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20120315
साहेब, बीवी और माफिया
गुजरात के रॉबिनहुड कहे जानेवाले माफिया सरमन मुंजा जडेजा की वास्तविक जिंदगी पर जल्द ही अष्टविनायक व सोहम शाह प्रोडक्शन के बैनर तले फिल्म का निर्माण होने जा रहा है. इस फिल्म में मुख्य किरदार में संजय दत्त नजर आयेंगे. इस फिल्म के लिए संजय दत्त पूरी टीम के साथ पिछले 15 सालों से रिसर्च कर रहे हैं. फिल्म मई और जून से फ्लोर पर जा रही है. हिंदी सिनेमा में इससे पहले भी माफियों पर आधारित कई फिल्मों का निर्माण हो चुका है. साथ ही गैंगस्टर पर आधारित विषय पर भी कहानियां गढ़ी जाती रही हैं. खुद संजय दत्त ने ऐसे विषयों पर आधारित जंग, वास्तव व प्लान जैसी फिल्मों में काम किया है. उनके अलावा कंपनी, वन्स अपन अ टाइम इन मुंबई, शूट आउट एड लोखंडवाला व कई ऐसी फिल्में बन चुकी हैं. जल्द ही जॉन अब्राह्म शूटआउट एट वडाला में मान्या सवर्े की भूमिका के किरदार में नजर आयेंगे. लेकिन माफिया शरमन मुंजा जडेजा पर आधारित फिल्म पर सबकी निगाह रहेगी. चूंकि सरमन मुंजा जडेजा की पत्नी संतोखबेन पर वर्ष 1999 में फिल्म गॉडमदर का निर्माण हो चुका है. इस फिल्म में शबाना आजिमी ने संतोखबेन पर आधारित किरदार रांभी की भूमिका निभाई थी. फिल्म में संतोखबेन के जीवन के संघर्ष की कहानी बयां की गयी थी कि किस तरह रांभी ने अपने पति का साथ दिया. भ्रष्ट राजनीतिक सिस्टम व गरीबी के कारण उन्हें माफिया के रास्ते का चुनाव करना पड़ा. और कैसे अपने पति की मृत्यु के बाद न सिर्फ उन्होंने अपने पति की मौत का बदला लिया, बल्कि अपने पति की विरासत को संभाला. गॉडमदर के रूप में विनय शुक्ला ने एक बेहतरीन फिल्म बनाई. और अब संतोखबेन के ही पति पर फिल्म बनने जा रही है. हिंदी सिनेमा में शायद यह पहली बार होगा, जब किसी पति पत्नी की जिंदगी पर आधारित अलग अलग दो फिल्में बन रही होंगी. और उसमें भी पत्नी की जिंदगी पर पहले फिल्मांकन किया गया होगा और पति की जिंदगी में बाद में. वाकई, अनुमान लगाएं कि इन दोनों पति पत्नी की जिंदगी कितनी रोचक और दिलचस्प रही होगी कि माफिया की जिंदगी जीने के बावजूद निदर्ेशक उन पर फिल्म का निर्माण करने जा रहे हैं. दरअसल, हिंदी सिनेमा में ऐसे विषय हमेशा रोचक रहे हैं और दर्शकों को पसंद आये हैं. माफियाओं की वास्तविक कहानी पर आधारित जो भी फिल्में बनी हैं. इन सभी कहानियों में माफिया की जिंदगी के संघर्ष की बखान किया गया है. जिनमें उनकी मजबूरी, हालात व गरीबी को दर्शाया जाता रहा है. यही वजह है कि हाजी मस्तान, संतोखबेन व कई ऐसे माफियाओं के जीवन से आम लोगों के साथ साथ आम दर्शकों की हमदर्दी जुट जाती है. और वे उन्हें गॉडमदर, रॉबिनहुड, फरिश्ता का नाम दे देते हैं. दरअसल, सच्चाई भी यही है कि आज भी ऐसे कई माफिया हैं, जो केवल काला धन कमाने या ऐशोआराम की जिंदगी जीने के लिए व्यवसाय नहीं करते. बल्कि आम लोगों की मदद भी करते हैं. वे क्रूरर नहीं होते. दयालु होते हैं. विनय शुक्ला की फिल्म गॉडमदर इस लिहाज से मिसाल के तौर पर पहले से ही सामने है.संभव हो कि सरमन की जिंदगी पर आधारित फिल्म भी उस कसौटी पर खरी उतरे.
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