20120605

गली मोहल्ले के विक्की, पान सिंह




फिल्म  विक्की डोनर को  रिलीज हुए लगभग एक  महीने हो चुके हैं. पान सिंह
तोमर उससे भी पहले रिलीज हुई थी. लेकिन  इसके  बावजूद अब भी फिल्म के नायक  विक्की  व पान सिंह तोमर दर्शकों के  जेहन में तरोताजा हैं. जबकि इन दिनों किसी  फिल्म की  कहानी १५ दिनों तक भी याद  रह जाये 
तो काफी  है. किरदारों के तो नाम भी याद नहीं रहते. विशेष कुर तब जब
किसी फिल्म में नायक कोई सुपरसितारा न हो. लेकिन पिछले दिनों
रिलीज हुई कुछ  फिल्मों के  आम किरदारों ने भी यह साबित कर दिया है कि वे आम होकर  भी खास हैं.  इस वीकेंड मुंबई के  एक  मॉल   में एक उच्च स्तरीय परिवार की  बातें सुन कर  तो कम से  कुम इस बात की पुष्टि हो गयी  कि अब फिल्मी नायकों को  लोकुप्रिय होने के लिए केवल सुपरसितारा haisiyat  की  जरूरत नहीं. उस मॉल  में  वीकेंड मस्ती कर  रहे परिवार का  एक  छोटा सा बच्चा धमाचौकड़ी कर   रहा था. बच्चे की माँ बार
बार उसे समझा रही  थी, बेटा...इतनी तेज मत दौड . चोट लग जाएगी..लेकिन 
बच्चा अपनी मस्ती में मदमस्त था. ऐसे में अपने परिवार के अन्य 
सदस्यों से  बच्चे की  माता ने कुहा. लगता है बड़ा  होकर  पान सिंह तोमर
बनेगा. देख रही हो.. किस रफ्तार में दौडता है. अपने बेटे के  भविष्य
में किसी फिल्मी किरदार  की परिकुल्पना ही यह  दर्शाती  है कि आज आम
किरदार भी किस तरह हर वर्ग के लोगों को  आकुर्षित कर  रहे हैं.
हालांकि पान सिंह वास्तविक व्यक्ति  हैं. लेकिन फिल्म बनने से पहले
उन्हें शायद ही लोग इतनी गहराई से जानते थे.  लेकिन अभिनेता इरफान के  जीवंत
अभिनय ने मल्टीप्लेक्स के दर्शकों को भी अपना मुरीद बना लिया है. कुछ इसी  तरह फिल्म विक्की  डोनर विक्की इन दिनों दर्शकों का पसंदीदा किरदार बन चुका है.  वर्तमान में जिन लड़कों के नाम विक्की हैं. वे अपने दोस्तों
के  बीच हीरो बन गए हैं . सभी उन्हें विक्की  डोनर ही बुलाते हैं.फेसबुक  पर विक्की डोनर को  लेकर  कई  जोक्स इजाद हो गए हैं. कई लड़कियां  जो सलमान की बौडी की फैन हैं उन्हें भी विक्की जैसा नेकदिल बंद ही पाती के रूप में चाहिए.  कई वैसी लड़कियां जिन्हें माँ बनने में परेशानी हैं. वह भी यही ख्वाहिश रखती हैं कि काश उनकी जिंदगी में कोई ऐसा फ़रिश्ता आ जाता. उनके लिए तो विक्की उस नायक से कम नहीं जो किसी मुसीबत में एक लड़की को बचाने के लिए शानदार स्टंट करते हैं और जान की बाजी लगा देते हैं. दरअसल यही हक्कीकत है कि आज भले ही सुपर सितारा वाली फिल्में १०० करोड़ का आंकड़ा पार कर रही हों. बौक्स ऑफिस पे. लेकिन  छोटी फिल्मों के किरदार और नायक भी अब लोकप्रियता में वही प्रतिशत हासिल कर रहे हैं. अगर लोगों को सलमान खान पसंद आ रहे हैं. बॉडी गार्ड के रूप में तो उन्हें पान सिंह तोमर की संघर्ष भी उतनी ही प्रिय लग रही है. बच्चों को रा वन पसंद आ रही है. शाहरुख़ खान वाली तो वे  चिल्लर पार्टी भी पसंद कर रहे हैं. कुछ  दिनों पहले आई फिल्म बिट्टो बॉस भले ही सफल नहीं हो पाई. लेकिन फिल्म के किरदार बिट्टो को लोगों ने पसंद किया. खासतौर से गावं कसबे के लोगों ने.  लोकप्रियता का आलम यह है कि लोग इनदिनों हर शादी का वीडियो बनानेवाले को बिट्टो ही बुलाते हैं. खुद विडियो बनाने वालों ने भी खुद के साथ बिट्टो जोड़ लिया है. इससे यह साबित होता है कि ये आम किरदार भी अब गली मोहल्ले में रहने वाले सिने प्रेमियों की पसंद बन गए हैं. साथ ही मॉल में मस्ती करने वालों के लिए भी यह खास किरदार हैं. सच्चाई यही है इनदिनों, लोगों की नजर में एक हीरो की छवि बिलकुल बदल चूकि है. वे भले ही सिनेमई अंदाज़ वाले फैंटेसी नायकों की भी वाहवाही करें. लेकिन छोटे छोटे प्यारे से कारनामे करने वाले नायकों के लिए भी दर्शकों के दिलों में खास जगह है. पान सिंह और विक्की जैसी फिल्मों की माउथ पब्लिसिटी से मिली कामयाबी इसी बात का प्रमाण है. दरअसल यह दर्शाता है कि अब वर्तमान में दर्शक  आम किरदार में भी अपना हीरो तलाश रहे
हैं. अब यह जरूरी नहीं कि केवल मारधाड, एक् शन, स्टंट या रोमांटिक  गाने, स्टाइलिश कपड़े  पहननेवाले ही हीरो हैं, बल्कि वे आम नायक जो कोई  भी छोटा लेकिन दिल को  छू लेनेवाले कारनामे करते  हैं. वे भी
नायक  बन जाते हैं. और ऐसे नायक  गली, गांव-कसबे क हीं भी हैं. 
दर्शकों की  नजर में वही  सुपरसितारा हैं. यह  हिंदी सिनेमा के लिए सकारात्मक सोच का सूचक है. यह दर्शाता है कि आने वाले सालों में निर्देशक खुद से गधे गए आम किरदारों के साथ भी फिल्में बनाने का रिस्क उठा सकते हैं. 

1 comment:

  1. नायक की छवि बदलती रही है, कभी हम नायक में खुद को ढूंढते हैं और कभी खुद में नायक को|यूं भी आजकल मार्केटिंग में 'small is big' फार्मूला हित है, फिट है|

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