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20120304
जेहन में जिंदा रहेंगे पान सिंह तोमर
फ़िल्म : पान सिंह तोमर
कलाकार : इरफ़ान खान, माही गिल, विपिन शर्मा एवं राजेंद्र गुप्ता
निर्देशक : तिग्मांशु धुलिया
संगीत : अभिषेक रे
रेटिंग : 4.5 स्टार
यह हिंदी सिनेमा का दुर्भाग्य है कि पान सिंह तोमर जैसी फ़िल्में बनने के बाद रिलीज के लिए कई वर्षो तक इंतजार करती हैं. जबकि ऐसी कहानियों की हिंदी सिनेमा जगत को सख्त जरूरत है. फ़िल्म के निर्देशक तिग्मांशु धुलिया विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने ऐसे अनछुए विषय को चुन कर उस पर शोध परक फ़िल्म बनाने की हिम्मत की.
यह हर लिहाज से हिंदी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है. न सिर्फ़ विषय के लिहाज से बल्कि, कलाकारों के चयन, लोकेशन का चयन, निर्देशन, लेखन, सभी लिहाज से सिनेमा की हर विधा में कसौटी पर उतरती है यह फ़िल्म.
फ़िल्म की कहानी एक आम व्यक्ति से फ़ौजी बने, फ़िर खिलाड़ी बने और फ़िर हालात से मजबूर होकर बागी बने पान सिंह तोमर की कहानी है. यह फ़िल्म एक साथ कई संदेश देती है. एक आम व्यक्ति कभी शौक से बागी नहीं बनता या हथियार नहीं उठाता. हालात से मजबूर होकर ही उसे कदम उठाना पड़ता है.
साथ ही उन तमाम खिलाड़ियों को यह फ़िल्म श्रद्धांजलि देती है, जो सम्मान व सुविधाओं के हकदार होते हुए भी उनसे वंचित रह जाते हैं. इस फ़िल्म की खास बात यह भी है कि निर्देशन के दृष्टिकोण से तिग्मांशु ने इस पर पूरा शोध किया है. उन्होंने स्टीपलचेज खेल की बारीकियों को खूबसूरती से बैकग्राउंड स्कोर के साथ परदे पर उतारा है. साथ ही इरफ़ान ने भी किरदार को पूरी तरह जीवंत कर दिया है. इरफ़ान ने पान सिंह के किरदार को निभाया नहीं, बल्कि उसे जिया है.
फ़िल्म में वे पान सिंह ही नजर आते हैं. उन्होंने एक खिलाड़ी, अपने परिवार से प्यार करनेवाला ग्रामीण व्यक्ति, फ़ौजी और फ़िर बागी एक साथ कई भूमिकाएं निभायी हैं और सभी प्रभावशाली हैं. उनकी संवाद अदायगी, चेहरे के भाव सबकुछ कह जाते हैं. इस फ़िल्म से उन्होंने साबित कर दिया है कि हिंदी फ़िल्मों में उन्हें ध्यान में रख कर ऐसे विषयों पर कहानी बनायी जा सकती है. ऐसी फ़िल्मों में किसी अभिनेता की मेहनत परदे पर नजर आती है.
पान सिंह तोमर एक गंभीर विषय होते हुए भी फ़िल्म ऊबाउ नहीं लगती. इसमें मनोरंजन के भी भरपूर तत्व मौजूद हैं. अन्य किरदारों में राजेंद्र गुप्ता, विपिन शर्मा, माही गिल के साथ सभी सह कलाकारों ने भी बेहतरीन अभिनय किया है. संवाद लिखने में एक बार फ़िर तिग्मांशु व संजय चौहान की टीम सफ़ल रही है. फ़िल्म हर दर्शक के लिए है. फ़िल्म देखने के बाद यह फ़िल्म आप पर इस कदर प्रभाव छोड़ेगी, कि आपके जेहन में हमेशा पान सिंह तोमर जिंदा रहेंगे
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