छोटे परदे के लिए हमेशा ही बड़ा परदा बड़ा रहा है. वे हर लिहाज से बड़े परदे को कॉपी करने की कोशिश करते रहते हैं. लेकिन इन दिनों हद हो रही है. इन दिनों टेलीविजन के कुछ धारावाहिकों को छोड़ दें तो लगभग हर धारावाहिक बॉलीवुड के किरदारों या कहानियों की नकल करता नजर आ रहा है. धारावाहिक मधुबाला की जब शुरुआत हुई थी तो एक फिल्म स्टार की जिंदगी पर आधारित थी. इसके दूसरे संस्करण में भी कहानी फिल्मी दुनिया के इर्द गिर्द घूम रही थी कि अचानक ट्रैक बदल दिया गया. इसमें कुछ दिनों तक फिल्म खिलौना की कहानी दिखाई गयी. धारावाहिक बानी में खून भरी मांग की कहानी दिखाई गयी. गौर करें तो ससुराल सिमर का में खलनायक की भूमिका निभा रही महिला की तो वेशभूषा ही पूरी तरह से रामलीला में सुप्रिया पाठक द्वारा निभाये गये किरदार से मेल खाता है. धारावाहिक बेइतहां और रंगरसिया धारावाहिक की कहानी एक सी है और इसमें कई फिल्मों के मिश्रण है. मसलन घरवाली बाहरवाली जैसी फिल्मों की कहानी. तुम्हारी पाखी की कहानी में भी वही ट्रैक चल रहा, जो कि जोधा अकबर में दिखाया जा रहा है. कुछ महीनों पहले बड़े अच्छे लगते में दिखाया जा रहा है. स्पष्ट है कि धारावाहिकों के लेखक जिन्होंने पिछले कुछ सालों में बेहतरीन काम किया है. वे इन दिनों एक दूसरे की नकल करने में लगे हुए हैं और नकल के चक्कर में कहानियों को बुरी शक्ल दे रहे है. यही वजह है कि धीरे धीरे दर्शक खोते जा रहे. जो नये शो आ रहे. उनकी कहानियां भी एक सी ही है. एक मुट्ठी आसमान में भी बदले की आग जल रही है तो एक हसीना में भी वही कहानी दोहरायी जा रही है. फिलवक्त टीवी के लेखकों को सचेत होकर नयी कहानी की खोज करनी चाहिए. इस लिहाज से डोली अरमानों की, दीया और बाती अपने उद्देश्य में कामयाब हो रहे हैं.
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20140531
लोकप्रियता खोते शो
छोटे परदे के लिए हमेशा ही बड़ा परदा बड़ा रहा है. वे हर लिहाज से बड़े परदे को कॉपी करने की कोशिश करते रहते हैं. लेकिन इन दिनों हद हो रही है. इन दिनों टेलीविजन के कुछ धारावाहिकों को छोड़ दें तो लगभग हर धारावाहिक बॉलीवुड के किरदारों या कहानियों की नकल करता नजर आ रहा है. धारावाहिक मधुबाला की जब शुरुआत हुई थी तो एक फिल्म स्टार की जिंदगी पर आधारित थी. इसके दूसरे संस्करण में भी कहानी फिल्मी दुनिया के इर्द गिर्द घूम रही थी कि अचानक ट्रैक बदल दिया गया. इसमें कुछ दिनों तक फिल्म खिलौना की कहानी दिखाई गयी. धारावाहिक बानी में खून भरी मांग की कहानी दिखाई गयी. गौर करें तो ससुराल सिमर का में खलनायक की भूमिका निभा रही महिला की तो वेशभूषा ही पूरी तरह से रामलीला में सुप्रिया पाठक द्वारा निभाये गये किरदार से मेल खाता है. धारावाहिक बेइतहां और रंगरसिया धारावाहिक की कहानी एक सी है और इसमें कई फिल्मों के मिश्रण है. मसलन घरवाली बाहरवाली जैसी फिल्मों की कहानी. तुम्हारी पाखी की कहानी में भी वही ट्रैक चल रहा, जो कि जोधा अकबर में दिखाया जा रहा है. कुछ महीनों पहले बड़े अच्छे लगते में दिखाया जा रहा है. स्पष्ट है कि धारावाहिकों के लेखक जिन्होंने पिछले कुछ सालों में बेहतरीन काम किया है. वे इन दिनों एक दूसरे की नकल करने में लगे हुए हैं और नकल के चक्कर में कहानियों को बुरी शक्ल दे रहे है. यही वजह है कि धीरे धीरे दर्शक खोते जा रहे. जो नये शो आ रहे. उनकी कहानियां भी एक सी ही है. एक मुट्ठी आसमान में भी बदले की आग जल रही है तो एक हसीना में भी वही कहानी दोहरायी जा रही है. फिलवक्त टीवी के लेखकों को सचेत होकर नयी कहानी की खोज करनी चाहिए. इस लिहाज से डोली अरमानों की, दीया और बाती अपने उद्देश्य में कामयाब हो रहे हैं.
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