20120510

जवां इशकजादा अर्जुन


उनका बचपन लाइट, कैमरा एक्शन के बीच ही बीता. लगभग पूरा परिवार फिल्म निर्माण से जुड़ा रहा है. इसके बावजूद जब पहले ब्रेक की बारी आयी, तो उन्होंने अपने होम प्रोडक्शन की बजाय यशराज बैनर के साथ शुरुआत की.
इसके पीछे मंशा साफ थी कि वे भी संघर्ष का स्वाद चखें. बात हो रही है निर्माता बोनी कपूर के बेटे अर्जुन कपूर की. यशराज की फिल्म इशकजादे से अपने कॅरियर की शुरु आत कर रहे अर्जुन इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित हैं. पहली फिल्म से जुड़े उनके अनुभव और तैयारियों पर अनुप्रिया अनंत ने उनसे विशेष बातचीत की.
इशकजादे के प्रोमोज में अर्जुन कपूर दर्शकों को आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं. उनकी पूरी कोशिश और उम्मीद यही है कि फिल्म को भी दर्शकों का प्यार मिले.
अर्जुन, यह आपकी पहली फिल्म है. क्या इसको लेकर आप नर्वस हैं?
जी हां, बहुत नर्वस हूं. बावजूद इसके कि मैंने अपने परिवार में हमेशा फिल्में बनते देखी हैं. लेकिन बतौर एक्टर बात और हो जाती है. पूरी दुनिया की नजर आप पर होती है. आपकी छोटी सी भी गलती लोग नोटिस करते हैं.
प्रोमोज देखकर लोग आपकी तारीफ कर रहे हैं. कैसा लग रहा है?
इसलिए और अधिक नर्वस हूं, क्योंकि प्रोमोज में दर्शकों ने मुझे पसंद किया है. अब फिल्म में भी पसंद कर लें, तो बात बने.
फिल्म का नाम इशकजादे क्यों है. इश्कजादे क्यों नहीं?
इस बारे में हबीब सर बेहतर बता पायेंगे. हालांकि, मैं मानता हूं कि फिल्म युवाओं की है और युवा इन दिनों कोई भी काम सीधे तरीके से तो करते नहीं. इसलिए, इशकजादे हैं. और देखिए, यह अलग नाम है तभी तो लोकप्रिय है. तभी तो आपने सवाल पूछा.
आप खुद एक फिल्मी खानदान से संबंध रखते हैं, फिर शुरुआत के लिए बाहरी प्रोडक्शन हाउस का सहारा क्यों लिया?
मैं मानता हूं कि किसी भी अभिनेता के लिए अभिनय सीखने का यही सही तरीका हो सकता है. अपने घर से तो मैं कभी भी लांच हो सकता था. लेकिन शायद वहां मुझे इतना कुछ सीखने का मौका नहीं मिलता. लोगों को ऐसा लगता है कि आप फिल्मी खानदान से हैं, तो आपके लिए राहें आसान होंगी. लेकिन मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि जब मैंने यशराज में ऑडिशन दिया था, लोगों को पता नहीं था कि मैं बोनी कपूर का बेटा हूं. मेरे साथ ऑडिशन की वही प्रक्रिया हुई थी जो किसी भी दूसरे कलाकार के साथ होती है.
दरअसल, मैंने जब ऑडिशन दिया था, उस वक्त वायरस दीवान नामक फिल्म के लिए मेरा चुनाव किया गया था. लेकिन बाद में इशकजादे की शुरुआत हुई. मुझे हबीब फैजल जैसे बेहतरीन निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला. उनके साथ मैंने कई वर्कशॉप किये हैं. बहुत तैयारी की है. मैं खुद औरों के ऑडिशन में भी चला जाता था.
इशकजादे के लिए सबसे पहले बतौर लीड एक्टर मेरा नाम फाइनल हुआ. फिर बाद में अभिनेत्री का चुनाव हुआ था. उस दौरान भी मैं अपने किरदार में रह कर सारे ऑडिशन में भाग ले लिया करता था. इससे सबसे ज्यादा फायदा मेरा ही हुआ कि मैंने काफी मेहनत की अपने किरदार पर.
अपने किरदार की तैयारियों के बारे में और विस्तार से बताएं.
