दर्शकों को आमिर का दीदार साल में एक बार ही होता है. लेकिन उनके काम का असर लंबे समय तक बरकरार रहता है. शायद यही वजह है कि आमिर की भी पूरी कोशिश रहती है कि वे जब भी परदे पर आयें. नये अवतार में आयें. नया विषय लेकर आयें. इस बार भी वे फिल्म तलाश से दर्शकों से रूबरू होने जा रहे हैं. तलाश आमिर की पहली सस्पेंस थ्रीलर होगी.
आमिर, बॉलीवुड में आप जल्द ही अपने करियर के 25 साल पूरे करने वाले हैं. फिर सस्पेंस थ्रीलर की फिल्म जाकर अब क्यों की? क्या इससे पहले कोई स्क्रिप्ट पसंद नहीं आयी थी. या कोई और खास वजह रही?
हां, यह सच है कि मैं जल्द ही इंडस्ट्री में अपने 25 साल का सफर पूरा करनेवाला हूं. और इन 25 सालों में. शुरुआती दौर को छोड़ दूं तो मेरी हर बार यही कोशिश रही है कि मैं दर्शकों को कुछ नया जरूर दूं. आप मेरी शुरू से लेकर अब तक की सारी फिल्मों को देख लें. आपको हर फिल्म में मैं अलग नजर आऊंगा. कोई किसी से मैच नहीं करता. जबकि बॉलीवुड में तो अब भी आप बाकी कलाकारों को देख लें. तो उन्होंने सारे काम एक ही जॉनर के किये हैं. लेकिन मैंने हमेशा नया करने की सोची. न सिर्फ मैंने अपने फिल्म की कहानियों को अलग तरह से दर्शाई है. बल्कि मैंने अपने लुक में भी कभी एकरसता नहीं लायी. यार, मैं तो यह बात बिल्कुल मानता हूं कि एक्टर हूं तो काम करूं न कुछ अलग अलग़ ,मुझसे एक जैसा काम हो ही नहीं सकता. रीमा ने जब मुझे यह कहानी सुनायी. तो मैं इसमें दिल से इनवॉल्व हो गया था. मुझे फिल्म में वह दिल नजर आ रहा था. और मैं स्क्रिप्ट का दिल ही देखता हूं. मुझे तलाश के किरदार इंटरेस्टिंग लगे. रीमा और जोया ने जिस तरह डेवलपेंट किया है. वह प्लॉट अच्छा है. अलग तरह का सस्पेंस है. सस्पेंस को जिस तरह से डेवलप किया है. जितने लेयर्स हैं. वह फिल्म की कहानी को कहीं और ले जाते हैं. आमतौर पर सस्पेंस फिल्मों में बहुत ज्यादा जज्बात नहीं होता. इस फिल्म में वह जज्बात भी है. इमोशन भी है और सस्पेंस भी है. जब रीमा मुझे कहानी सुना रही थी. नैरेट कर रही थी. मैं इन्वॉल्व हो गया था उसमें. तो. मुझे यह सस्पेंस इंगेजिंग काइंड आॅफ जर्नी लगी. यूं तो सस्पेंस की कई कहानियां आयी हैं. लेकिन वे सस्पेंस थ्रीलर होकर रह जाती है. तलाश में कुछ अलग बात होगी. जो आप देखेंगे तो खुद समझ जायेंगे.
फिल्म में आपके किरदार के बारे में थोड़ा बताएंगे?
देखिए, यह फिल्म चूंकि सस्पेंस थ्रीलर है. तो किरदार के बारे में तो बहुत नहीं बता सकता. लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि हर हर वक्त अपने किसी अपने को खोने के डर से ग्रसित रहते हैं या हर किसी ने जिंदगी में किसी न किसी अपने को खोया है. यह डर हमेशा बना रहता है. लेकिन उस डर के साथ स्थिति के साथ समझौता करके आगे बढ़ना. लेकिन दिल में कहीं बुरी तरह अकेलापन महसूस करना. यह फिल्म की कहानी का अहम पहलू है. यही हर्ट आॅफ द स्टोरी है. फिल्म में ऐसा नहीं है कि कोई मार धाड़ हो रहा है. और अचानक पता चलता है. अच्छा तो हम जैसा सोच रहे थे. वैसा नहीं है. मुझे इस फिल्म में कई लेयर्स नजर आ रहे हैं और उम्मीद करता हूं कि दर्शक उन्हें पसंद करेंगे.
अपनो को खोने का डर क्या आपको कभी ऐसा डर लगता है ? आप क्या कभी व्यक्तिगत एहसास से गुजरे हैं.
