ऐंग्री इंडियन गॉडेस महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण फिल्म है। फिल्म की कहानी 6 महिलाओं की जिंदगी से शुरू होती है जिनके पास धन की कमी नहीं है। लेकिन सभी जिंदगी से खुश नहीं है। इसी दौरान एक दोस्त की शादी में सभी एकत्रित होते हैं। और उनकी जिंदगी के गम दर्शकों के सामने एक एक कर जाहिर होने लगते हैं।एक लक्ष्मी का किरदार भी है। लक्ष्मी फ्रीडा की देख रेख करती है। उसके भाई की मौत उसकी आंखों के सामने होती है और वह तय करती है कि वह भाई के खूनी से बदला लेकर रहेगी। इस फिल्म जिस तरह से महिलाओं की जिंदगी के अहम पहलुओं को सामने प्रस्तुत करती है।वह दिल को छूती है। एक महिला कितनी भी बड़ी कामयाबी हासिल क्यों न कर ले। इसके बावजूद उसके किस तरह तंज़ सहने पड़ते हैं। क्यों लोग उन्हें भोग की नजर से ही देखते हैं। और वह किस हद तक उन्हें चोट पहुंचाता है।वह किस तरह टूटती हैं और खुद को निहत्था महसूस करती हैं।इस फिल्म में इसे बखूबी और बारीकी से दर्शाया गया है। गोवा में आये दिन सागर किनारे होने वाली बलात्कार के बाद हत्याओं के मुद्दे पर भी प्रकाश डालती है। और उसपर पुलिस प्रशासन का महिलाओं के प्रति गलत और बेबुनियाद कटाक्ष की दास्तां को भी दर्शाता है।इन दिनों किसी भी बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए भी महिलाओं के कपड़े और उनके देर रात तक घूमने फिरने को लेकर साधू संतों की बयानबाजी होती है। इस मसले को भी गहराई से फिल्म में दर्शाया गया है। और सारी परेशानियों से जूझते हुए , किस तरह महिला हथियार उठाने पर विवश होती है। यह भी इस फिल्म का एहम हिस्सा है। इस लिहाज से फिल्म में ऐसी कई घटनाएं हैं जो आपको आपके आस पास की लगती है। समलैंगिक के मुद्दे लेकर भी लोगों की क्या दोहरी राय है और किस तरह लोगों के मन में उन्हें लेकर दुर्व्यवहार है।इस मुद्दे पर भी निर्देशक अपनी पैनी नजर रखती हैं। एक बड़ी कामयाबी इस फिल्म की यह है कि सभी कलाकारों के चेहरे मुख्यधारा में दिखने वाले चेहरे नहीं हैं। संध्या मृदुल स्वाभिमान जो उनका पहला शो था उस दौर से लेकर अबतक खुद को बेहतरीन तरीके से साबित कर रही हैं और उन्हें अपनी सारी कलाकार का सहयोग भी बखूबी मिला है। इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस से अधिक महिलाओं के दिलों में दस्तक देना जरूरी है। ऐसी फिल्मों का निर्माण होते रहना आवश्यक है।
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