दरअसल, जब आप हबीब सर जैसे निर्देशक के साथ काम कर रहे होते हैं, तो तैयारियों का लेवल इस लिहाज से थोड़ा कम हो जाता है कि हबीब सर, अपनी स्क्रिप्ट कुछ इस कदर तैयार रखते हैं कि अगर आह, उफ भी करना है तो वह स्क्रिप्ट में मेंशन होता है. अब निर्भर आप पर करता है कि आप किस तरह उसे निभा पाते हैं. हालांकि, जब से अहसास हुआ कि मुझे अभिनय करना है, मैंने बैरी जोन्स के अभिनय वर्कशॉप को अटेंड करना शुरू किया. हबीब सर ने भी मेरी बहुत मदद की.
सुना है आप निर्देशक बनना चाहते थे. फिर अभिनय के क्षेत्र में?
जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना है. मैं भविष्य में जरूर निर्देशन करूंगा. दरअसल, मैं खुद भी नहीं जानता था और न ही कभी सोचा था कि अभिनय में आऊंगा. लेकिन सलमान भाई की वजह से मैंने इस तरफ सोचना शुरू किया. सलमान भाई की बहन अर्पिता मेरी गर्लफ्रेंड थी. हम दोनों के परिवार में बहुत नजदीकी थी. मैं उस वक्त सलमान भाई से मिलता रहता था. सलमान भाई पापा की फिल्मों में काम कर रहे थे. हमने बहुत वक्त साथ गुजारा था. उन्होंने ही मुझे एक दिन कहा कि यार अर्जुन तू एक्टर बन सकता है.
तुझमें वह स्पार्क नजर आ रहा है. उस दिन मैं घर लौटा तो मुझे लगा कि सलमान भाई की बातों में कुछ तो दम है. मैंने सोचना शुरू किया. लेकिन परेशानी यह थी कि मैं बहुत मोटा था. फिर मैंने सलमान भाई से बात की तो उन्होंने मेरा साथ दिया और तीन साल में मैंने 50 किलो वजन घटाया. इतना वजन कम करने के बावजूद आज भी मैं डरा रहता हूं कि कहीं मेरा वजन फिर से न बढ़ जाये.
फिल्म युवाओं पर आधारित है, तो निश्चित तौर पर आप सबने बहुत मस्ती की होगी सेट पर.
हां जी बिल्कुल बहुत मस्ती की थी. मैं और परिणिति सेट पर खूब मस्ती करते थे. हम दोनों ही खाने, खिलाने और हंसी मजाक करने के शौकीन हैं. इसलिए, सेट पर माहौल बेहद अलग होता था. फिल्म में जो दृश्य मेरे लिए सबसे कठिन रहा उसी में सबसे मजा भी आया. लखनऊ में जब हम इस सीन की शूटिंग कर रहे थे, उस वक्त बहुत गर्मी थी.
वहां येज्दी बाइक चलानी थी मुझे, जो अब शायद मिलती भी नहीं. मैं ठहरा मुंबई का लड़का. कभी उतनी भारी बाइक चलायी नहीं थी. जब वह चलानी पड़ी, मेरी तो हालत खराब हो गयी. उसमें मेरे न जाने कितने सारे रीटेक हुए थे. मजे की बात यह थी कि वह बाइक हमने वहां के दूधवालों से ली थी. फिर उन्होंने ही मुझे ट्रेनिंग भी दी थी.
परिणिति के साथ आपकी केमेस्ट्री कैसी रही?
मजेदार. आप देखना इस पूरी फिल्म में परमा और जोया ही नजर आयेंगे आपको. यह फिल्म पूरी तरह इन दोनों किरदारों पर ही निर्भर है.
हुआ छोकड़ा जवान रे..गीत में आपने एक्सप्रेशन का काफी इस्तेमाल किया है. खास ट्रेनिंग ली?
नहीं. हां, यह जरूर है कि डांसिंग में मेरी शुरू से ही दिलचस्पी रही है इसलिए इस गाने की शूटिंग में मैंने बहुत एंजॉय किया.यह गीत भी लखनऊ में ही फिल्माया गया था. चिनी प्रकाश सर जो खुद बेहद शानदार डांसर हैं, उन्होंने मेरी बहुत मदद की.
बतौर अभिनेता, आप दर्शकों से क्या उम्मीद कर रहे हैं?
बस यही कि मेरी फिल्में देखने के बाद कोई यह न कहे कि सिर्फ दिखने में अच्छा है. इसे एक्टिंग नहीं आती, क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं बहुत मेहनत कर रहा हूं और बारीकी से काम सीख रहा हूं. चाहता हूं कि अच्छा अभिनय कर सकूं.
आपकी मां, आपकी पहली शुरुआत में साथ नहीं?
हां, लेकिन मां का आशीर्वाद हमेशा साथ रहेगा. उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया है. इसलिए, उम्मीद है कि कामयाबी मिलेगी.

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