आमिर का सपना है कि वह महाभारत का निर्माण करें, लेकिन कुछ वक्त के लिए उन्होंने अपना ध्यान इस सपने से परे टेलीविजन शो सत्यमेव जयते पर लगा दिया है. आगामी 6 मई से इस शो का प्रसारण दूरदर्शन और स्टार प्लस दोनों चैनलों पर एक साथ किया जायेगा. हाल में इसके म्यूजिक लांच के अवसर पर आमिर ने शो से संबंधित कुछ अहम पहलुओं पर बात की.
आमिर खान पहली बार शो सत्यमेव जयते को लेकर टेलीविजन पर आ रहे हैं और वे इसे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मानते हैं. उनका कहना है कि इस शो से ही उन्होंने अपने जीने का मकसद जाना है.
आत्मा बसती है इस शो में
स्टार नेटवर्क के प्रमुख उदय शंकर ने मेरे सामने यह प्रस्ताव रखा कि मैं उनके लिए छोटे परदे पर कोई शो करूं. उस वक्त तो मैंने उनसे कह दिया कि मुझे ऐसे शोज में खास दिलचस्पी नहीं है. फिर उन्होंने पूछा कि आप बतायें आप क्या करना चाहते हैं. तब मैंने कहा कोई ऐसा शो जो दिल को छू ले. बिल्कुल अंदर तक लोगों को झकझोर दे. उदय ने तुरंत हां कह दिया और कहा कि आमिर आप आगे बढ़ें, हम आपका साथ देंगे. यही से शुरुआत हुई इस सफर की.
मैंने अपनी टीम तैयार की. उन्हें बुलाया. प्रसून जोशी से कहा कि मुझे कोई ऐसा गीत लिखकर दो, जो कि रोमांटिक हो. सब चौंक गये कि शो का नाम सत्यमेव जयते है और आमिर हमें रोमांटिक गाना लिखने को कह रहा है. मैंने सभी को समझाया कि मुझे ऐसा गीत चाहिए जो ऐसा न लगे कि सिर्फ मैं गा रहा हूं, बल्कि वह पूरे देश के हर नागरिक को संबोधित करे और उनकी तरफ से हो. प्रसून ने केवल आधे घंटे में गीत लिख दिया. राम संपत ने म्यूजिक तैयार किया और बस हम फिर निकल पड़े पूरे भारत के भ्रमण पर. राम वाधवानी ने इस शो को परदे पर उतारा और सत्यजीत भटकल इसके निर्देशक हैं.
पसंदीदा पंक्तियां
मुझे उम्मीद है कि ये शो दर्शकों को नया और दिल को छूने वाला लगेगा. इसकी एक खासियत यह भी होगी कि हर एपिसोड में दर्शकों को एक नया गीत सुनने को मिलेगा. शो के टाइटिल सांग के हर शब्द से मुझे प्यार हो गया है. खासतौर से यह पंक्तियां कि जैसा भी हूं, अपना मुझे.. मुझे ये नहीं है बोलना. काबिल तेरे मैं बन सकूं..है द्वार ऐसा खोलना.. सबसे पसंदीदा है. चूंकि इन पंक्तियों से मुझे ऊर्जा मिलती है. उम्मीद है कि ऐसी ही ऊर्जा दर्शक भी अपने अंदर महसूस कर सकेंगे. दरअसल, यह शो सबको खुशियां और ताकत के साथ देशभक्ति का भी एहसास करायेगा.
आम लोगों से जुड़ना चाहता था
इस शो के माध्यम से मैं आम लोगों से जुड़ना चाहता था. सेलिब्रिटी बनने के बाद हमेशा ऐसा होता है कि हम खुलकर किसी से मिल नहीं सकते. सार्वजनिक स्थानों पर नहीं जा सकते, लेकिन इस शो के माध्यम से मैंने पूरे भारत को जिया है. यूं कह लें कि पूरी दुनिया को जिया है. यह मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक होगा. मैं पिछले दो सालों से इस शो पर काम कर रहा था और मैंने अपने कुछ साथियों के अलावा किसी से भी इस बारे में कोई चर्चा नहीं की. मैं चाहता हूं कि जब शो का प्रसारण हो तो आप खुद इसका आनंद उठाएं.
