दबंग की कामयाबी के बाद अब दबंग 2 बनने की तैयारी शुरू हो चुकी है. इस बार सलमान खान दबंग की कहानी कानपुर की पृष्ठभूमि पर गढ़ रहे हैं. लेकिन शूटिंग कानपुर में नहीं, बल्कि मुंबई में हो रही है. हिंदी सिनेमा जगत में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी स्टूडियो को पूरी तरह किसी निर्माता ने बुक किया हो. जाहिर है, इस बार सलमान फिर से कुछ अनोखा करेंगे. हिंदी सिनेमा जगत में जितनी फिल्में बनती रही हैं, उतनी ही उसके सेट डिजाइनिंग को लेकर कीर्तिमान भी स्थापित होते रहे हैं. चूंकि फिल्मों में जितनी अहम कहानी है, उतनी ही अहमियत फिल्मों के सेट डिजाइन भी रखते हैं.
मुगलएआजम की शूटिंग के लिए जब के आसिफ को वास्तविक शीश महल में शूटिंग करने की इजाजत नहीं मिली तो उन्होंने अपने दम पर शीश महल का हूबहू सेट डिजाइन करवाया. और जब प्यार किया तो डरना क्या की शूटिंग पूरी की. उस दौर में सिर्फ इस गाने की शूटिंग में करोड़ों रुपये खर्च हुए थे. लेकिन फिर भी के आसिफ ने समझौता नहीं किया और शायद यही वजह है कि आज भी लोगों के जेहन में मुगलएआजम के वे भव्य सेट जिंदा हैं. दरअसल, किसी भी फिल्म की खूबसूरती उसके माहौल से ही बनती है. और माहौल संबंधित सेट से ही. और शायद यही वजह है कि हिंदी सिनेमा में ऐसे कई सृजनशील निदर्ेशक हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों में कहानी के साथ साथ सेट की भव्यता को भी कायम रखा और सेट डिजाइनिंग के माध्यम से भी फिल्मों को जीवंत, खूबसूरत बनाया.
ृसाफ जाहिर है कि फिल्मों को खूबसूरती प्रदान करने में सेट डिजाइनिंग की भी अहम भूमिकाएं हैं. तभी तो सेट डिजाइनिंग के आधार पर हिंदी सिनेमा ने कई रिकॉर्ड तोड़ डाले.
मुगलएआजम ः हिंदी सिनेमा का पहला भव्य सेट
हिंदी सिनेमा की पहली सबसे महंगी फिल्म साबित हुई थी मुगलएआजम. फिल्म में दिल्ली से कॉस्टयूम तैयार करवाये गये थे. सूरत से एंब्रॉडर, हैदराबाद से ज्वेलरी, कोल्हापुर से क्राउन, राजस्थान से हथियार और जूते आगरा से मंगवाये गये थे. इस फिल्म के लिए उस दौर में 2000 ऊंट, 4000 हजार घोड़, 8000 तोप मंगवाये गये थे. खास बात यह रही थी कि सिर्फ एक गाने की शूटिंग के लिए के आसिफ ने पूरा शीश महल तैयार करवा दिया था.उन्होंने इसे बनवाने के लिए बेल्जियम के विशेष शीशे मंगवाये थे और फिरोजाबाद से लोगों को बुलवाया था, ताकि शीश महल का सेट तैयार हो सके. उस दौर का यह पहला भव्य सेट था. जिसे, मुंबई के ही एक स्टूडियो में तैयार किया गया था. फिल्म में भगवान कृष्ण की जो मूर्ति इस्तेमाल की गयी है. वह सोने की थी.फिल्म में मधुबाला ने जो भी जेवर पहने हैं, सभी असली हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि के आसिफ किस हद तक जुनूनी थी और उन्होंने मुगलएआजम जैसी भव्य फिल्म बनाने का जिम्मा उठाया. उस दौर में भव्य सेट निर्माण की वजह से ही फिल्म का बजट 1.5 करोड़( वर्तमान में लगभग 40 करोड़) जा पहुंचा था.
शोले ः जब कर्नाटक में बना रामगढ़
हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्म शोले का सेट भी कर्नाटक के बंग्लुरु इलाके में तैयार किया गया था. रामगढ़. खास बात यह रही कि इस फिल्म की शूटिंग के लिए रमेश सिप्पी बंगलौर से रामगढ़ तक पहुंचने के लिए सड़क का भी निर्माण करा दिया था. भव्य सेट के निर्माण की वजह से ही यह फिल्म भी महंगी फिल्मों में से एक रही. इस फिल्म की शूटिंग के बाद रामगढ़ इलाके के एक शहर का नाम ही सिप्पीनगर रख दिया गया.
दबंग 2ः पहली बार पूरे स्टूडियो की बुकिंग
हिंदी सिनेमा में यह पहली बार है, जब किसी एक फिल्म के लिए किसी निर्माता ने पूरा का पूरा स्टूडियो बुक कर लिया है, क्योंकि प्रायः ऐसा होता है कि एक स्टूडियो के अलग अलग हिस्सों में एक ही समय में कई फिल्मों की शूटिंग चलती है. चूंकि पूरे स्टूडियो की बुकिंग महंगा सौदा है. लेकिन दबंग 2 की शूटिंग के लिए सलमान खान व टीम ने मुंबई के जोगेश्वरी स्थित कमाल अमरोही के स्टूडियो उर्फ कमालिस्तान स्टूडियो की पूरी बुकिंग कर ली है. इस स्टूडियो के 12 हिस्से तब तक किसी फिल्म को नहीं दिये जायेंगे. जब तक दबंग के पहले शेडयूल की शू्टिंग पूरी खत्म नहीं हो जाती. खबर है कि इस बार कमालिस्तान स्टूडियो इस बार दबंग 2 के लिए कानपुर शहर में तब्दील होने जा रहा है. सेट पर लगळग 80 सेक्योरिटी तैनात रहेंगे. लगभग 15 दिनों की बुकिंग की गयी है. इससे पहले खलनायक व कोयला जैसी फिल्मों में ही स्टूडियो के अधिकतर हिस्सों की बुकिंग होती थी. साफ जाहिर है कि सलमान इस बार भी सेट के बहाने भी दबंग 2 में कमाल दिखायेंगे.
