20120417

मनोरंजन के माध्यम से भारत जोड़ो आंदोलन

आमिर खान ने हाल ही में अपने शो सत्यमेव जयते का एक गीत मुंबई में लांच किया. इस गीत के दृश्यों में आमिर पूरे भारत के कई प्रांतों में घूमते नजर आ रहे हैं. वे तिब्बत के बच्चों के साथ मस्ती करते भी नजर आ रहे हैं, तो कहीं वह कश्मीर की वादियों का आनंद उठाते नजर आ रहे हैं. इस गीत की लांचिंग के दौरान उन्होंने कई बार इस बात का जिक्र किया कि वह एक बार फिर से चाहते है कि अपने शो के माध्यम से वे पूरे भारतवासियों तक पहुंच सकें. उनकी इच्छा है कि वे दिल से लोगों को जोड़ सकें. इससे साफ जाहिर होता है कि आमिर भी जानते हैं कि दरअसल कोई भी व्यक्ति कितनी भी ऊंचाइयों पर पहुंच जाये, लेकिन जमीन से जुड़े रह कर ही खुद को वास्तविक संतुष्टि मिलती है. यही वजह है कि वे भारत भ्रमण पर निकल पड़े. वे  खुद मानते हैं कि इस शो के बहाने उन्होंने खुद को अमीर किया है. अमीर इस लिहाज से कि उन्होंने भारत को नजदीक से देख लिया है और यहां की संस्कृति से समृद्ध हो चुके हैं. दरअसल भारत वाकई संस्कृति का देश है. यहां इतनी विभिन्नताएं हैं, जिन्हें अगर करीब से जी लें तो वाकई ऐसा महसूस होता है कि पूरी दुनिया जी ली. और शायद यही कारण भी है कि कई वर्षों से लोग मनोरंजन के लिए भी इसी तरीके को अपना रहे हैं. चूंकि खुद आमिर भी मानते हैं कि मनोरंजन का मतलब सिर्फ हंसाना नहीं है. अगर लोगों को किसी भी रूप में किसी चीज के साथ घुला मिला दें तभी वह मनोरंजन है. और इसके लिए भारत के विभित्र प्रांतों की संस्कृति को समझना और फिर उसका सही तरीके से इस्तेमाल करना से बेहतर और क्या होगा. न सिर्फ आमिर, बल्कि कई निर्देशक, कई कलाकार और कई संगीतकार व संगीत से जु.डे लोग भी कई बार इसी माध्यम से कुछ अर्जित करने की कोशिश करते हैं. क्योंकि पूरे भारत में ही कई अलग भारत हैं , जो स्रोत हैं जीवन के, नयी उम्मीदों के, ऊर्जा के. संगीतकार स्नेहा खानवलकर भी उन्हीं महिला संगीतकारों में एक हैं. जो गांव में जाकर कटी लोगों से मिलती है और फिर उन्हें वहां से वह अपनी सोच अर्जित करती है. सुरभि, भारत एक खोज, डिस्कवरी इंडिया जैसे धारावाहिक उनमें से एक हैं. खुद नसीरूद्दीन शाह भी साल में एक बार पूरे भारत की सैर पर निकलते हैं. निश्‍चित तौर पर वे इसी मकसद से सैर पर निकलते हैं कि वह आम जिंदगी को जीकर अपने अभिनय में और दक्षता ला सकें. पुराने दौर में बलराज साहनी, प्राण, शम्मी कपूर जैसे कलाकार प्राय: वक्त मिलने पर घूमने जाया करते थे. और फिर वे वहां से प्राप्त अनुभव से वह खुद के अभिनय को और निखारते थे. दरअसल, कुछ ऐसे ही प्रयासों से ही भारत को जोड़ा जा सकता है. यह भी एक तरह से भारत जोड़ो आंदोलन का ही रूप है.

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