20151216

निर्देशक व दर्शक

इम्तियाज अली की यह खूबी है कि वह फिल्मों के प्रदर्शन के बाद भी आम लोगोंं से खूब मिलते हैं और उनसे अपनी फिल्म के बारे में राय लेते हैं. यह सिलसिला पिछले कई  सालों से चला आ रहा है. अनुराग कश्यप व अन्य निर्देशकों ने भी यह संस्कृति शुरू की थी.लेकिन धीरे धीरे वे इससे कट रहे हैं. लेकिन इम्तियाज ने अब भी यह सिलसिला जारी रखा है. उनकी हाल ही में प्रदर्शित फिल्म तमाशा को लेकर भी उन्होंने मुलाकात की. दर्शकों के मन में कई सवाल थे और इम्तियाज ने बारी बारी से सारे सवालों के जवाब भी दिये. यह फिल्म लड़कियों को बेहद पसंद आ रही है. दरअसल, यह सिलसिला बादस्तूर जारी रहना इसलिए जरूरी है क्योंकि निर्देशक और दर्शक का रिश्ता इससे मजबूत होता है. दर्शक भी इस बात को समझते हैं कि निर्देशक को उनकी फिक्र है. और उनकी राय की परवाह है. फिल्म लूटेरा की रिलीज के बाद विक्रमादित्य मोटवाणे ने भी मेल के माध्यम से दर्शकों के सारे सवालों के जवाब दिये थे. चूंकि इम्तियाज, विक्रमादित्य उन निर्देशकों में से एक हैं, जिनकी फिल्मों में कई परत होते हैं. उनकी फिल्म से हर दर्शक अलग अलग नजरिया बनाता है. इनकी फिल्मों में कई सवालों के जवाब फिल्म में स्पष्ट नहीं होेते. लेकिन चूंकि इनके किरदार जीवंत होते हैं, दर्शक उन्हें साथ लेकर निकलते हैं थियेटर से. सो, उनके मन ेमें कई तरह की जिज्ञासाएं होती हैं और वे उनके जवाब तलाशना चाहते हैं. इम्तियाज की फिल्म तमाशा में ही उन्होंने अपने पोस्टर पर लिखा है कि व्हाय द सेम स्टोरी... इस वाक्य को कई लोगों ने कई नजरियों से देखा है. एक नजरिया फिल्म का यह भी था कि इम्तियाज सवाल पूछ नहीं रहे, बल्कि सवाल का जवाब दे रहे हैं कि हमेशा कहानियों के एक होने की वजह क्या है. तो दूसरी तरफ किसी दर्शक के मन में सवाल बन कर भी खड़े हों. सो, यह जरूरी है कि निर्देशक उनकी प्यास बुझाए.

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