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20120326
सीक्वल अभी बाकी है मेरे दोस्त
फिल्म ओम शांति ओम का यह संवाद बेहद लोकप्रिय है...कि यह तो बस ट्रेलर था. पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त. लेकिन वर्तमान में अगर फिल्मों के बदलते ट्रेंड की बात की जाये तो यह संवाद अब यूं सटीक बैठता है कि यह तो बस पहली फिल्म थी. इसके सीक्वल बनने तो बाकी है मेरे दोस्त. चूंकि कई हिंदी फिल्मों में इन दिनों कोई सटीक अंत नहीं होता. बल्कि उनमें उसके अगले सीक्वल बनने के संदेश दिये जाते हैं. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म एजेंट विनोद में किसी अंत तक पहुंचने के बाद जब तक दर्शक यह महसूस करें कि फिल्म खत्म हो चुकी है. अचानक उनमें सीक्वल के संकेत दे दिये जाते हैं. अंत के कुछ दृश्यों के माध्यम से. मतलब फिल्म के निदर्ेशक व निर्माता सीक्वल की गुंजाइश इसलिए रखते हैं कि अगर उनकी पहली कोशिश कामयाब हुई है तो वह इसी ब्रांड नेम के साथ आगे भी कारोबार कर सकते हैं. केवल एजेंट विनोद ही नहीं, हाल की कई फिल्मों में सीक्वल के संकेत मिलते हैं. फिल्म रा.वन के अंत में जीवन का बेटा प्रतीक कुछ प्रयोगात्मक चीजें बनाने की कोशिश करता है और दर्शकों को यह संकेत मिल जाता है कि रा.वन अगले सीक्वल की तैयारी में है. ठीक इसी तरह फिल्म डॉन2 में भी शाहरुख अंतिम दृश्यों में जता जाते हैं कि अभी डॉन कई और भी सीक्वल में नजर आयेगा. अमिताभ बच्चन की फिल्म बुङ्ढा होगा तेरा बाप में भी इसके संकेत मिले हैं. साहेब बीवी गैंगस्टर के सीक्वल बनने शुरू हो चुके हैं. डबल धमाल में भी लगातार ऐसे ही दृश्य दिखाये जाते रहे हैं. दरअसल, हिंदी फिल्मों में इन दिनों यह एक तरह से सबसे सुरक्षित तरीका हो चुका है कि हिट फिल्मों के सीक्वल बनाये जायें . चूंकि दर्शक जिन फिल्मों से जुड़ जाते हैं. उन फिल्मों के नाम ब्रांड बन जाते हैं और जब इनके सीक्वल बनाये जाते हैं तो निर्माताओं को वह नाम दोबारा लोगों के जेहन में बिठाने में मशक्कत नहीं करनी पड़ती. अगर पहले दिखाई गयी फिल्म दिलचस्प होगी तो वह दिलचस्पी सीक्वल में भी बरकरार रहती है. यही वजह है कि इन दिनों अधिकतर फिल्मों में ऐसी गुंजाईश छोड़ी जा रही है. जबकि पुरानी फिल्मों में गौर करें तो कभी ऐसे अंत नहीं हुआ करते थे. फिल्मों का अपना खास अंत होता था. या तो बुरा या अच्छा. लेकिन अब इनमें लगातार बदलाव होते जा रहे हैं. गौर करें तो यह ट्रेंड गोलमाल सीरिज की फिल्मों से तेजी बदला है. चूंकि गोलमाल हिट रहीं.रोहित शेट्टी ने अब तक गोलमाल के तीन सीक्वल बना लिये हैं और उन्होंने शुरुआती गोलमाल से ही संकेत देना शुरू कर दिया था कि इसके सीक्वल बनेंगे. हालांकि रामगोपाल वर्मा की फिल्म अज्ञात में संकेत दिये गये थे कि अगली कड़ी बन सकती है. अनुराग कश्यप की फिल्म उड़ान पहली ऐसी सीक्वल फिल्म होगी, जो दस सालों के बाद बनेगी. इसमें भी अनुराग एक प्रयोग कर रहे हैं. वे उड़ान के किरदारों को वास्तविक रूप से युवा होने के बाद ही इस फिल्म को आगे बढ़ायेंगे. निस्संदेह ऐसे प्रयोगों से साबित होता है कि सीक्वल में भी प्रयोग किये जा सकते हैं.बहरहाल, वर्तमान दौर को देखते हुए इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है, कि यह आनेवाले सालों में और लोकप्रिय होता जायेगा
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