लगान ः और बस गया था पूरा गांव
निदर्ेशक आशुतोष गोवारिकर की फिल्म लगान हिंदी सिनेमा की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक रही है. इस फिल्म में न सिर्फ कई कलाकार थे. बल्कि फिल्म का सेट भी भव्य तरीके से तैयार किया गया था. भुज से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कनुरिया इलाके में फिल्म की शूटिंग हुई थी. चूंकि फिल्म पीरियड फिल्म थी. इसलिए निदर्ेशक आशुतोष के लिए यह बेहद मुश्किल काम था कि वह उस स्थान को पूरी तरह पीरियड फिल्म के काबिल बना दें, उन्होंने मेहनत की. वहां लगभग 56 घर और गुबंद बनवाये गये. पहाड़ पर एक मंदिर बनवाया गया. लगभग चार महीने में सेट तैयार हुए. फिल्म ने ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की.
जोधा अकबर ः लौटी बादशाहत
निदर्ेशक आशुतोष गोवारिकर ने लगान के बाद फिल्म पीरियड फिल्म जोधा अकबर का निर्माण किया था. इस फिल्म में सेट को अहमियत दी गयी थी. आशुतोष ने विशेष रूप से दिल्ली, अलीगढ़, लखनऊ, आगरा व जयपुर से लोगों को बुलवाया. अजीमोशान शहशांह गीत में लगभग 1000 हजार लोगों को पारंपरिक कॉस्टयूम में प्रस्तुत किया. मुंबई के करजत में फिल्म का भव्य लोकेशन तैयार किया गया था. फिल्म के भव्य सेट की वजह से ही फिल्म लगभग 40 करोड़ रुपये की बजट में बनी थी.
संजय लीला भंसाली ः आर्ट को समझनेवाला निदर्ेशक
हिंदी सिनेमा में संजय लीला भंसाली भी उन निदर्ेशकों में से एक रहे हैं, जो आर्ट को समझते हैं. यही वजह है कि उनकी फिल्मों में हमेशा कलात्मक चीजें नजर आती रही हैं. उन्होेंेंने अपनी हर फिल्म में सेट को खूबसूरती से दर्शाया है. फिर चाहे वह सांवरिया हो, ब्लैक हो या फिर गुजारिश या फिर देवदास उनकी हर फिल्म में अलग ही दुनिया नजर आती है. गुजारिश में जहां उन्होंने गोवा के एक घर को खूबसूरती से घर में तब्दील कर दिया. वही सांवरिया की शूटिंग में उन्होंने मुंबई के एक स्टूडियो को पूरी तरह सपनों की दुनिया में तब्दील कर दिया.देवदास में भी उन्होंने भव्य सेट का निर्माण किया था.
मोहल्ला अस्सी ः फिल्म सिटी में बसा काशी का अस्सी
डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म मोहल्ला अस्सी में वाराणसी के अस्सी मोहल्ले को हूबहू तैयार किया गया था मुंबई के फिल्म सिटी में. इसके लिए डॉ चंद्रप्रकाश ने स्वयं वाराणसी जाकर खरीदारी की थी. और उन तमाम चीजों को मुंबई के फिल्म सिटी में स्थापित करने की कोशिश की, जिसे देख कर एकबारगी लोग धोखा खा जायें कि वे कहीं वाकई वाराणसी के अस्सी मोहल्ले में तो नहीं आ पहुंचे. टी स्टॉल से लेकर घर सबकुछ अस्सी मोहल्ले के होने का ही एहसास करा रहे थे.
क्यों गढ़े जाने लगे सेट.
कोटेशन ः श्याम बेनेगल, भारत में बिल्डिंग सेट बनाने का प्रचलन पुराने भारतीय थियेटर से आया. उस दौर में जब भारत में फिल्में शूट होती थी. लेकिन यहां तकनीक उतनी विकसित नहीं थी. और ऐसे में आउटडोर शूटिंग करना बेहद कठिन होता था. तो, उस दौर में स्टूडियो में ही सेट तैयार किये जाते थे. निश्चित तौर पर निदर्ेशक व सेट डिजाइनर की कलात्मक सोच से फिल्मों के सेट निखर कर सामने आते थे.
बॉक्स 3 ः हिंदी सिनेमा के शिरमौर आर्ट निदर्ेशक नितिन देसाई
हिंदी सिनेमा में अब तक लगभग जितने भी भव्य सेट नजर आते रहे हैं. उन्हें गढ़ने में आर्ट निदर्ेशक नितिन चंद्रकांत देसाई की महत्वपूर्ण भूमिकाएं रही हैं. अब तक लगान, देवदास, जोधा अकबर, हम दिल दे चुके सनम जैसी सभी भव्य सेट वाली फिल्मों का निर्माण इन्होंने ही किया है.
kuch script par ya iske baare mein bhi baataiye naa madam..
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