राउडी राठौड़, जोकर, खिलाड़ी 786 के साथ ही इन दिनों अपने होम प्रोडक्शन की फिल्मों में व्यस्त हैं अक्षय कुमार. इसके बावजूद बात जब हाउसफुल 2 की आती है. उनके चेहरे पर एक मुस्कान होती है. क्योंकि वे मानते हैं कि हाउसफुल जैसी फिल्में दिल और दिमाग दोनों को फिर से तरोताजा कर देती हैं.
अक्षय, इस साल आप कई फिल्मों में काम कर रहे हैं ? फिर हाउसफुल 2 से क्या उम्मीदें हैं?
देखिये! उम्मीद बस इतनी ही है कि दर्शक फिल्म देखें और खूब हंसे. जी हां, इस साल मेरी कई फिल्में आ रही हैं और मैं सभी को लेकर बहुत उत्साहित हूं. हर फिल्म में मेरा अलग किरदार दर्शकों के सामने होगा. राउडी राठौड़ में बिल्कुल ही अलग गेटअप है. अलग जॉनर की फिल्म है वह. अलग तरह के संवाद आपको सुनने को मिलेंगे राउडी में. जोकर बिल्कुल अलग है. ऐसे में जब मैं हाउसफुल जैसी फिल्में करता हूं, तो दिमाग में बस एक ही ख्याल रहता है कि दोस्तों के साथ थोड़ी मस्ती कर ली जाये.
आप कई फिल्में एक साथ कर रहे हैं, ऐसे में शूटिंग के दौरान खुद को कैसे एक किरदार से दूसरे में ढालते हैं?
देखिये! ऐसी नौबत हमेशा नहीं आती. जब ऐसा होता है, तो कम-से-कम दो फिल्मों में एक दिन का गैप जरूर रखता हूं. थोड़ा मेडिटेशन करता हूं. किरदार की तैयारी के बारे में सोचता हूं. उसे तैयार करता हूं और खुद को रिलैक्स कर दूसरे किरदार में जाने की तैयारी करता हूं.
हाउसफुल 2 में शीर्षक का मतलब बॉक्स ऑफिस के हाउसफुल से है या..
नहीं, फिल्म में शीर्षक हाउसफुल का मतलब एक ऐसा घर जो लोगों से फुल हो. मतलब जहां कई लोग रहते हों.
क्या यही वजह है कि हाउसफुल में हमेशा मल्टीस्टार रहते हैं?
जी हां, बिल्कुल. पिछली बार तो हमारी दो जोड़ियां थीं. इस बार न केवल चार जोड़ियां हैं, कई सीनियर कलाकार भी हैं. चिंटू जी ( ऋषि कपूर ), रणधीर कपूर ( जिनके साथ मैंने पहले भी काम किया है ), मिथुन और बोमन ईरानी. तो पूरे घर में हमारी यही कोशिश है कि जहां भी आपकी निगाह जाये लोग ही लोग नजर आयें.
आपने बताया कई सीनियर कलाकारों के साथ काम कर रहे हैं, तो कुछ सेट से जुड़ी बातें बताना चाहेंगे?
मैंने जैसा पहले ही कहा कि हाउसफुल दिमाग लगाने वाली फिल्म नहीं है, इसलिए हम वहां सिर्फ मस्ती के बारे में ही सोच सकते हैं. ऐसे में जब सीनियर कलाकार भी आपके साथ होते हैं, तो मस्ती के डोज के बढ़ने की ही संभावना होती है, घटने की नहीं. सभी बड़े कलाकारों के साथ हमने बहुत मस्ती की. असिन को जब भी हम सेट पर छेड़ते थे, क्योंकि उसकी हिंदी ज्यादा अच्छी नहीं है, चिंटू जी उसे बहुत पैंपर्ड करते थे. फिल्म में वह उनके पिता हैं. मुझे उस पार्ट की शूटिंग में मजा आया. जब भी सेट पर सभी कलाकार एक साथ होते थे, उस दिन सभी सीनियर कलाकार अपने अनुभव की बातें साझा करते थे. रणधीर कपूर सर ने चिंटूजी के बारे में बताया था कि बचपन में वे किस तरह की शरारत करते थे. राज कपूर सर चिंटूजी को लाड साहब कह कर पुकारते थे और चिंटूजी बच्चों में सबसे शरारती होते हुए भी राज कपूर से बहुत डरते थे.
अक्षय, आप खुद भी निर्माता बन चुके हैं. बतौर निर्माता-प्रोडक्शन के काम और कलाकारों के चुनाव के साथ खुद अपनी फिल्म में अभिनय करना कितना कठिन होता है?
मुझे लगता है कि चीजें आसान हो जाती हैं, क्योंकि आप खुद जब अभिनेता हैं और निर्माता भी तो कभी भी आप अपने काम में देर नहीं करेंगे. प्रोजेक्ट जल्दी पूरी करने की कोशिश करेंगे. हां, यह जरूर है कि माथापच्ची ज्यादा है. क्योंकि शॉट के साथ-साथ सेट पर होने वाले खर्च का भी ख्याल रखना पड़ता है. एक फायदा है कि लीड हीरो के पैसे तो बच जाते हैं भाई.. (हंसते हुए) और मैं तो निर्माता बना ही इसलिए हूं, ताकि जब मुझे कहीं काम न मिले तो अपनी ही फिल्मों में खुश हो लेंगे और क्या..
अक्षय आपने सभी जॉनर में काम किया है. सबसे ज्यादा मजा किस जॉनर में आता है?
मुझे एक्शन करने में सबसे ज्यादा मजा आता है.
किसी स्टंट को करते समय कभी डर नहीं लगा?
नहीं. इसकी एक खास वजह है, क्योंकि स्टंट करते वक्त मैं अपने बेटे को याद करता हूं और मेरे बेटे की नजर में मैं एक बेहतरीन स्टंट हीरो हूं.
No comments:
Post a Comment