अकसर मनोज बाजपेयी अपनी फिल्मों में नये लुक के साथ नजर आते हैं. गैंग्स ऑफ वासेपुर में वे एक माफिया की भूमिका निभा रहे हैं. यह एक ऐसे व्यक्ति का किरदार है,जिसके नाम से वासेपुर के लोग डर से कांपते हैं.
* इससे पहले भी कई फिल्मों में आपका और अनुराग कश्यप का साथ रहा है. लेकिन लंबे अरसे के बाद आप दोनों इस फिल्म में जुड़े. यह संयोग कैसे बना?
यह सच है कि इस फिल्म में मैंने और अनुराग ने लंबे अरसे बाद साथ काम किया है, लेकिन हमारा जुड़ाव हमेशा ही बना रहा है. उनकी फिल्में देखने के बाद मैं अकसर उन्हें फोन करता था. जब अनुराग ने गैंग्स ऑफ वासेपुर की स्क्रिप्ट तैयार की, उसी वक्त मुझे फोन पर इस बारे में थोड़ा ब्रीफ कर दिया था. उन्होंने मुझे बताया था कि अपनी फिल्म के अहम किरदार में लेना चाहते हैं. मैंने पूरी स्क्रिप्ट सुनी और हां कह दिया.
* फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताएं?
यूं तो लोग गैंग्स ऑफ वासेपुर के बारे में कई तरह की बातें बनाते आ रहे हैं. कोई कहता है कि यह फिल्म कोल माफिया पर बनी है, तो कोई इसके बारे में कुछ और कहता है. हकीकत यह है कि यह फिल्म सिर्फ कोल माफिया पर नहीं, बल्कि तीन जेनरेशन की कहानी पर आधारित है. पारिवारिक रंजिश की वजह से जो माहौल तैयार होता है, उस पर आधारित है सरदार खान का मेरा किरदार. फिल्म में यह ऐसा किरदार है, जिसे देखकर आपको एक बार गुस्सा भी आयेगा और फिर अचानक उससे प्यार भी हो जायेगा.
* फिल्म वास्तविक घटना पर आधारित है. बतौर कलाकार, ऐसे किरदार निभाने में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
मेरे ख्याल से वास्तविक किरदारों को निभाने में ज्यादा आसानी होती है. इसका कारण यह है कि आपके पास रिसर्च सामग्री ज्यादा होती है. बस उसी रिसर्च के आधार पर आप अपनी सोच गढ़ लीजिए. वैसे, मुझे इस किरदार के लिए खास तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ी. जब आप अनुराग जैसे निर्देशक के साथ काम करते हैं, तो आपका काम हल्का हो जाता है. वह इतनी डिटेलिंग में हर किरदार को गढ़ते हैं कि किरदार निभाने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती. मैं तो बस उनके पास जाता था. वे जो भी बताते थे, मैं
वैसा ही अभिनय कर देता था.
वैसा ही अभिनय कर देता था.
आप बिहार से हैं, तो क्या क्या आप वासेपुर के बारे में पहले से वाकिफ थे?
हां, वहां के बारे में कुछ बातें तो मैं जानता था, लेकिन मैं कभी वासेपुर गया नहीं. इसलिए बहुत विस्तार में और गहराई से नहीं जानता था. इस फिल्म के दौरान जिस तरह से चीजें सामने आयी हैं. उन्हें देखकर मैं दंग था.
हां, वहां के बारे में कुछ बातें तो मैं जानता था, लेकिन मैं कभी वासेपुर गया नहीं. इसलिए बहुत विस्तार में और गहराई से नहीं जानता था. इस फिल्म के दौरान जिस तरह से चीजें सामने आयी हैं. उन्हें देखकर मैं दंग था.
* आप लगातार नकारात्मक किरदार निभा रहे हैं. इसकी कोई खास वजह?
मेरे लिए नकारात्मक या सकारात्मक भूमिका अहमियत नहीं रखती. अहम है कि मैं जो किरदार निभा रहा हूं, उसकी फिल्म में क्या भूमिका है. फिर चाहे वह राजनीति हो, आरक्षण हो या फिर गैंग्स के सरदार का किरदार.
* एक बार फिर आप गैंगस्टर के रोल में हैं.
हां, मुझे लगता है कि निर्देशक इस बात की समझ अच्छी तरह रखते हैं कि मैं ऐसी भूमिकाएं निभा सकता हूं. फिल्म सत्या का गैंगस्टर और गैंग्स.. का गैंगस्टर बिल्कुल अलग हैं. दोनों में कोई समानता नहीं है. दोनों की तुलना सही नहीं होगी.
* आप बिहार से हैं, लेकिन बिहार पर आधारित फिल्मों में नजर नहीं आते. कोई खास वजह?
नहीं, मैं तो तैयार हूं. जब अच्छी स्क्रिप्ट मिलेगी काम करूंगा. मैं तो भोजपुरी फिल्मों में भी काम करने के लिए तैयार हूं. बशर्ते कि फिल्म की स्क्रिप्ट खास हो और मेरे किरदार में वो बात हो कि लोग कहें कि मनोज ने इसमें भी कमाल किया. अलग तरह से नजर आयें तभी करूंगा वैसी फिल्में.
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