20120413

क्या दहाड़ पायेगा यह शेर खां

वर्ष 1973 में निर्देशक प्रकाश मेहरा ने फिल्म ‘जंजीर’ का निर्देशन व निर्माण किया. फिल्म में अमिताभ बान, जया भादुड़ी (अब बान) व प्राण मुख्य भूमिका में थे. इसी फिल्म से अमिताभ बान सुपरस्टार बने और प्राण की शेर खां वाली भूमिका यादगार बन गयी. इन फिल्मों से पहले भी हालांकि प्राण ने कई फिल्मों में अदभुत अभिनय किया था, लेकिन जंजीर से उनकी शेर खां वाली छवि स्थापित बन कर उभरी. इस फिल्म का आम दर्शकों पर कुछ इस कदर प्रभाव हो चुका था कि दर्शक अमिताभ व प्राण को वास्तविकता में दोस्त समझने लगे थे. इस फिल्म ने कई मिसाल स्थापित किये थे. अमिताभ एंग्री यंग मैन के रूप में उभरे. प्रकाश मेहरा की आर्थिक स्थिति ठीक हुई और हिंदी सिनेमा जगत को प्राण के रूप में एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार मिले. जल्द ही अपूर्व लखिया इसी फिल्म का रीमेक बनाने जा रहे हैं. यह तय हो चुका है कि फिल्म में प्राणवाली शेर खान की भूमिका अर्जुन रामपाल निभायेंगे. इसमें कोई संदेह नहीं कि ‘जंजीर’ हिंदी सिनेमा की उन फिल्मों में से एक जिसको आज भी दर्शक देखना पसंद करते हैं. मसलन लोगों के जेहन में आज भी शेर खान और विजय की दोस्ती जिंदा है. यारी है ईमान मेरा.. आज भी लोगों की जुबां पर है. खुद प्राण इसे अपनी जिंदगी की सबसे यादगार भूमिका मानते हैं. ऐसे में क्या अर्जुन रामपाल प्राण के उस जीवंत किरदार को सार्थक कर पायेंगे. क्या यह वर्तमान दौर के शेर खां की दहाड़ में उतनी ताकत होगी कि वह दर्शकों को अपना मुरीद बना लें. खुद अमिताभ बान ने अपनी बातचीत व प्राण पर लिखी गयी किताब में इस बात का जिक्र किया है कि प्राण अपने किरदार को लेकर कितने सजग थे. इस फिल्म के दौरान वे काम खत्म हो जाने के बावजूद तब तक घर नहीं जाते थे. जब तक पूरे प्रोडक्शन का काम खत्म न हो जाये. वे देर देर तक अपने मेकअप रूम में ही मेहनत करते रहते थे. रिहर्सल करते रहते थे. वे अपना मेकअप खुद करते. पूरे परिधान का ख्याल रखते. इस किरदार को निभाने के लिए उन्होंने कई महीनों तक रिहर्सल किया. क्या अर्जुन रामपाल जैसे कलाकार, जो एक साथ कई फिल्मों में व्यस्त रहते हैं, उतनी शिद्दत से इस किरदार को जीवंत कर पायेंगे. यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है. चूंकि वर्तमान में न तो कलाकारों के पास वक्त होता है और न ही वे किसी किरदार के साथ जी पाते हैं. ऐसे में वे किसी एक किरदार पर उतनी मेहनत नहीं कर सकते. रीमेक के इस भेड़चाल में कम से कम ऐसी फिल्में जिनके किरदार व उनकी गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए था. जरूरी नहीं कि उन तमाम फिल्मों से छेड़छाड़ की जाये, जो मिसाल हैं.

1 comment:

  1. रीमेक के इस भेड़चाल में कम से कम ऐसी फिल्में जिनके किरदार व उनकी गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए था. जरूरी नहीं कि उन तमाम फिल्मों से छेड़छाड़ की जाये, जो मिसाल हैं.
    AAPAKI BAATON SE PURNTAH SAHAMAT.

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