20120508

स्वतंत्र पहचान बनाने की जद्दोजहद

अनुराग कश्यप की बहन अनुभूति कश्यप भी निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने जा रही हैं. फिलहाल उन्होंने इस बात की घोषणा नहीं की है कि उनकी पहली फिल्म किस विषय पर आधारित होगी. अनुराग के भाई अभिनव कश्यप ने भी फिल्म ‘दबंग’ से अपने निर्देशन कैरियर की शुरुआत की. वह कामयाब भी रहे. बहन अनुभूति ने कहा है कि वह अपने भाई के बैनर से पहली शुरुआत नहीं करेंगी. हालांकि उन्होंने निर्देशन की बारीकियां अनुराग कश्यप की फिल्में ‘गैंग ऑफ वसईपुर’ व ‘देव डी’ से ही सीखी है. इसके बावजूद वे नहीं चाहती कि उनका पहला वेंचर अनुराग के बैनर से शुरू हो. अभिनव कश्यप ने भी अपनी पहली शुरुआत अनुराग की बजाय किसी बाहरी प्रोडक्शन से शुरू किया. शायद इसकी वजह यह है कि वे अपनी पहचान अपने बलबुते बनाना चाहते हैं. चूंकि हिंदी सिनेमा में प्राय: नये चेहरे की पहचान उनसे पहले इंडस्ट्री से जु.डे व्यक्ति की पहचान पर आधारित होता है. उसकी सफलता का सेहरा उसके परिवार के स्थापित व्यक्ति के सिर पर ही बांध दिया जाता है. यकीनन अभिनव कश्यप व उनकी बहन ऐसा नहीं चाहते होंगे. वे जानते हैं कि उनकी पहली कदम पर पारखी नजर रखी जायेगी, इसलिए वे चाहते हैं कि उन्हें अपनी पहचान मिले. ऐसे में अनुभूति का यह कदम सराहनीय है. स्वतंत्र सोच रखनेवाले व फिल्म बनानेवाले ऐसे भाई-बहन इंडस्ट्री में और भी हैं. निर्देशिका फराह खान व साजिद खान भी भाई-बहन हैं. दोनों निर्देशक हैं, दोनों अलग तरह की फिल्में भी बनाते हैं. दोनों ने संघर्ष से भरा कठोर सफर तो साथ में तय किया, लेकिन प्रोफेशनल रिश्तों में वे अलग हैं. दोनों ने कभी एक दूसरे का इस्तेमाल नहीं किया. यही वजह है कि आज उनकी स्वतंत्र और एकल पहचान है. दरअसल, हिंदी सिनेमा को ऐसे ही स्वतंत्र सोच रखनेवाले व बिना किसी कंधे के सहारे आगे बढ.नेवाले लोगों की जरूरत है.

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