20120410

फिल्म व साहित्य का रिश्ता

फिल्म और साहित्य का गहरा रिश्ता रहा है. हिंदी फिल्मों में खासतौर से साहित्य को अहमियत दी जाती रही है. कई फिल्मों का प्रारूप साहित्यिक रखा गया है तो कभी फिल्म की कहानी किसी साहित्य को ध्यान में रख कर बनायी जाती रही है. लेकिन पिछले कई सालों से हिंदी सिनेमा में अंगरेजी साहित्य ने अपनी खास जगह बना ली है. हिंदी के निर्देशक अंगरेजी साहित्य से प्रभावित होकर फिल्में बना रहे हैं. रोमियो जूलियट, ओथेलो की कहानियां हमेशा हिंदी फिल्मों में नजर आती रही है. विशेषकर विशाल भारद्वाज साहित्यिक फिल्में बनाने में माहिर रहे हैं. चेतन भगत की किताब वन नाइट एट ए कॉल सेंटर पर ‘हैलो’ फिल्म बन चुकी है. साथ ही फिल्म ‘3 इडियट्स’ में चेतन की ही किताब ‘5 प्वाइंट समवन’ से कुछ प्रभावित घटनाएं ली गयी थीं. इन दिनों एक बार फिर से अंगरेजी साहित्य पर हिंदी फिल्मों के निर्देशकों की विशेष नजर है. ‘पीपली लाइव’ की निर्देशिका अनुषा रिजवी लेखक अमिताभ घोष की पुस्तक ‘द सी पॉपिस’ पर फिल्म बनाने जा रही हैं. अमिताभ घोष की यह फिल्म वर्ष 2009 में मैन बुकर प्राइज के लिए मनोनित हुई थी. अमिताभ घोष की यह किताब इंडियन-इंग्लिश भाषा में लिखी गयी है. यह फिल्म रोमांचित थ्रीलर होगी. फिल्म की कहानी अफीम की तस्करी व पलायन पर आधरित होगी. अनुषा के अलावा जल्द ही मनमोहन शेट्ठी की टीम भी जल्द ही अनुजा चौहान की किताब ‘द जोया फैक्टर’ पर फिल्म बनाने की योजना बना रहे हैं. इसी किताब पर कुछ दिनों पहले तक शाहरुख खान भी फिल्म बनाने की योजना बना रहे थे. लेकिन इसे अब मनमोहन शेट्ठी की टीम बना रही है. अनुजा की ही किताब द बैटल फोर बिटोरा पर भी फिल्म बनाने की चर्चा हो रही है.

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