जी हां, मैं गुजरा हूं. और मुझे लगता है कि हर कोई गुजरा है. मैं तो खुद ही बहुत फिक्रमंद रहता हूं. हर वक्त मुझे मेरे परिवार की फिक्र लगी रहती है. जब मैं फ्लाइट से उतरता हूं तो अचानक किरन का मेसेज आता है कि फोन करो, तो मैं बहुत डर जाता हूं कि सबकुछ ठीक ठाक तो है न. कभी मैं दब शूटिंग कर रहा होता हूं तो मेरे परिवार को पता है कि मुझे डिस्टर्बएंस पसंद नहीं. लेकिन उनका मेसेज आता है कि फोन करो. तो मैं डर जाता हंू कि खुदा न खास्ते कहीं कुछ बुरा तो नहीं हुआ है. मैं डरता हूं इन चीजों से. तो इस किरदार में भी मुझे ऐसा लगा कि मेरा जो किरदार है वह परिवार से बेहद प्यार करता है. लेकिन उसे जब किसी अपने को खोना पड़ता है तो उसके जिंदगी में क्या मोड़ आते हैं. पड़ाव आते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है. और मुझे लगता है कि हर कोई इस कहानी से कनेक्ट कर पायेगा. चूंकि हर किसी की जिंदगी में ऐसे पल आते ही हैं. जोया ने तो खुद यह अपने एक पर्सनल एक्सपीरियंस पर चार लाइन की कहानी लिखी थी. तो मुझे लगता है कि एक कनेक् शन होगा फिल्म से लोगों का.
पिछले लगभग 10-12 सालों से लगातार आप जब भी कुछ लेकर आते हैं. फिर चाहे वह फिल्म हो या फिर सत्यमेव जयते जैसे शोज. लोगों को उम्मीद हो जाती है कि किसी मेसेज के साथ आ रही है फिल्म. तलाश के साथ भी ऐसा कुछ होगा क्या?
(हंसते हुए ) देखिए, इस बारे में तो मैं बस इतना ही कहना चाहंूगा कि ऐसा नहीं है कि मेरा चुनाव ही बेहद निराला होता है. डेली बेली भी मैंने ही चुनी थी. लेकिन उसमें कोई मेसेज नहीं था. बल्कि वह तो बिल्कुल ही अलग फिल्म थी. गजनी भी एंटरटेनर फिल्म थी. बाकी कई फिल्में मैंने भी की है. जिसमें कोई सलाह या कोई संदेश नहीं होता. हां, लेकिन आप यह जरूर कह सकती हैं कि बाकी कलाकारों की अपेक्षा मैंने जितनी फिल्मों में काम किया है. उनमें से अधिकतर में मैंने उद्देश्यपूर्ण काम किया है. फिर चाहे वह रंग दे बसंती हों. लगान हो. पीपली लाइव हो. तो लोगों ने मान लिया है कि मैं मेसेज वाली फिल्में ही करता हूं. लेकिन मेरा मानना है कि एक्टर हूं तो हर तरह की फिल्म करूंगा. एंटरटेनर वाली भी. मस्ती वाली भी. मेसेज वाली थी. जहां तक तलाश की सवाल है. यह भी आपको इमोशनल करेगी. यह आम मेनस्ट्रीम फिल्मों की तरह नहीं है. अलग है. और मैं चाहूंगा कि लोग कहानी का मजा लें. सस्पेंस का मजा लें.फिल्म का जो इमोशनल कोर है. वह लोगों के दिल को छुएगी.
प्राय: किसी भी फिल्म की स्क्रिप्ट उसके कलाकार को चुनती है तो इस फिल्म में आपने स्क्रिप्ट को चुना या स्क्रिप्ट ने आपको.
मेरा मानना है कि कोई भी स्क्रिप्ट जिस हिसाब से लिखी जाती है. एक लेखक की, निर्देशक की सोच और विजन और साथ साथ प्रोडयूसर की डिमांड होती है कि उन्हें किस एक्टर के पास जाना है. लिखते वक्त ही उन्हें आइडिया मिल जाता है कि आप किस एक्टर के पास आप जायें. तो मेरा मानना है कि स्क्रिप्ट ही एक्टर को चुनता है.जहां तक इस फिल्म का सवाल है. मैंने पहले भी कहा कि मुझे स्क्रिप्ट पसंद आयी थी. मैं किसी भी फिल्म की स्क्रिप्ट काफी केयरफुली चुनता हूं तो इस फिल्म ने तो मेरा दिल जीत लिया था. तो मैंने हां कहीं. लगान के वक्त भी मुझे स्क्रिप्ट पसंद आयी थी. लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया था शुरुआत में. सरफरोश के लिए फौरन हां कह दी थी मैंने.
लेकिन हमने सुना कि रीमा से आपके काफी मतभेद रहे. रीमा ही क्यों. प्राय: आपके सारे निर्देशकों के साथ आपकी मतभेद की बातें आती हैं. आरोप लगते हैं कि आप निर्देशकों के निर्देशन में काफी दखल देते हैं.
