भी आॅबस्टकल हैं. जिस तरह आपने कहा कि हर कहानी में कोई न कोई बाधा होती ही है. कभी पापा डॉन जैसा होता है. कभी अमीरी गरीबी. तो कभी कुछ. इस फिल्म की यूएसपी यही है कि इस फिल्म में प्यार का जो आॅबस्टकल है. वह बिल्कुल अलग सा है. अब तक शायद ही किसी फिल्म में ऐसा आॅबस्टकल दिखाया गया हो. तो, आप देखेंगे कि प्यार का यह भी एक नया स्वरूप दर्शकों के सामने आयेगा.यहां समर और मीरा की भी अपनी समझ है.
आपकी समझ से किसी प्रेम कहानी में वास्तविक जिंदगी में भी वे कौन कौन सी बातें हैं जो एक प्यार को पूरा बनाते हैं.
मुझे लगता है कि यह खुद पर नाज की बात होती है कि आपसे कोई बेइतहां प्यार करता है या आप किसी को बेइतहां प्यार करते हैं. इस विश्वास और इसी भावना की वजह से प्रेम कहानी खास प्रेम कहानियां बनती हैं. प्यार के लिए यह भावना बहुत जरूरी है कि आप किसी के लिए खास हैं. आपके लिए कोई खास है.
यशजी को फिल्म की शूटिंग के दौरान सबसे ज्यादा किन बातों को एंजॉय करते थे.
पैकअप और खाना. वे हमेशा कहते कि अरे फटा फट काम कर ओये और खाना खाते थे. खाने के शौकीन थे. उन्हें हर वे दृश्य जो काफी इमोशनल हो. उन्हें फिल्माना बहुत अच्छा लगता था.
शाहरुख लोग आपको किंग आॅफ रोमांस मानते हैं. आपको क्या लगता है क्या वजह रही होगी कि आप लोगों से उस रूप में कनेक्ट कर पाते हैं. चूंकि हर कोई मानता है कि रोमांस सबसे कठिन जोनर है.
मेरा जिंदगी का जो एक्सपीरियंस रहा है. मुझे लगता है कि उसकी वजह से मैं काफी भावनात्मक रहा हूं. मेरी जिंदगी में हमेशा औरतों का महत्व रहा है. मैं अपनी नानी के घर में इकलौता लड़का था. न मेरी मासी को न मेरे किसी भी परिवार के किसी भी सदस्य को लड़का था. सो, मुझे घर की महिलाओं से बेहद प्यार मिलता था. साथ ही मेरे पिता की जल्दी मौत हो जाने के बाद मैं मां के साथ रहा. मैं घर की जिम्मेदारी समझ गया. एक रिस्पांसिबल लड़का रहा. इमोशनल लड़का रहा. मैं कभी लड़कों के साथ ज्यादा नहीं रहा. दिल्ली के लड़कों के साथ सड़कों पर नहीं घूमा.कभी अड्डेबाजी नहीं की. माचो मैन नहीं रहा मैं. तो वह सॉफ्टनेस मेरे अंदर रही है हमेशा, पहले मां, फिर बहन के साथ वक्त गुजारा. फिर पत् नी आयी. फिर मेरी बेटी. मुझे मेरी बेटी बहुत प्यारी है. मैं बेटे को भले ही तू कह दूं बेटी को आप ही कहता हूं. क्योंकि मैं महिलाओं की तहे दिल से इज्जत करता हूं. तो मुझे लगता है कि महिलाओं के साथ रहने की वजह मुझमें ममता का भाव बहुत ज्यादा रहा है. और यही बात लोगों को मेरे किरदार करते वक्त नजर आती है. और वे मुझे पसंद करते हैं. मैं खुद जब रोमांटिक फिल्में करता हूं तो लगता है कि जिंदगी का हिस्सा जी रहा हूं. सो, मैं भी इसमें अपना परफेक्ट दे पाता हूंू.
तो फिर आपने रोमांटिक फिल्मों से दूरी क्यों बना ली थी.
नहीं ऐसा नहीं है. दरअसल, मैं एक साल में दो फिल्मों से ज्यादा नहीं कर सकता. दो या तीन फिल्मों से. हां, यह जरूर था कि मैं जब रोमांटिक फिल्में करना चाहता हूं तो यश चोपड़ा के साथ, करन जौहर के साथ. आदित्य के साथ करना चाहता हूं. क्योंकि ये उनका जॉनर है. वे इसमें वे अपना अलग प्रोसपेक्ट दिखा पाते हैं. कह सकते हैं कि वे इसके महारथी हैं. इम्तियाज अली की लव स्टोरीज मुझे पसंद आती है.वे प्रेम का एक अलग ही नजरिया स्थापित करते हैं फिल्मों को लेकर. तो सोचता हूं कि अब ये फिल्म करना है तो इनके साथ करूं. माइ नेम इज खान भी लव स्टोरी थी. वो कर चुका था. तो फिर थोड़ा ब्रेक दिया. इस बीच यश जी ने कह रखा था कि वे फिल्म लिख रहे हैं. उस वक्त मैं विशाल की एक फिल्म सुन रहा था. तो यशजी को लगा कि मैं लव स्टोरी कर रहा हूं तो उन्होंने मुझसे कहा कि शाहरुख मैं भी लिख रहा हूं. तो मैंने उनसे कहा कि हां, हां, यश जी मैं आपके साथ करूंगा. हालांकि विशाल की फिल्म लव स्टोरी थी भी नहीं. इस बीच यशजी ने मुझे एक कहानी सुनाई भी थी. उसमें भी आर्मी आॅफिसर का किरदार था. लेकिन वो फिल्म बन नहीं पायी, शायद वहां से ही यशजी ने वह किरदार आर्मी आॅफिसर वाला इधर शिफ्ट किया. मैं वैसे हर तरह की फिल्में करना चाहता हूं. डॉन, रा.वन जैसी फिल्मों में भी एंजॉय करता हूं अपने किरदार को. वैसे भी मैं जॉनर से अधिक किरदार और अभिनय को अहम मानता हूं.
