20120417

बॉलीवुड के नए बिट्टू बबली

फिल्म बिट्टू बॉस’ में बिट्टू के रूप में जब पुलकित सम्राट लोगों के सामने आते हैं, तो यह अनुमान लगा पाना बेहद कठिन है कि पुलकित की यह पहली फिल्म है. वे टेलीविजन से आये हैं और कुछेक विज्ञापनों में उन्होंने काम किया है. फिल्म में उनके आत्मविश्‍वास व प्रस्तुतीकरण को देख कर कोई नहीं कह सकता कि वे नवोदित कलाकार हैं. उन्हें जैसा किरदार मिला है. उन्होंने उस किरदार में खुद को ढाल लिया है. संभव हो कि फिल्म को खास कामयाबी न मिले, लेकिन पुलकित सम्राट को निश्‍चित तौर पर दर्शक पसंद करेंगे और निर्देशकों की पसंद बन जायेंगे. कुछ इसी तरह फिल्म ‘विकी डोनर’ में मुख्य किरदार निभा रहे आयुष्मान खुराना भी टेलीविजन से ही आये हैं, लेकिन टेलीविजन शो की एंकरिंग में भी उन्होंने कुछ इस कदर अपना परफॉरमेंस दिखाया है कि उन्हें फिल्म में काम करने का मौका मिला. इसी फिल्म की यमी गौतम भी टेलीविजन की एक्ट्रेस हैं. भले ही भाषणबाजी के दौरान यह कहा जाता रहा हो कि छोटा परदा छोटा नहीं है और अब बड़े परदे से भी आगे बढ. चुका है. लेकिन वास्तविकता यही रहेगी कि आज भी बॉलीवुड टेलीविजन पर हावी है. ऐसे में अगर किसी कलाकार को फिल्मों में मुख्य किरदार निभाने का मौका मिलता है तो यह उपलब्धि है. दरअसल, इन दिनों फिल्मों में भी निर्देशकों की नजर नये कलाकारों की तलाश में हैं. खासतौर से वैसे कलाकारों की तलाश जो नया चेहरा होने के साथ-साथ परफॉर्म भी कर पाये. गौर करें तो ऐसे कई कलाकार हैं जिन्होंने छोटे परदे से शुरुआत की. लेकिन बड़े परदे पर भी उन्हें मौके मिलते रहे हैं, लेकिन वे ज्यादा कामयाब नहीं हो पाये. राजीव खंडेलवाल उन कलाकारों में से एक हैं, जिनके अभिनय की तारीफ होती है. वही आमना शरीफ, प्राची देसाई, अनिता जैसी अभिनेत्रियों को फिल्में तो मिलीं, लेकिन वह खास कामयाब नहीं हो पायीं. जल्द ही साक्षी तंवर भी फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत कर रही हैं. इस फिल्म में वे सनी देओल के साथ हैं. खुद निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेद्वी मानते हैं कि साक्षी ने इस किरदार के लिए बहुत मेहनत की है. अगर साक्षी इस फिल्म में खुद को प्रूव कर पाती हैं तो उन्हें आगे भी फिल्में मिलती रहेंगी. चूंकि इन दिनों बॉलीवुड को कुछ ऐसे ही होनहार, अभिनय को गंभीरता से लेनेवाले कलाकार चाहिए. क्योंकि हिंदी फिल्मों में स्थापित कलाकारों के पास छोटे बजट की फिल्मों के लिए वक्त नहीं होता या फिर छोटे बजट की फिल्मों के निर्देशकों के पास उतनी लागत नहीं होती. यही वजह है कि बॉलीवुड के कुछ ऐसे बबली और बिट्टओं को मौके मिल रहे हैं और वे खुद को प्रूव कर रहे हैं.

1 comment:

  1. bahut kathin hai dagar rah panghat ki.......
    mai bhi bombay me panch saal rahakar waapas lauta
    hun wahan sthapit hona ya kar pana bhagya par bhi nirabhar karata hai .

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