20151216

रंगोली की यादें

दूरदर्शन चैनल पर किसी दौर में रविवार की रौनक रहती थी। वजह यह थी कि रविवार को कई तरह के कार्यक्रम आते थे जिनमें रंगोली खास लोकप्रिय कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में उस दौर के कई सदाबहार गाने दिखाए जाते थे। वह दौर एफ एम का दौर नहीं था न ही इतने म्यूजिक चैनल थे। दर्शकों के लिए चित्रहार और रंगोली ही दो कार्यक्रम थे जिनमें फिल्मी गीत सुनाई देते थे। लेकिन वक़्त क साथ रंगोली का औचित्य खत्म हो गया। आप 24 घण्टे गाने   सुन और देख सकते हैं। लेकिन दूरदर्शन ने इन कार्यक्रमों का प्रसारण बंद नहीं किया। यह एक बड़ी कामयाबी रही। इन दिनों यह कार्यक्रम फिर से एक नए कलेवर में दर्शकों के सामने हैं जिनका संचालन स्वरा भास्कर कर रही हैं। दरअसल उस दौर में रविवार छुट्टियों का दिन था। और पूरे हफ्ते काम काज छुट्टी पाकर पूरे परिवार के साथ यह शो देख जाता था। रंगोली की कई यादें कई जेनेरेशन के जेहन में जिंदा होगी। लेकिन अब रविवार की छुट्टियां काफी हाउस मैं बीतने लगी है। लोग सुबह सुबह कोफ हाउस के चक्कर लगाने में यकीन करने लगे हैं। अब रविवार का इंतज़ार नहीं रहता। लेकिन ऐसे दौर में भी रंगोली नए रंग रूप में आ रही है तो यह सराहनीय प्रयास है। पुरानी यादों कप संजोने के लिए। हाल ही में सतीश कौशिक से बात हुई थी उन्होंने भी इस बात को स्वीकारा कि उस दौर में इस तरह के धारावाहिकों के लिए लेखन करना अधिक कठिन था। उस दौर मैं सतीश कौशिक और पंकज कपूर एक हिट शो लेकर आते थे। जहां वे मौज मस्ती के अंदाज़ में बातें करते थे और बातचीत के अंतराल में गाने दिखाए जाते थे। सतीश मानते हैं कि उनकी कोशिश होती थी कि वे अपनी बातचीत में किसी का मजाक न बनाएं वे खुद का मजाक बनाते थे। वह दौर स्टैंड आप कॉमेडी का दौर भी नहीं था। एंटरटेनमेंट के मायने भी वह नहीं थे। सो उस दौर में दर्शकों का उन्हें प्यार मिला। तमाम बातों के बावजूद एक बार फिर से रंगोली प्रतियोगिता के लिए तैयार है तो इस कार्यक्रम और सोच का स्वागत किया जाना चाहिए।

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