हॉलीवुड के सुपरस्टार ह्मुग जैकमैन एक बार फिर से वोल्वोरिन में सुपरहीरो की भूमिका निभाने जा रहे हैं. वोल्वोरिन सीरिज की यह सातवीं कड़ी है. जैकमैन वह पहले अभिनेता हैं, जिन्होंने एक ही सुपरहीरो का किरदार सबसे ज्यादा बार निभाया है. वोल्वोरिन की पिछली सारी कड़ियां हिट रही हैं. लेकिन एक अभिनेता के रूप में जैकमैन क्या कभी उस एक किरदार से बोर नहीं होते होंगे. यह सवाल जब जैकमैन से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि वह इसके लिए फिल्म के लेखक और निर्देशक की सोच की दाद देना चाहेंगे जो उन्हें हर बार कुछ नया करने का मौका देते हैं. एक अभिनेता के तौर पर वह किरदार का नाम या सीरिज नहीं देखते, बल्कि यह देखते हैं कि उस किरदार के पास कितने कांफिलिक्टस हैं और कितने आॅब्सटेकल्स हैं. दरअसल, हॉलीवुड की सीरिज फिल्मों की सफलता का राज यही है. वहां की कहानियों में निर्देशक व लेखक इतने ताने बाने बुनते हैं कि एक किरदार को भी बार बार उसे निभाना अच्छा लगता है और दर्शकों को भी एक किरदार के कई अवतार देखने में आनंद आता है. हम प्राय: रोना रोते हैं कि हमारे पास हॉलीवुड की तरह तकनीक नहीं, लेकिन कहानी के आधार पर तो हम हॉलीवुड की बराबरी कर ही सकते हैं. फिर क्यों हमारे यहां सीरिज में बननेवाली फिल्में धराशायी हो जाती हैं. हम कृष के पहले और तीसरे संस्करण में क्यों कई परत या कोई नयी और अनोखी चीज नहीं देख पाते, जो कि उन्हें एक दूसरे से अलग करें. ऐसा कर पाना निश्चय ही संभव है. चूंकि यहां बात कहानी की है. कहानी में ही अगर किरदार को कई परतों में अपने अभिनय को दर्शाने का मौका मिले तो फिर वाकई किरदार भी उसे जीवंत तरीके से निभाना पसंद करता है और उसमें कोई नयापन ला पाने में कामयाब होता है. सोच के आधार पर बॉलीवुड हॉलीवुड की बराबरी तो कर ही सकता है.
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20140531
हॉलीवुड की सीरिज िफल्में
हॉलीवुड के सुपरस्टार ह्मुग जैकमैन एक बार फिर से वोल्वोरिन में सुपरहीरो की भूमिका निभाने जा रहे हैं. वोल्वोरिन सीरिज की यह सातवीं कड़ी है. जैकमैन वह पहले अभिनेता हैं, जिन्होंने एक ही सुपरहीरो का किरदार सबसे ज्यादा बार निभाया है. वोल्वोरिन की पिछली सारी कड़ियां हिट रही हैं. लेकिन एक अभिनेता के रूप में जैकमैन क्या कभी उस एक किरदार से बोर नहीं होते होंगे. यह सवाल जब जैकमैन से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि वह इसके लिए फिल्म के लेखक और निर्देशक की सोच की दाद देना चाहेंगे जो उन्हें हर बार कुछ नया करने का मौका देते हैं. एक अभिनेता के तौर पर वह किरदार का नाम या सीरिज नहीं देखते, बल्कि यह देखते हैं कि उस किरदार के पास कितने कांफिलिक्टस हैं और कितने आॅब्सटेकल्स हैं. दरअसल, हॉलीवुड की सीरिज फिल्मों की सफलता का राज यही है. वहां की कहानियों में निर्देशक व लेखक इतने ताने बाने बुनते हैं कि एक किरदार को भी बार बार उसे निभाना अच्छा लगता है और दर्शकों को भी एक किरदार के कई अवतार देखने में आनंद आता है. हम प्राय: रोना रोते हैं कि हमारे पास हॉलीवुड की तरह तकनीक नहीं, लेकिन कहानी के आधार पर तो हम हॉलीवुड की बराबरी कर ही सकते हैं. फिर क्यों हमारे यहां सीरिज में बननेवाली फिल्में धराशायी हो जाती हैं. हम कृष के पहले और तीसरे संस्करण में क्यों कई परत या कोई नयी और अनोखी चीज नहीं देख पाते, जो कि उन्हें एक दूसरे से अलग करें. ऐसा कर पाना निश्चय ही संभव है. चूंकि यहां बात कहानी की है. कहानी में ही अगर किरदार को कई परतों में अपने अभिनय को दर्शाने का मौका मिले तो फिर वाकई किरदार भी उसे जीवंत तरीके से निभाना पसंद करता है और उसमें कोई नयापन ला पाने में कामयाब होता है. सोच के आधार पर बॉलीवुड हॉलीवुड की बराबरी तो कर ही सकता है.
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