अनुपम खेर अभिनीत फिल्म सारांश के निर्माण के हाल ही में 30 साल पूरे हुए और इसके साथ ही अनुपम खेर ने भी इंडस्ट्री में 30 साल पूरे किये. हालांकि अनुपम खेर का आगमन फिल्म आगमन से हुआ था. लेकिन उन्हें पहचान मिली सारांश से. उस वक्त अनुपम महज 28 साल के थे और उस वक्त उन्होंने एक मध्यमवर्गीय रिटायर्ड व्यक्ति का किरदार निभाया, जिसने अपना बेटा खो दिया था. यह महेश भट्ट की पारखी नजर का ही कमाल था, जिन्होंने 28 साल के अनुपम से इतनी बड़ी उम्र का किरदार निभवाया. और अनुपम ने उसे बखूबी निभाया भी. अनुपम ने अपने टिष्ट्वटर पर इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह सारांश ने उनकी जिंदगी बदली. अनुपम हिंदी सिनेमा के उन चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं, जिन्होेंने शुरुआती दौर में ही ढलती उम्र के किरदारों को गले लगाया. चूंकि वे इस बात से अवगत थे कि उन्हें मुय किरदार निभाने के मौके नहीं मिलेंगे. वे अपनी कमजोरी और ताकत दोनों से अवगत थे. गौरतलब है कि किसी दौर में प्रेम चोपड़ा ने कई फिल्में यह सोच कर ठुकरा दी थी कि उन्हें लगता था कि वे लीड किरदार निभायेंगे और अभिनेता ही बनेंगे. लेकिन बाद में उन्हें भी अपनी सीमाओं का एहसास हुआ. दरअसल, अनुपम उन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने जिंदादिली से अभिनय को जिया. वे आज भी जिस तरह के किरदार निभाते हैं. उन्हें देख कर स्पष्ट होता है कि वे अभिनय को गंभीरता से लेते हैं. न कि किरदारों को. अनुपम ने इन 30 सालों में कई पड़ाव बनाये. जिनमें से न समथिंग टू अनुपम अंकल जैसे शो हमेशा याद किये जायेंगे. साथ ही अपने अभिनय के कई रूपों को दर्शकों तक पहुंचाया. हालांकि इन दिनों वे एक से किरदार निभाते नजर आने लगे हैं. लेकिन अनुपम जैसा अभिनेता हिंदी सिनेमा के लिए वरदान ही है.
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20140531
अनुपम के 30 साल
अनुपम खेर अभिनीत फिल्म सारांश के निर्माण के हाल ही में 30 साल पूरे हुए और इसके साथ ही अनुपम खेर ने भी इंडस्ट्री में 30 साल पूरे किये. हालांकि अनुपम खेर का आगमन फिल्म आगमन से हुआ था. लेकिन उन्हें पहचान मिली सारांश से. उस वक्त अनुपम महज 28 साल के थे और उस वक्त उन्होंने एक मध्यमवर्गीय रिटायर्ड व्यक्ति का किरदार निभाया, जिसने अपना बेटा खो दिया था. यह महेश भट्ट की पारखी नजर का ही कमाल था, जिन्होंने 28 साल के अनुपम से इतनी बड़ी उम्र का किरदार निभवाया. और अनुपम ने उसे बखूबी निभाया भी. अनुपम ने अपने टिष्ट्वटर पर इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह सारांश ने उनकी जिंदगी बदली. अनुपम हिंदी सिनेमा के उन चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं, जिन्होेंने शुरुआती दौर में ही ढलती उम्र के किरदारों को गले लगाया. चूंकि वे इस बात से अवगत थे कि उन्हें मुय किरदार निभाने के मौके नहीं मिलेंगे. वे अपनी कमजोरी और ताकत दोनों से अवगत थे. गौरतलब है कि किसी दौर में प्रेम चोपड़ा ने कई फिल्में यह सोच कर ठुकरा दी थी कि उन्हें लगता था कि वे लीड किरदार निभायेंगे और अभिनेता ही बनेंगे. लेकिन बाद में उन्हें भी अपनी सीमाओं का एहसास हुआ. दरअसल, अनुपम उन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने जिंदादिली से अभिनय को जिया. वे आज भी जिस तरह के किरदार निभाते हैं. उन्हें देख कर स्पष्ट होता है कि वे अभिनय को गंभीरता से लेते हैं. न कि किरदारों को. अनुपम ने इन 30 सालों में कई पड़ाव बनाये. जिनमें से न समथिंग टू अनुपम अंकल जैसे शो हमेशा याद किये जायेंगे. साथ ही अपने अभिनय के कई रूपों को दर्शकों तक पहुंचाया. हालांकि इन दिनों वे एक से किरदार निभाते नजर आने लगे हैं. लेकिन अनुपम जैसा अभिनेता हिंदी सिनेमा के लिए वरदान ही है.
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