20140531

इतनी खूबसूरती से टीवी पर लखनऊ को किसी ने नहीं देखा होगा : नीलेश



पत्रकारिता, उपन्यास लेखन, फिल्म लेखन व गीतकार के बाद अब नीलेश मिश्र का अगला पड़ाव टीवी है.  नीलेश खुद को कहानीकार ही मानते हैं.रेडियो की दुनिया में भी वे बादशाह हैं. टेलीविजन की दुनिया में वह पहला कदम बढ़ा रहे हैं. लाइफ ओके  पर जल्द ही इस शो का प्रसारण शुरू होगा.  
शो का कांसेप्ट 
मेरे लिए रेडियो की स्टार है. सो, शो का कांसेप्ट भी रेडियो से ही आया है. यह शो स्टोरी टेलर के रूप में होगा. फिक् शन शो होगा.  लेकिन कांसेप्ट वाइज यह रेडियो जैसा होगा.  इसमें सूत्रधार होंगे. निर्णायक होंगे. हम  इस शो के माध्यम से हमारी कविताएं हमारी कहानियों को लाने की कोशिश है. इस शो में ओरिजनल गाने भी होंगे जो हमारी टीम ही लिख रही है. और मेरी कविताएं. हम ओरिन्जनल सांग हो कोशिश करें. हम पहले इस शो के लिए स्टार टीवी से बात कर रहे थे. डिस् कशन चल रहा था. उन्होंने ही कहा कि उन्हें नये कांसेप्ट चाहिए. उन्हें हमने यह आइडिया दिया और उन्हें अच्छा लगा तो इस शो का संयोग बन गया. यह एक लव स्टोरी है जो लखनऊ शहर में आधारित है. इस लव स्टोरी में दो प्रेमी युगल की कहानी दिखाई जायेगी.
टीवी से कतराता था
मैं हकीकत बता रहा हूं कि मैं पहले टीवी से बेहद कतराता था. यही एक माध्यम था, जिसमें मैंने हाथ नहीं आजमाया था. लोग कहते थे कि आजादी छीन जाती है. काफी दखल होती है. लेकिन मैं लकी हूं कि मुझे आजादी मिल रही है. अपने ढंग से इस शो को पूरा संवारने का मौका मिला है. जब मैं इस शो के लिए काम करना शुरू किया तो लगा कि  टीवी के राइटिंग के  अपने ग्रामर हैं. पता नहीं इसमें फिट बैठ पाऊंगा या नहीं.लेकिन मेरे लिए एक्साइटिंग रहा. वक्त पर काम पूरा हो गया है. इस शो को हमारी मंडली ने मिल कर लिखा है. मंडली के कुछ सदस्य मुंबई के हैं तो कुछ बाहर से. हमारी मंडली टीम यादों का इडियटस बॉक्स के माध्यम से ही बनी, जिनमें  आयुष तिवारी, सम्राट चक्रवर्ती, मोहम्मद अदीम, ऋतिविक सीरिज हैं. सम्राट धनबाद है.  आयुष रांची के हैं.
लखनऊ शहर है खास
 इस शो के माध्यम से आप लखनऊ को एक नये नजर से देखेंगे. अच्छा लग रहा था. जहां बचपन बीता है. वही फिर से सूत्रधार के रूप में कैमरे के सामने जाना, फिर परफॉर्म करना. नोस्टोलोजिक रही पूरी जर्नी. उसी  गोमती नगर को कैमरे की नजर से दिखाना अलग अनुभव रहा. जिसे हमेशा देखते रहा हूं. लखनऊ  रोचक शहर लगता है. हम वही बड़े हुए हैं. सो,  इस शहर को उतने ही करीब से देख पाते हैं.  इस शो के माध्यम से लखनऊ के कई चेहरे सामने आये हैं.  एक लखनऊ है जो  नवाबों का लखनऊ है. जहां पर लखनऊ प्रेमियों का जमावड़ा होता है तो दूसरा  लखनऊ के छोड़ पर है. गांव है.  और वह धीरे धीरे शहर बनते जा रहे हैं.  एक शहर होकर भी एक से नहीं है. कुछ बदल रहा है तो कुछ बदलता नहीं चाहता. एक स्टोरीटेलर के लिए इस तरह के दिलचस्प शहर का होना उनकी कहानी को सार्थक बनाता है.  पूरी तरह से डिस्कवर करने का मौका था इस बार अपने शहर को. इस शो के माध्यम से वह सारे दृश्य टीवी पर नजर आयेंगे, जो कि अब से पहले टीवी पर कभी नहीं आये थे.  लखनऊ को टीवी पर इतनी खूबसूरती से कभी किसी ने नहीं देखा होगा. यहां के पार्क यहां की खासियत हैं और जिस तरह वे टीवी पर नजर आयेंगे. इतने सुंदर पहले कभी नहीं लगे होंगे. मुझे शहर की हरियाली देखना.  मॉन्यूमेंट्स को कैमरे की नजर से देखना अदभुत था यह पूरा दृश्य. इसके लिए सिनेमेटोग्राफर ऋषि बधाई के पात्र हैं. साथ ही शो के को प्रोड़ूसर सनसाइन जिन्होंने ना बोले तुम न मैंने कुछ कहा और मिले जब हम तुम जैसे शो का निर्माण किया है. उन्होंने इस कंटेंट को समझा. और खूबसूरती से इसे परदे पर उतारा. 

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