20151216

मेरे लिए दोस्ती का रिश्ता अहम है : फरहान


फरहान अख्तर फिल्म वजीर से पहली बार एक् शन करते नजर आयेंगे. वे फिल्म रॉक आॅन की शूटिंग में भी व्यस्त हैं. वजीर को वह अलग मिजाज की फिल्म मान रहे हैं.
फरहान, यूं तो आप कई विधाओं में माहिर रहे हैं. लेकिन बात जब अभिनय की आती है तो आप फिल्मों के चयन को लेकर काफी सजग हो जाते हंै. तो वजीर को हां कहने की क्या वजह रही?
दरअसल, मुझे लगता है कि बात जब निर्देशन की आती है तो मैं अधिक चूजी हो जाता हूं. मैं वैसी ही फिल्में निर्देशित करता हूं जिनके विषय मुझे एक्साइट करते हैं. वजीर को हां कहने की वजह यह थी कि फिल्म की स्क्रिप्ट को खूबसूरत तरीके से लिखा गया है. विधु दोस्त हैं. अभिजात ने बेहतरीन तरीके से कहानी लिखी है. इस फिल्म की खूबी यह है कि फिल्म के किरदार आपको आकर्षित करेंगे.इस किरदार के साथ मैं इसलिए जुड़ा कि लगा कि वह आम है. मेरे साथ भी ऐसा सिचुएशन हो सकता है और मैं जब इस सिचुएशन में रहूंगा तो किस तरह बर्ताव करता. यह सोचने पर मजबूर करती है कहानी.
आपकी फिल्मों में दोस्ती का एक खास एंगल जरूर होता है. वजीर में भी क्या वह एंगल है?जी हां, बिल्कुल है. दोस्ती का अहम हिस्सा है. इसमें दोस्ती एक एटीएस आॅफिसर और शतरंज मास्टर के बीच होती है और जैसा कि सभी जानते हैं कि मेरी फिल्म में दोस्ती महत्वपूर्ण होती है. विधु खुद कम दोस्त बनाते हैं. लेकिन दोस्ती निभाते हैं. तो इस फिल्म में भी वह एंगल है.
वास्तविक जिंदगी में आपके लिए दोस्ती क्या मायने रखती है?
मुझे लगता है कि  मैं इस मामले में लकी रहा हूं कि मेरे जितने भी दोस्त बने हैं इंडस्ट्री से भी. वे आज भी मेरे साथ हैं. मेरे लिए खास हैं. मैं उनके लिए खास हूं.फिर वह अभिषेक हो, ऋतिक हों, प्रीति जिंटा, उदय सभी मेरे क्लोज दोस्त हैं. मुझे याद है प्रीति मेरे घर आयी थीं. क्या कहना का स्क्रीन टेस्ट देने के लिए उस वक्त मैं दिल चाहता है लिख रहा था. और उस वक्त हमारी मुलाकात हुई थी. मैंने स्क्रीन टेस्ट देखा था और काफी पसंद आयी थी मुझे उनकी एक्टिंग़,. उस वक्त ही मैंने उन्हें दिमाग में रख कर कहानी लिखनी शुरू की थी.  और प्रीति ने मुझसे कहा कि मैं यह फिल्म करूंगी. तुम जब भी बोलोगे. फिर कहानी पूरी हुई और मैंने प्रीति को कॉल किया और वह हमारे साथ जुड़ी. आज भी प्रीति से मेरी दोस्ती वैसी ही है जैसे कई सालों पहले थी. शाहरुख मेरे बहुत खास दोस्तों में से एक हैं. शाहरुख से भी मेरी दोस्ती सिर्फ फिल्मों की वजह से नहीं है. मुझे लगता है कि जब भी कभी जरूरत होगी शाहरुख खड़े होंगे. सो, मैं लकी हूं कि मेरे पास अच्छे दोस्तों की लिस्ट है. और मुझे लगता है कि मेरे दोस्त मेरी इस क्वालिटी को पसंद करते हैं कि वे मुझ पर विश्वास कर सकते हैं और वे जानते हैं कि मैं उनका और वे मेरी इज्जत करते हैं. किसी भी रिश्ते में यही दो खास बातें होती हैं.
रईस का पोस्टर काफी रोचक नजर आ रहा है?
दरअसल, यह फिल्म 80 के दशक पर सेट है. और उस दौर में इस तरह का ही मिजाज होता था. लोगों का. तो वे सारी बातों को ध्यान में रख कर हमने फिल्म का पोस्टर जारी किया है. मुझे लगता है कि दर्शकों को भी फिल्म पसंद आनी चाहिए. लेकिन कोई दावा नहीं कर सकता अभी से.
हाल ही में आपने आइ कैन दू डैट का सफर टीवी पर तय किया. कैसा रहा अनुभव?
मुझे टीवी हमेशा इंस्पायर करता है. खासतौर से आइ कैन दू डैट बिल्कुल अलग शो रहा. इसमें दुनिया की कई नयी चीजें देखने को मिली. सीखने को मिली. यह शो देख कर कितनी प्रेरणा मिली है कि कोई इंसान जिसे बिल्कुल पता नहीं है उस विधा के बारे में. लेकिन वह किस तरह सीखता है.फिर उसको परफॉर्म करते हैं. आसान काम नहीं है. टीवी पर आकर करना बहुत कठिन है. मैं शॉक्ड था, लोगों के परफॉरमेंस को देख कर.
मर्द को लेकर किस तरह और काम किये जा रहे हैं?
और भी कई इनिशियेटिव लिये जा रहे हैं. हम दिसंबर तक एक ऐसा डियोडेरेंट लांच कर रहे हैं, जिसमें लड़कों को लड़कियों के रिस्पेक्ट की बात समझायेंगे. और उसकी कमाई से चैरिटी होगी और इस तरह के और भी कई इनिशियेटिव ले रहे हैं.
अमिताभ बच्चन से क्या क्या सीखने का मौका मिला?
लक्ष्य के वक्त भी अमितजी के साथ जुड़ा था. उस दौर से लेकर अबतक मैंने देखा है कि अमितजी की एक चीज नहीं बदली वह यह है कि वह आज भी अनुशासित हैं और उनमें सीखने की भूख अब भी जारी है. काफी कुछ सीखने का मौका मिलता है. उनसे. मेरे पिताजी और उनके दौर की कई सारी कहानियां भी वे शेयर करते हैं. लेकिन मैं उन्हें यहां शेयर नहीं कर सकता.

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