20151216

सिया के राम व शांता


स्टार प्लस के धारावाहिक सिया के राम में फिलवक्त राम की बहन शांता की कहानी विस्तार से दिखाई जा रही है. निखिल सिन्हा इस लिहाज से बधाई के पात्र हैं, कि उन्होंने रामायण के अनछुए पहलुओं को दर्शकों के सामने रखने की ंिहम्मत की है.चूंकि फिलवक्त जो दौर चल रहा. हर मुद्दे को लेकर विवाद हो रहे. मुमकिन यह भी है कि इस विषय पर भी काफी विवाद हो सकते हैं. कई बुद्धिजीवी अपने तर्क रख सकते. चूंकि शो में कहानी में आगे दिखाया जा रहा है कि किस तरह दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यत् न किये. यह भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है कि दशरथ जैसे ज्ञानी भी इस तरह की बातों पर सोचते थे. उन्हें भी पुत्र रत् न चाहिए था. सिया के राम दरअसल, पुरुष अंहकार की मृथ्याओं को पूरी तरह से धाराशायी कर रहा है. एक दृश्य में सीता गौतम ऋषि से पूछती है कि ज्ञान का क्या लाभ. गौतम ऋषि कहते हैं कि ज्ञान होने से व्यक्ति अपने गुस्से और अहंकार पर नियंत्रण कर लेता है. तो सीता के सवाल होते हैं कि तो फिर आपने अपनी पत् नी अहिल्या को श्राप क्यों दिया. वर्षों से चली आ रही मृथ्या और पुरुषों को परम पूजनीय समझने वाले समाज के लिए यह सटीक जवाब है. पहली बार किसी पौराणिक कथा पर आधारित धारावाहिक दरअसल, धार्मिक नजर नहीं आ रहा. उसके किरदार पूजनीय नहीं, बल्कि तर्कसंगत लगते हैं. किसी दौर में कैकयी, सुर्पनखा जैसे किरदारों को खलनायिका समझने वाले रामायण में दशरथ और गौतम ऋषि के जीवन के भी क्या ग्रे शेड रहे हैं. यह धारावाहिक उसे भलिभांति दर्शकों के सामने प्रस्तुत कर रहा है. वह पुरुष को परमात्मा बना कर पेश नहीं कर रहा. शांता की कहानी अब से पहले किसी ने न सुनी न ही कही. जबकि शांता के पहलुओं पर भी नजर डालना आवश्यक था. इस लिहाज से वर्तमान दौर के महत्वपूर्ण धारावाहिकों में से एक है यह शो.

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