ये सारी बातों को मैं डिनाये करता हूं. रीमा के साथ कोई अनबन नहीं हुई है. देखिए एक तो मैं किसी भी फिल्म को हां नहीं कहता. फिर जब मैं नैरेशन सुनने के बाद ही उससे संतुष्ट हो जाता हूं. तो फिर मेरे दखल की बात ही कहां से होती है. मैं संतुष्ट होता हूं तो अपनी हामी भरता हूं न. मैं तो नैरेशन सुनने के बाद ही अपनी पूरी बात कह दी होती है. तो फिर मैं क्यों चेंज करूंगा. दूसरी बात यह भी है कि आप बाकी कलाकारों के काम देख लें. कैरेक्टर एक से लगेंगे आपको. मेरी फिल्म में ऐसा नहीं है. अगर मैं अपनी हर फिल्म में अपने ही इनपुट्स देता तो सारी एक जैसी नहीं होती. मैं तो डायरेक्टर विजन को फॉलो करता हूं. हर डायरेक्टर अपनी जान देता है फिल्म में. तो निश्चित तौर पर मैं उनकी सोच को परदे पर दर्शाता हूं. जहां तक रीमा की बात है तो वह लेखक भी हैं और मुझे लगता है कि इसकी वजह से वे पेपर पर ही फिल्म खड़ी कर लेती हैं. उन्हें पता है कि उन्हें क्या चाहिए. कब चाहिए. इन 20 सालों में मैं भी लगातार काम कर रहा हूं. लेकिन रीमा ने इस फिल्म के दौरान जिस तरह से मुझे कुछ सीन सुनाये. उनके लेयर्स बताये. मैं हैरत में पड़ जाता था. नयी चीज लेकर आती थीं वह हर बार. मुझे भी ताज्जुब होा था कि काफी बारीकी से काम करती है. मुझे लगता है कि रीमा जो बनाने चली थी. फिल्म उसके काफी करीब पहुंच पायी है. मुझे उसके साथ काम करके बहुत मजा आया. तो फिर मुझे संदेह क्यों होगा. तलाश की शूटिंग आराम से चल रही है तो लोग लिखेंगे नहीं इसके बारे में . तो लोग बात बनाते हैं कि कंनवर्शेशन इंटरेस्टिंग करने के लिए.
लेकिन आपकी फिल्मों को आने में काफी वक्त लग जाता है. इतना वक्त क्यों लेते हैं आप?
मैं वक्त लगाता हूं तो आप सभी ऐसा न सोच लें कि हम रजाई ओढ़ कर घर पर सो जाते हैं. दरअसल, मैं हड़बड़ी में काम बर्बाद नहीं कर सकता. मैं खुद जी लगाकर काम करता हूं और मेरे साथ जितने निर्देशक काम करते हैं फिर चाहे वह राजू हो, आशु हों, फरहान हो. सभी मेरी तरह ही अपने काम को परफेक्ट बनाने की कोशिश करते हैं. फिल्म का मतलब हमारे लिए सिर्फ करोड़ों की कमाई नहीं है. शिद्दत से बनाते हैं तो लोगों को पसंद भी आती है. मैंं यह नहीं चाहता कि हड़बड़ी में कुछ बना दूं और पता चला कि रिलीज के बाद खुद ही लगे कि अरे कुछ कमी रह गयी. बस यही वजह है.
तलाश कई एक्टरों को आॅफर हुई थी?
हां, यह सच है. हर फिल्म कई कलाकारों को आॅफर तो होती ही है. लेकिन बाकियों को पसंद नहीं आयी. वैसे भी मैं जो फिल्में करता हूं वे बाकियों को ुपसंद नहीं ही आती हैं. लोग मुझे भी सलाह देते हैं कि मैं वह न करूं. लेकिन मैं तो हमेशा अलग ही करता हूं.सो, मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे फिल्में कितने लोगों को आॅफर हुईं. मेरे हां कहने के बाद वह मेरी फिल्म हो जाती है और मैं शिद्दत से उस में जी लगा कर काम करता हूं.
हमने यह भी सुना कि आप पर तलाश का किरदार इतना हावी हो गया था कि आप वास्तविक जीवन में काफी संदिग्ध हो गये हैं. यह सच है या सिर्फ मार्केटिंग के लिए अफवाह
(हंसते हुए) अच्छा?? ऐसी भी खबरें आ रही हैं. वैसे आपने अच्छा बताया कि मार्केटिंग के लिए ऐसी भी बातें इस्तेमाल की जा सकती हैं. हाहाहा, नहीं नहीं. ऐसा नहीं है. किरदारों को वास्तविक जीवन पर हावी नहीं होने देता मैं. वरना, आज भी लगान का भुवन ही रह जाता. वह मेरा पसंदीदा किरदार था और सबसे अधिक मुझे उसी फिल्म में वक्त लगा था.
सत्यमेव जयते का सीक्वल भी आयेगा?
हां, अगले साल तक़ . शो को कामयाबी मिली है तो मेरा भी हौसला बढ़ा है.
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