अलीशा चिनॉय ने इस बात का खुलासा किया कि उन्हें फिल्म बंटी बबली के गीत कजरारे के लिए केवल 15 हजार रुपये फीस के रूप में मिले थे. उन्होंने गुस्से में आकर यशराज को वह चेक लौटा भी दिया था. लेकिन यशराज ने उन्हें फिर से वह चेक वापस कर दिया था.अलीशा बताती हैं कि उन्हें इससे अधिक अफसोस इस बात का हुआ था कि वे जब भी इन गीतों को किसी समारोह में गाती हैं. आॅरगनाइजर उनसे कहते हैं कि वे इस गीत को न गाएं, क्योंकि यशराज वाले बाद में उनसे काफी रॉयल्टी फीस वसूलते हैं. सिर्फ यशराज ही नहीं, बल्कि एक बड़ी म्यूजिक कंपनी के बारे में भी यह खबर लोकप्रिय है कि वह छोटे छोटे गांवों और शहरों के होटलों पर भी पैनी नजर रखती है, और इस बात का रिकॉर्ड रखती है कि क्या वहां उस कंपनी के गाने बज रहे हैं. और अगर उन्हें जानकारी मिले तो वह रॉयल्टी फीस लेने से नहीं चूकती. सोनू निगम ने कई अरसे तक रॉयल्टी के लिए अपनी लड़ाई लड़ी है. लेकिन अब भी गायक-गायिकाओं को उनकी फिल्मों के गीतों की रॉयल्टी नहीं मिलती. अलीशा जिस दौर में कजरारे गीत को अपनी आवाज देने के लिए तैयार हुई थीं. उस दौर में वे लोकप्रिय गायिकाओं में से एक थीं. उस दौर में म्यूजिक वीडियो एलबम इस तरह के बेहतरीन गायक गायिकाओं का एक खास माध्यम था, आमदनी का. लेकिन उस दौर में भी उन्हें मामूली सी फीस देना उनका अनादर ही था. लता मंगेशकर शायद इस बात से वाकिफ होंगी सो उन्होंने अपनी लड़ाई लड़ी भी और जीती भी. उन्हें उनके गीतों की रॉयल्टी मिलने भी लगी. लेकिन एक बड़ा वर्ग है गायक-गायिकाओं का. उन्हें आज भी रॉयल्टी नहीं मिलती. जबकि म्यूजिक कंपनियां उनके नाम पर कमाई कर रही है. इस सिस्टम में बदलाव होने ही चाहिए. लेकिन आने वाले समय में तो खास बदलाव की गुंजाईश नहीं दिखती.
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20151216
गायक-गायिकाएं व रॉयल्टी
अलीशा चिनॉय ने इस बात का खुलासा किया कि उन्हें फिल्म बंटी बबली के गीत कजरारे के लिए केवल 15 हजार रुपये फीस के रूप में मिले थे. उन्होंने गुस्से में आकर यशराज को वह चेक लौटा भी दिया था. लेकिन यशराज ने उन्हें फिर से वह चेक वापस कर दिया था.अलीशा बताती हैं कि उन्हें इससे अधिक अफसोस इस बात का हुआ था कि वे जब भी इन गीतों को किसी समारोह में गाती हैं. आॅरगनाइजर उनसे कहते हैं कि वे इस गीत को न गाएं, क्योंकि यशराज वाले बाद में उनसे काफी रॉयल्टी फीस वसूलते हैं. सिर्फ यशराज ही नहीं, बल्कि एक बड़ी म्यूजिक कंपनी के बारे में भी यह खबर लोकप्रिय है कि वह छोटे छोटे गांवों और शहरों के होटलों पर भी पैनी नजर रखती है, और इस बात का रिकॉर्ड रखती है कि क्या वहां उस कंपनी के गाने बज रहे हैं. और अगर उन्हें जानकारी मिले तो वह रॉयल्टी फीस लेने से नहीं चूकती. सोनू निगम ने कई अरसे तक रॉयल्टी के लिए अपनी लड़ाई लड़ी है. लेकिन अब भी गायक-गायिकाओं को उनकी फिल्मों के गीतों की रॉयल्टी नहीं मिलती. अलीशा जिस दौर में कजरारे गीत को अपनी आवाज देने के लिए तैयार हुई थीं. उस दौर में वे लोकप्रिय गायिकाओं में से एक थीं. उस दौर में म्यूजिक वीडियो एलबम इस तरह के बेहतरीन गायक गायिकाओं का एक खास माध्यम था, आमदनी का. लेकिन उस दौर में भी उन्हें मामूली सी फीस देना उनका अनादर ही था. लता मंगेशकर शायद इस बात से वाकिफ होंगी सो उन्होंने अपनी लड़ाई लड़ी भी और जीती भी. उन्हें उनके गीतों की रॉयल्टी मिलने भी लगी. लेकिन एक बड़ा वर्ग है गायक-गायिकाओं का. उन्हें आज भी रॉयल्टी नहीं मिलती. जबकि म्यूजिक कंपनियां उनके नाम पर कमाई कर रही है. इस सिस्टम में बदलाव होने ही चाहिए. लेकिन आने वाले समय में तो खास बदलाव की गुंजाईश नहीं दिखती.
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