20130330

छोटे परदे का बड़ा कैनवास


 इन दिनों टेलीविजन पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक सरस्वतिचंद्र की काफी चर्चा है. चर्चा का खास विषय यही है कि इस शो के लोकेशन व सेट को भव्य तरीके से बनाया गया है. और इसके निर्माता हिंदी फिल्मों के जाने माने शख्सियत संजय लीला भंसाली हैं. संजय लीला भंसाली का नाम जुड़ जाने भर से ही इस शो के कलेवर की परिकल्पना कर ली जा सकती  है. चूंकि संजय पेशे से भले ही निर्देशक हैं. लेकिन वे चित्रकार भी हैं और जब भी उन्हें मौका मिलता है. वे अपनी कला को अपने सृजनशीलता में जरूर मिलाते हैं. सरस्वतिचंद्र के कलाकारों को हटा दें तो साफतौर पर यह शो किसी फिल्म की तरह ही है. शो में खास तरीके का बैकग्राउंड स्कोर है. कलाकारों के बोलने के अंदाज भी, कॉस्टयूम सभी चीजों में भव्यता दी गयी है. इससे पहले शोभा सोमनाथ नामक धारावाहिक में भी इसी तरह फिल्मों के स्तर का प्रोडक् शन किया गया था. धारावाहिक मुक्ति बंधन में उनमें से एक है. स्पष्ट है कि अब वाकई छोटा परदा भी छोटा परदा नहीं रहा है. अब छोटे परदे पर भी निर्माता निर्देशक फिल्मों की तरह निवेश कर रहे हैं, चूंकि उन्हें वह निष्कर्ष नजर आ रहा है कि किस तरह इस तरह के धारावाहिक पसंद किये जा रहे हैं. टेलीविजन पर यूं तो कई तरह के उपन्यासों पर आधारित धारावाहिक की प्रस्तुति होती रहती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में धारावाहिकों को सेट के आधार पर भव्यता देकर टेलीविजन ने जोखिम भरा काम तो किया है. लेकिन साथ ही साथ उन्होंने साबित किया है कि अच्छी टीम हो तो टेलीविजन में भी क्रियेटिविटी दिखाने के कई मौके मिल सकते हैं. संजय लीला भंसाली फिल्में बनायें या धारावाहिक वे अपनी सृजनशीलता की अदभुत मिसाल कायम करते ही हैं और छोटे परदे पर बड़ा कैनवास प्रस्तुत करते ही हैं और यह सकारात्मक संकेत हैं विकास के.

1 comment:

  1. बड़े निर्देशकों का स्वागत कला के विकास विस्तार के लिए स्वागतेय .

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