यह कोक दरअसल, ठंडा नहीं है. इसमें बहुत आग है, क्योंकि इस कोक का निर्माण कलाकारों के जुनून से हुआ है. फिल्म ‘रॉकस्टार’ में र्जनाधन का दोस्त उसे समझाता है कि जब तक दर्द नहीं होगा, तब तक संगीत आत्मा को नहीं छुयेगी. शायद, यह सच है. क्योंकि यह कोक भी कुछ उसी दर्द से तैयार हुआ है. दर्द उन कलाकारों का, जिन्होंने रात दिन सिर्फ संगीत की पूजा की है. उनके लिए यह किसी देवालय से कम नहीं. पाकिस्तान स्थित कोक स्टूडियो एक ऐसे ही जत्रत का नाम है, जहां संगीत के मुसाफिरों को सरहदें भी नहीं रोकती. संगीत के प्रेमियों के लिए यह किसी मक्का-मदिना से कम नहीं. इसकी खास वजह यह है कि यह स्टूडियो संगीतकारों व गायकों को क्लासिकल, लोक व पॉपलुर म्यूजिक को प्रसारित करता है. साथ ही यह स्टूडियो उन गायकों को मौके देता है, जो नये हैं और संघर्षशील हैं. वे अपने गीत आकर यहां रिकॉर्ड कर सकते हैं. यह कोक स्टूडियो महज तकनीकी उपकरणों व ईंट-पत्थरों से नहीं बना है, बल्कि इसकी नींव उन तमाम कलाकारों से मजबूत हुई जिन्होंने संगीत की आत्मा को समझा है. इस स्टूडियो की अनोखी सोच की वजह से ही कोक स्टूडियो पाकिस्तान के साथ-साथ भारतीय गायकों को भी बहुत प्रभावित किया. विशेष कर एशिया में यह लोकप्रिय कार्यक्रमों में से एक है (पाकिस्तान समेत एशिया के कई एंटरटेनमेंट चैनल कोक स्टूडियो पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं. हाल ही में एमटीवी ने भी इसके तीसरे संस्करण का लंबे समय तक प्रसारण किया और यह बेहद चर्चित रहा). इस स्टूडियो में दुनिया के तमाम गायक शिरकत कर चुके हैं. खासतौर से भारत पाकिस्तान के गायकों की आवाजाही सबसे अधिक रही है. पिछले वर्ष स्टार प्लस पर सिंगिंग कार्यक्रम प्रसारित किया गया था छोटे उस्ताद. इसमें भारत व पाकिस्तान के बच्चों को गाने का मौका दिया गया. कोक स्टूडियो में भारतीय गायकों को आमंत्रित करना व छोटे उस्ताद जैसे शेज की परिकल्पना व इसका सफल निर्माण ही वे प्रयास हैं, जिनसे इन दो देशों की सरहदों की दीवारों को तोड़ा जा सकता है. गौरतलब है कि कोक स्टूडियो के अंतिम संस्करण का समापन वर्ष 2011 में ही किया जा चुका है. इसके बावजूद आज भी इसके गीत दर्शकों को याद हैं. खुद एआर रहमान भी मानते हैं कि कोक स्टूडियो जैसे पहल हर देश में होने चाहिए. अपने संघर्ष के दौर में मोहित चौहान ने कोक स्टूडियो में अपने कई परफॉरमेंस दिये हैं. भारत-पाकिस्तान व एशिया के हर देशों को इस तरह के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए, साथ ही इसकी संरचना करनी चाहिए. सच्चाई यही है कि जिस तरह हर शीतल पेय पद्धार्थ पीने के बाद आपको एक अलग अनुभूति होती है. एक संतुष्टि का एहसास होता है. मुमकिन हो कि भविष्य में यही कोक स्टूडियो सरहदों की दीवारों को तोड़ने का आयाम बन जाये.कोक स्टूडियो की पहली शुरुआत ब्राजील के स्टूडियो कोका कोला के नाम से हुई थी. बाद में पाकिस्तान में इसका निर्माण हुआ. |
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20120419
इस कोक से टूटेगी सरहद की दीवार.
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