20140531

असल जिंदगी में नहीं करता हीरोपंती : टाइगर श्राफ


वे मार्शल आर्ट्स में पारंगत हैं. वे डांस में पारंगत हैं. उनकी शारीरिक बनावट व नाम की वजह से  शायद दर्शक यह अनुमान लगायें कि वह स्वभाव में थोड़े कठोर होंगे. लेकिन हकीकत यह है कि टाइगर श्राफ बेहद शर्मिले और शांत स्वभाव के हैं. उनके पिता जैकी जितने बिंदास हैं. टाइगर उतने ही शर्मिले हैं. कभी फुटबॉल उनका पहला प्रेम था. लेकिन अब अभिनय कर रहे तो पूरी शिद्दत से. चूंकि वे खुद मानते हैं कि काम वही करो जिसमें दिल दे सको. 

सबसे पहला सवाल, आपका नाम टाइगर क्यों रखा गया?
क्योंकि मैं बचपन में लोगों को दांत बहुत कांटता था. काफी शरारती था. तो जानवरों की तरह कांता नोचता था लोगों तो मॉम डैड ने नाम ही यही रख दिया.
हीरोपंती आपकी लांचिंग फिल्म है. बड़े स्तर पर यह लांचिंग हो रही है. इस लांचिंग को आप किस तरह देख रहे?इस लांचिंग को लेकर काफी चर्चा है?
मेरे लिए ड्रीम लांचिंग है. इसमें मुझे मौका मिल रहा. एक साथ कई विधाओं को दिखाने का. इसमें मैं एक् शन कर रहा. डांस कर रहा. एक्टिंग कर रहा. इस फिल्म रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी इमोशन सब है. एक परफेक्ट लांच है.हां, चर्चा की वजह यह है कि मैं जैकी श्राफ का बेटा हूं. एक स्टार सन से उम्मीदें ज्यादा होती हैं. हालांकि यह मेरी ताकत है और मुझे लगता है कि मुझे और मेहनत करनी है. 23 मई को वह मेहनत वसूल हो जायेगी.
शुरू से ही सोच रखा था कि एक्टिंग ही करनी है?
नहीं शुरू से मुझे स्पोर्ट्स में दिलचस्पी रही है. डांसिंग, जिमनास्टिक ये सब पसंद था मुझे और ध्यान भी इन्हीं चीजों पर था. ग्रेजुएशन करने के बाद( बायलोजी) करने के बाद लगा कि अब क्या करना है. अफसोस की बात है. लेकिन मंै केवल स्पोर्ट्स ही खेलता था.पढ़ाई  में खास मन नहीं लगा. मैं बिल्कुल खो गया था.लेकिन उस वक्त काफी सारे आॅफर आने लगे.जिनमें से एक हीरोपंती थी. सो, मैंने तय किया कि एक्टिंग करूं. हालांकि मेरे दोस्त, मेरी मम्मी के दोस्त, सभी कहते थे कि टाइगर तू भी तो एक्टिंग ही करेगा न. बचपन से वह एक्सपेक्टेशन थी कि हीरो बनेगा डैडी की तरह. लेकिन मैंने शुरू से नहीं सोचा था.
जैकी को आपने जब बताया कि आप अभिनय के लिए अब तैयार हैं तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी. और उन्होंने क्या क्या टिप्स दिये?
वैसे बापू खुश ही हुए. उन्होंने मुझे खास टिप्स नहीं दिये. वह तो मुझे कांपीटीटर मानते हैं ( हंसते हुए) वह इतना ही बोलते हैं कि तू बोलना कम. सुनना ज्यादा. वैसे भी हकीकत में मैं ज्यादा बोल नहीं पाता. शर्माता हूं.  फिल्म में मैं हीरोपंती दिखा रहा. खूब बोला बाली कर रहा. लेकिन असलियत में मैं हीरोपंती अपनी जिंदगी में बिल्कुल नहीं दिखाता.
आपके पिता की फिल्म हीरो का रीमेक बन रहा. लेकिन आपने उस फिल्म से खुद को दूर क्यों रखा.
हां, वह फिल्म मुझे आॅफर हुई थी और हीरोपंती से पहले हुई थी. पर मैं जानबूझ से उससे दूर रहा. क्योंकि मुझे अपने पिताजी के साथ कोई कंपैरिजन नहीं चाहिए था. मैं उनके जैसा नहीं हूं. दोनों में बहुत फर्क है. उनकी जो खासियत है और मेरी जो खासियत है. अलग है. मेरे पिताजी की बॉडी लैंग्वेज है. उनकी पर्सनैलिटी अलग है. उनका डांसिंग स्टाइल सब मुझसे अलग है. मैंने मार्शल आर्ट और बाकी चीजों में बकायदा ट्रेनिंग ले रखी है. वह बिंदास हैं. मैं शर्मिला हूं.  हम दोनों में कोई भी समानता नहीं है.
सुभाष घई से आपके पिता का काफी गहरा रिश्ता रहा है और आप भी उनके बेहद करीब हैं?
हां, बिल्कुल सुभाष घई साहब हमेशा मुझे कहते थे कि अरे टाइगर टू स्टार बनेगा. एक किस्सा है कि जब मेरा जन्म हुआ था. उसी वक्त उन्होंने साइंिनंग अमाउंट के रूप में मेरे हाथों में दे दी थी. उस वक्त फिल्म हीरो आयी थी. और वह मुझे इसके रीमेक में लेना भी चाहते थे.
आप बहुत सुपरटिशियस हो?
दरअसल, मैं स्प्रीचुअल हूं. आप देखें मैंने गले में ताबिज पहन रखी है. साथ ही नजर कवच पहन रखा है. पता नहीं कहां से आया. लेकिन मुझे इन चीजों पर बहुत बिलिव है. मैं सेफ्टी के लिए रखता हूं. जिस फिल्ड में जा रहा हूं. वह इनसेक्योर है. कंप्टीटिटिव है तो ये चीजें मदद करती हैं.
जैकी से किन बातों के लिए डांट पड़ती है.
यही कि बापू पूरी तरह से वेजीटेरियन हैं और वह घर पर मुझे नॉन वेज खाने से रोकते हैं. लेकिन मैं छूप छूप कर खाता रहता हूं.
जैकी की पसंदीदा फिल्म कौन सी है?
मुझे शिवा का इंसाफ पसंद है. चूंकि उस फिल्म में बापू सुपरमैन बने हैं और हर बच्चे के लिए उसका पिता सुपरहीरो ही होता है. इसलिए मुझे वह फिल्म पसंद है. 

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