बार बार भावुक हुआ
मैं अपने वास्तविक जीवन में भी बहुत भावुक हूं. भावनात्मक बातों पर रो देता हूं. आप कह सकते हैं कि मैं रोंदू बच्चा हूं. इस शो के दौरान भी मेरे साथ ऐसे कई वाकिये हुए, जिन्हें देखकर मैं रोया. मेरी आंखों से कई बार आंसू गिरे हैं. फिलहाल मैं उन घटनाओं के बारे में नहीं बताऊंगा. शो के माध्यम से आप उन्हें देख सकेंगे.
हां, इतना जरूर बताना चाहूंगा कि एक जगह मैं बच्चों के साथ हॉकी खेल रहा था. एक बच्चे ने मेरे पैर पर हॉकी चला दी और मुझे बुरी तरह चोट लग गयी. लेकिन उस चोट में भी मुझे उस बच्चे का जुनून ही नजर आया था. जो खेलने में यूं मग्न था कि उसे मेरा पैर भी नजर नहीं आया.
हां, इतना जरूर बताना चाहूंगा कि एक जगह मैं बच्चों के साथ हॉकी खेल रहा था. एक बच्चे ने मेरे पैर पर हॉकी चला दी और मुझे बुरी तरह चोट लग गयी. लेकिन उस चोट में भी मुझे उस बच्चे का जुनून ही नजर आया था. जो खेलने में यूं मग्न था कि उसे मेरा पैर भी नजर नहीं आया.
देश को एक सूत्र में बांधना
मैं नहीं कहता कि यह कोई आंदोलन है. इसके लिए मैं किसी तरह का दावा भी नहीं करता. हां, यह जरूर है कि शो देखने के बाद आप महसूस करेंगे कि पूरी दुनिया दरअसल एक सूत्र में ही बंधी है. यह शो सबके दिलों को छुएगा. सभी महसूस करेंगे कि यह उनका अपना शो है.
यही वजह है कि हमने स्टार प्लस के साथ-साथ दूरदर्शन को भी इससे जोड़ने की कोशिश की है. दूरदर्शन की पहुंच गांव-गांव तक है और मैं चाहता हूं कि यह शो हर
यही वजह है कि हमने स्टार प्लस के साथ-साथ दूरदर्शन को भी इससे जोड़ने की कोशिश की है. दूरदर्शन की पहुंच गांव-गांव तक है और मैं चाहता हूं कि यह शो हर
गांव तक जाये.
हर प्रांत में नहीं गया
फिर भी..
हर प्रांत में नहीं गया
फिर भी..
यह सच है कि पूरे भारत में घूमने व उसे समझने के लिए दो साल पर्याप्त नहीं हैं. फिर भी मेरी कोशिश रही है कि मैं हर जगह जाऊं और जहां नहीं जा पाया हूं, वहां के लोग आकर मुझसे मिले हैं. दरअसल, यह शो आम लोगों को समर्पित है. दो सालों की मेहनत के बावजूद हम केवल 13 एपिसोड ही तैयार कर पाये हैं, क्योंकि यह एक कठिन काम था.
सत्यमेव जयते
यह शीर्षक हमें उदय शंकर ने ही सुझाया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम इसे रजिस्टर नहीं कर सकते. मैंने उनसे कहा कि कोई दिक्कत नहीं, क्योंकि यह शो सभी का है. देश का है. हम इसका यही नाम रखते हैं
shuruwat bahut achchhi hai . achchhe uddeshya
ReplyDeleteke liye uthaya sahi kadam aapaki baaten sach hon kaamana.