यशजी के लिए यह फिल्म क्या मायने रखती थी. क्या वाकई उन्होंने तय कर लिया था कि वे फिल्म नहीं बनायेंगे.
यश जी के लिए उनकी हरर फिल्म अहम थी. हां, जब इस फिल्म की शूटिंग खत्म हुई तो उन्होंने मुझसे कहा कि यार तुम तो कल से दूसरी फिल्म में व्यस्त हो जाओगे. यार मुझे लगता है कि मुझे अब फिल्म नहीं बनानी चाहिए. क्योंकि अब वक्त मुझसे बहुत आगे निकल गया है. तो मुझे लगा मजाक कर रहे हैं. क्योंकि यशजी ने वीर जारा के वक्त भी कहा था. तो मैंने सोचा उन्हें मना लूंगा. वैसे भी उ्यकी आदत थी. वे तीन साल में एक फिल्म बनाते थे. पहले एक फिल्म सोची. लिखी. बनाई. रिलीज की. फिर 6 महीने तक आराम. ये नहीं कि एक के साथ दूसरी पर भी काम कर रहे थे. लेकिन मेरे लिए भी शॉकिंग था कि उन्होंने अपने जन्मदिन पर कह दिया कि वे नहीं बनायेंगे फिल्म. उनके लिए यह फिल्म हमेशा यादगार इसलिए रहती, जो उन्होंने मुझसे कहा था कि एक बार फिर से एक नयी लव स्टोरी लोगों को दिखा पायेंगे. जो लोग उनसे उम्मीद भी करते थे. उन्होंने वर्षोँ पहले मार धाड़ वाली फिल्में बनानी बंद कर दी थी. वे हमेशा चाहते थे कि जो इमोशन है वो लोगों में जिंदा रह सके. लेकिन उन्हें लगता था कि शायद अब लव स्टोरीज के भी मायने बदले हैं , लेकिन बात तो माननी होगी वे इस उम्र में भी जवां सोच रखते थे. वे सोचते थे कि जिस उम्र का समर का किरदार है. किस तरह सोचता होगा. क्या करता होगा. और वक्त के साथ उन्होंने फिल्म जब तक है जान की स्क्रिप्ट भी सोची है. आपको लगेगा कि आज की कहानी है. यह एक खास बात थी उनमें.
कोई खास योजना थी फिल्म के प्रमोशन को लेकर उनकी.
मैंने पहले भी कहा वे प्रमोशन जैसी चीजों पर नहीं, बल्कि बस संडे तक का इंतजार करते थे. फिल्म हिट होती तो फोन करके कहते हैं. हमने कुछ अच्छा किया है यार. लोगों को पसंद आ गयी है चीजें.
शाहरुख क्या आपको लगता है कि अगर यशजी होते तो जो सन आॅफ सरदार के साथ इस फिल्म के विवाद हो रहे हैं. वे होने देते.
बिल्कुल नहीं., क्योंकि वे पूरी इंडसट््री को अपना बच्चा मानते हैं. वे चाहते थे कि सबकी फिल्म चले. सब काम करें.
शाहरुख आपकी फिल्मों में आप जब भी रुमानी हीरो बन कर आये. लोग आपकी उम्र भूल जाते हैं. सिर्फ अभिनय को ध्यान में रखते हैं.
मुझे लगता है कि यह निर्देशक की सोच का कमाल है. निर्देशक यह मानकर चलते हैं कि पहला प्यार जवानी के दिनों में ही होगा और प्यार जब भी हो जवां रहेगा. शायद इसलिए वे उस उम्र में ही दिखाते हैं मुझे. दिल तो पागल है, कुछ कुछ होता है में, लगभग मेरी सभी फिल्मों में मेरे वास्तविक उम्र को नहीं दिखाया गया है. इस फिल्म में भी मैं 30-32 साल का हूं. मुझे लगता है कि प्रेम कहानियां बनानेवाले निर्देशकों की दिल भी जवां रहता है और वो उसी तरह से सोच पाते हैं.
जब तक है जान वे कौन सी चीजें हैं जो आप करना चाहेंगे?
मैं एक्टिंग करते रहना चाहंूगा और अपने परिवार के साथ ताउम्र बिताना चाहूंगा. जब तक है जान अपने परिवार का ख्याल रखूंगा.
आपकी आनेवाली फिल्में
चेन्नई एक्सप्रेस है. वह रोमकोम फिल्म है. फिर फराह की फिल्म हैप्पी न्यू ईयर. हैप्पी न्यू ईयर हमने बहुत पहले लिख ली थी. लेकिन उस वक्त मैं उतना मैच्योर नहीं था. तो मैं चाहता था कुछ सालों बाद बनाऊं. अब लगता है कि सही वक्त आ चुका है तो उस फिल्म पर काम कर रहा हूं.
BEAUTIFUL ANALYSIS
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