इंडिया गॉट टैलेंट जैसे शो की जज बनने के बाद इस बार सोनाली बेंद्रे जीटीवी के शो इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज में जज की भूमिका निभा रही हैं. वे बेहद खुश हैं, चूंकि उन्हें बच्चों में नये नये टैलेंट नजर आ रहे हैं. कैसा है जीटीवी का उनका यह सफर. बता रही हैं खुद सोनाली बेंद्रे. फिल्मों से विराम लेकर टीवी पर लगातार सक्रिय हैं सोनाली
सो नाली बेंद्रे पिछले कई सालों से टीवी पर सक्रिय रही हैं. वे लगातार कई शोज की जज बन कर दर्शकों का भरपूर प्यार हासिल करती रही हैं. भले ही सोनाली फिल्मों से दूर हैं. लेकिन दर्शक उन्हें अभी भी बेहद पसंद करते हैं और खासतौर से उनकी मुस्कान को. पेश है सोनाली से बातचीत के मुख्य अंश
सोनाली, इससे पहले भी आप टीवी में सक्रिय रही हैं. इंडिया गॉट टैलेंट में काफी लंबे समय तक आपने जज की भूमिका निभायी. लेकिन इस साल आप इस शो में नजर नहीं आयीं. कोई खास वजह.
नहीं ऐसी कोई खास वजह नहीं. हां, लेकिन जज बन कर केवल जज की कुर्सी संभालना ही रियलिटी शोज के जज की भूमिका नहीं होती. इसमें भी तो क्रियेटिविटी होती है. मैं पिछले कई सालों से इंडिया गॉट के साथ थी. लेकिन अब कुछ नया करना चाहती थीं तो ड्रामेबाज से नयी शुरुआत की.
ड्रामेबाज बिल्कुल अनोखे तरह का शो लग रहा है. बच्चे तरह के करतब दिखा रहे हैं. क्या आशाएं हैं आपको क्या ऐसे शोज से निकले बच्चे वाकई इंडस्ट्री में पहचान बना पायेंगे.
हम सबकी यही परेशानी है. हम बचपन से ही बच्चों को बड़े बड़े सपने. हारना जीतना सीखा देते हैं. बच्चे कामयाब होंगे या नहीं. इंडस्ट्री में काम मिलेगा या नहीं. यह सब सोचने लगते हैं. लेकिन हकीकत यह है कि ऐसे शोज का यह उद्देश्य नहीं होना चाहिए. मैं इस शो के साथ हूं. क्योंकि मुझे लगता है कि इस शो से कुछ ऐसे बच्चे सामने आयेंगे जो अपनी प्रतिभा से सबको दिखायेंगे कि वे भी अभिनय कर सकते हैं अगर उन्हें सही प्लेटफॉर्म मिले तो. तो हमारी बस यही कोशिश है. शेष मुझे लगता है कि बच्चों को ज्यादा पॉलिश न करें. वे जैसे हैं उन्हें रहने दें. मासूमियत उनकी सबसे बड़ी पूंजी है. उन्हें खोने न दें. फिर बाकी पूरी जिंदगी है कांप्टीशन के लिए. मैं देखती हूं. ऐसी कई मां आती हैं. पेरेंट्स आते हैं जो बच्चों से अत्यधिक की उम्मीद लगा लेते हैं. ऐसे में उन पर प्रेशर बनता है और हमारे बस में भी तो नहीं कि हम सभी को ले लें. ऐसे में मैं गुजारिश करती हूं पेरेंट्स से कि अपने बच्चों को समझे.
तो सोनाली क्या आपको भी बचपन से ही किसी अभिनय के कीड़े ने काट लिया था?
जी बिल्कुल. मुझे भी बचपन से ही गलतफहमी हो गयी थी कि मैं बहुत अच्छी एक्टिंग कर सकती हूं और हीरोइन का मतलब होता है. सजना संवरना. चौबीस घंटे खुद को निहारती रहती थी. जब इस इंडस्ट्री में आयी लोगों ने खूबसूरती की तारीफ कर दी तो और सातवें आसमान पर रहने लगी थी, लगा एकदम टॉप की हीरोइन बन जाऊंगी. बाद में एहसास हुआ कि खूबसूरत दिखना ही अभिनय नहीं. धीरे धीरे बारीकियों को समझा और लगता है अब कि अभी भी सीख रही हूं.
इन दिनों आप फिल्मों से काफी दूर रहती हैं. कोई खास वजह?
नहीं ऐसा नहीं हैं. इन दिनों जिम्मेदारियां ज्यादा है. घर परिवार. टीवी. सब देखना है. और मुझे टीवी के माध्यम में मजा आ रहा है. फिलवक्त कर रही हूं मिलन लूथरिया की फिल्म वन्स अपन. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि और भी फिल्में करूंगी. अच्छे किरदार मिलेंगे तो करूंगी. वैसे गोल्डी क े साथ उनके प्रोडक् शन के काम पर पूरा ध्यान देती हूं.
आपके को जज विवेक ओबरॉय और अनुराग बसु के साथ कैसी जम रही है?
विवेक को लंबे अरसे से जानती हूं. अनुराग दादा को हाल ही में जाना. लेकिन उनकी फिल्म बर्फी देखी थी. बहुत पसंद आयी थी. मुझे पता नहीं था कि वह इतने फनी हैं. मुझे लगा था सीरियस होंगे. लेकिन दोनों के साथ ही खूब मजा आता है. दोनों कभी कभी मेरी खूब खिंचाई करते हैं. लेकिन अनुराग दा के पास अच्छी समझ है. मुझे उनका काम पसंद है. विवेक अच्छे अभिनेता हैं और हम तीनों की ही अच्छी जमती है.
बच्चपन परिवार से आप काफी नजदीकी रही हैं. तो आराध्या से मिल कर कैसा लगता है?
ओह शी इज सो क्यूट और बेहद प्यारी लगती है वह मुझे. मुझे खुशी है कि उसकी मम्मी ऐश उसका बहुत अच्छे से ख्याल रखती है और आराध्या भी बड़ी होकर ऐश की तरह ही बेहद सुंदर होगी. मेरे विशेज हमेशा उनके साथ हैं और हमेशा रहेंगे.
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