आम आदमी को लेकर एक खास फिल्म बनानेवाले निर्देशक नीरज पांडे फिल्म मेकिंग को लेकर अलग सोच रखते हैं. अ वेडनेस डे से ही नीरज पांडे ने खुद को साबित कर दिया था. और अब वे अपनी दूसरी फिल्म स्पेशल 26 में भी कुछ अलग कमाल दिखा रहे हैं. फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है. नीरज इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित हैं
अ ावेडनेस डे से ही नीरज ने खुद को स्थापित कर लिया था. फिल्म कर्मिशयल रूप से भले ही हिट नहीं रही. लेकिन फिल्म को समीक्षकों से काफी सराहना मिली थी. इस बार नीरज स्पेशल 26 लेकर आ रहे हैं और अरसे बाद एक साथ कई बेहतरीन कलाकार साथ साथ नजर आ रहे हैं. फिल्म इसी हफ्ते रिलीज हो रही है. बातचीत नीरज से
आपकी पहली फिल्म अ वेडनेस डे के बाद आप अचानक से गायब हो गये थे. इतने सालों के बाद फिर दूसरी फिल्म लेकर आये. लंबे अंतराल की कोई खास वजह?
अच्छे काम में वक्त तो लगता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि स्पेशल 26 की स्क्रिप्ट अ वेडनेस डे से पहले लिखी गयी थी. लेकिन उस वक्त लगा कि पहले वह बनानी चाहिए तो वह बनाया. वैसे वेडनेस डे को आये भी सिर्फ 2 साल ही हुए हैं और एक फिल्म को बनने में कम से कम इतना वक्त तो लग ही जाता है. जहां तक बात है फिल्मों की संख्या की तो एक बात तो तय है कि मैं धराधर फिल्में नहीं बना सकता.
स्पेशल 26 की कहानी कैसे जेहन में आयी?
मैंने अखबारों में इस बारे में पढ़ा था कि खासतौर से मुंबई में झावेरी बाजार में ऐसे कुछ आॅफिसर थे जो नकली सीबीआइ बन कर छापे मारते थे और पॉलिटिशयन और खासतौर से भ्रष्ट नेताओं को लूट कर ले जाते थे. हाल ही में फिर से एक अखबार ने कुछ वैसे ही ठग लोगों पर स्टोरी की थी तो वही से इंस्पेरेशन मिली लगा कि इस पर कहानी कही जानी चाहिए. हां, इस बार मैंने अपनी शैली सीरियस नहीं. हास्य रखी.
लेकिन बॉलीवुड में इससे पहले बंटी बबली जैसी फिल्मों में भी तो ठगी के किस्से सुनाये गये हैं?
यह हमारे बॉलीवुड की परेशानी है कि हम फिल्म देखे बिना मान लेते हैं कि यह फिल्म उससे मेल खाती है. अगर लव स्टोरी की बात की जाये तो बहुत सारी बनी है न. फिर ठग वाली स्टोरी एक ही कैसी होगी. बंटी बबली काल्पनिक थी. यह सच्ची घटनाओं पर है.
अ वेडनेस डे में आपने किसी बड़े स्टार को नहीं लिया था. तो इस बार अक्षय कुमार के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा और अक्षय का ही चुनाव क्यों किया?
मैं अक्षय की सारी फिल्में देखता हूं. एक तो मैं मानता हूं कि वे ऐसे किरदार बखूबी निभा सकते हैं. उनके चेहरे पर वह कांफिडेंस है. जो मुझे इस किरदार के लिए चाहिए था. हां, लेकिन जिस निर्देशक की एक फिल्म आयी है. उसके लिए यह कठिन जरूर होता है कि वह किसी स्टार को मनाये. मैंने जब अक्षय को स्क्रिप्ट भेजी थी तो उन तक पहुंच ही नहीं पायी थी. फिर मैंने बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें तो स्क्रिप्ट मिली ही नहीं है. फिर मैंने उनको जब स्क्रिप्ट दिया तो वे कहानी को पहली बार समझ ही नहीं पाये थे. उन्होंने मुझसे लगभग 4-5 महीने का वक्त मांगा. फिर इस कहानी को समझा. जब वे संतुष्ट हो गये तो उन्होंने हां कही. जहां तक बात है उनके साथ काम करने के अनुभव को लेकर तो अक्षय खुद ही कई इंटरव्यूज में यह बता चुके हैं कि उन्होंने कोई होमवर्क नहीं किया था. उनको मैंने जैसा जैसा कहा. उन्होंने वही किया. कोई ना नुकुर नहीं की. कोई स्टारडम नहीं था. अक्षय की खास बात जो मुझे लुभा गयी वह यही कि वे नये निर्देशक के साथ भी सामान्य व्यवहार रखते हैं. वे निर्देशक का सम्मान करते हैं और स्क्रिप्ट को अहमियत देते हैं.
फिल्म का शीर्षक थोड़ा अलग है?
आप जब फिल्म देखेंगी तो आप खुद समझ जायेंगी कि फिल्म का शीर्षक ऐसा क्यों है. दरअसल, फिल्म का एक संवाद है. जिसमें अक्षय कहते हैं कि हम हैं स्पेशल 26 और 26 से जुड़े और भी कई कारनामें हैं फिल्म में जो कि आप जब देखेंगे तो आपको खुद समझ में आ जायेगा.
अरसे बाद मनोज बाजपेयी, जिम्मी शेरगिल और अनुुपम साथ काम कर रहे हैं.
मैंने जिम्मी और अनुपम जी के साथ तो पहले भी काम किया है और ये मेरे दोस्त जैसे हैं. वे मुझे काफी गाइड करते हैं. अनुपम जी तो खासतौर से मुझे बहुत प्रोत्साहित करते हैं. मनोज जी के साथ पहली बार काम कर रहा हूं. और वे काफी टैलेंटेड है. अच्छा लगता है कि बतौर निर्देशक आप अच्छे कलाकारों को अपनी फिल्म के लिए कंविंस कर पाते हैं. मतलब निर्देशक के कुछ गुण तो हैं मुझमें. काफी मजेदार टीम रही है. फिल्म में काफी मजा आयेगा लोगों को.
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