20130408

बिंदास कॉमेडी है घनचक्कर : राजकुमार गुप्ता


‘आमिर’ और ‘नो वन किल्ड जेसिका’ जैसी फिल्मों से सबको झकझोर देनेवाले युवा निर्देशक राजकुमार गुप्ता इस बार अपनी फिल्म ‘घनचक्कर’ से दर्शकों को हंसाने की तैयारी में हैं. इस फिल्म में वर्तमान की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री विद्या बालन दर्शकों को पंजाबी कुड़ी के रूप में हंसाती नजर आयेंगी.

 राजकुमार, अब तक आपने ‘आमिर’ और ‘नो वन किल्ड जेसिका’ दोनों फिल्मों से गंभीर मुद्दों को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया. फिर अचानक आपने अपना जॉनर क्यों बदल दिया?
मैं यह तो नहीं कहूंगा कि मेरी फिल्में काफी सीरियस मुद्दों पर बनी थीं. हां, लेकिन उस वक्त जो माहौल चल रहा था, वह काफी फायरिंग था. ‘नो वन किल्ड जेसिका’ बहुत इंस्पायरिंग कहानी थी. ये दोनों फिल्में बनीं, दर्शकों ने इन्हें पसंद भी किया. बतौर फिल्ममेकर मैं यह बिल्कुल नहीं चाहूंगा कि मैं एक ही तरह की फिल्में बनाऊं. इसीलिए मेरे पास जब यह कहानी आयी तो मुझे लगा कहानी में दम है. फिल्म ‘घनचक्कर’ को मैं एक अलग तरीके से देखना चाहता हूं. कहानी जब मिली तो इंस्पायरिंग लगी. परवेज शेख एक नये लेखक हैं. यह कहानी उन्होंने ही मुझे दी थी. मुझे लगा कि यह कहानी कॉमिक जोन में जा सकती है. फिर हमने इसको लिखना शुरू किया और स्क्रिप्ट जब खत्म हुई तो हमें बहुत खुशी हुई कि हम जैसा चाहते थे, वैसी स्टोरी लिख पाये. जिस तरह से फिल्म के किरदार निकल कर आये, मुझे लगने लगा कि मैं इस पर एक अच्छी फिल्म बना पाऊंगा.

चर्चा थी कि आपने फिल्म का नाम ‘रापचिक रोमांस’ रखा है?
‘रापचिक रोमांस’ मेरी दूसरी फिल्म है, जिसे मैं इस फिल्म के बाद करूंगा. ‘रापचिक रोमांस’ एक कॉमेडी रोमांटिक थ्रिलर फिल्म होगी. लेकिन ‘घनचक्कर’ उससे पहले की फिल्म है.

विद्या बालन को ही फिल्म में चुनने की वजह उनका स्टारडम है या फिर उनका अभिनय?
आप जब विद्या के बारे में यह बात कह रहे हैं, तो निश्चित तौर पर हम उनके अभिनय की ही बात करेंगे. वैसे, मैं कोई भी कहानी जब तक लिख नहीं लेता उसकी कास्टिंग नहीं सोचता.  इस फिल्म की कहानी खत्म करते ही मेरे दिमाग में जो पहला नाम आया, वह विद्या का ही था. और विद्या ही क्यों? इसका जवाब यह है कि विद्या क्यों नहीं? विद्या हमारी इंडस्ट्री की इस वक्त की सबसे फाइनेस्ट एक्ट्रेस हैं. उनके जैसे बहुत कम कलाकार हैं. जब मैंने उस कैरेक्टर को बनाया, जिस तरह कहानी में मैंने कैरेक्टर लिखा और जब वह निकल कर सामने आया, तो मुझे लगा कि विद्या से बेहतर इस किरदार को कोई नहीं निभा सकता. इसीलिए मैंने सबसे पहले उनको ही अप्रोच किया. उन्होंने हां कहने में थोड़ा समय लिया, क्योंकि उस वक्त वह और भी कई फिल्में कर रही थीं, लेकिन जब उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ी तो वह पूरी तरह संतुष्ट हो गयीं. हालांकि अब विद्या सुपरस्टार हैं, इसलिए उन्हें मनाना कठिन रहा. वैसे अब तक उन्होंने जिस तरह के किरदार निभाये हैं, यह उनसे बिल्कुल अलग है. पहली बार विद्या परदे पर लोगों को हंसाती हुई नजर आयेंगी. विद्या को स्क्रिप्ट की जबरदस्त समझ है. उन्हें कोई कंफ्यूज नहीं कर सकता. वे जानती हैं कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं. इंडस्ट्री में कम ही लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें पता होता है कि उन्हें क्या नहीं करना है. वह जबरदस्ती कोई काम नहीं करतीं और जो काम वह करती हैं उसे अपना सौ प्रतिशत देती हैं. फिर चाहे वह उनके अभिनय की बात हो या लुक की. वह परफेक्ट हैं.

फिल्म में उनके लुक को लेकर काफी चर्चा है. लोग मान रहे हैं कि विद्या खुद इस फिल्म से अपने लुक की बनी बनायी इमेज को बदलेंगी. 
देखिए, मैं फिर यही बात कहना चाहूंगा कि विद्या जानती हैं कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं. इस फिल्म में विद्या बिंदास पंजाबी लड़की का किरदार निभा रही हैं. यूं तो डायरेक्ट अपनी फिल्म की एक्ट्रेस से कहते हैं कि वेट लूज करो, वेट लूज करो. लेकिन मैंने विद्या को उनकी फिल्म ‘डर्टी पिक्चर्स’ से भी ज्यादा वेट बढ़ाने को कहा था. ‘डर्टी पिक्चर’ के बाद विद्या ने अपना वजन बहुत कम कर लिया था, लेकिन मुझे अपने किरदार के लिए विद्या बढ़े वजन में चाहिए थीं. एकबारगी मुझे लगा कि कहीं वह मुझे मना न कर दें, लेकिन मैंने उनसे रिक्वेस्ट की कि आपको वजन बढ़ाना होगा. मैंने जैसे ही उनसे ऐसा कहा, उन्होंने मेरी तरफ देखा और मुझे लगा कि वह बोलेंगी कि राजकुमार इस फिल्म को छोड़ देते हैं, कुछ और करते हैं, क्योंकि उन्होंने बहुत मेहनत से वजन कम किया था. लेकिन उन्होंने कहा कि जो भी कैरेक्टर के लिए करना है, मैं करूंगी. जब आप देखेंगे कि वह फिल्म में बिंदास पंजाबी कैरेक्टर में हैं, तो आप विद्या की बाकी फिल्मों को भूल जायेंगे. यही तो खासियत है विद्या की, वह हर किरदार में अलग नजर आती हैं. विद्या इस फिल्म में खाने की शौकीन हैं. शॉपिंग की शौकीन हैं. वह   फिल्म में गाली देनेवाली पंजाबी लड़की की भूमिका में हैं. विद्या ने इस किरदार को बहुत बखूबी निभाया है.

अपने प्रति इंडस्ट्री के नजरियेमें किस तरह का परिवर्तन महसूस करते हैं. आप न केवल कामयाब फिल्मों के निर्देशक बन चुके हैं, बल्कि पहले ऐसे निर्देशक हैं, जिसके साथ विद्या दोबारा काम कर रही हैं ?
मेरे ख्याल से मेरी फिल्मों की क्रेडिबिलिटी रही है. चाहे वह डायरेक्टर के तौर पर हो या राइटर के तौर पर. लोगों ने मेरी फिल्मों को याद रखा है और मेरी पहली फिल्म से ही लोगों ने यह मान लिया था कि मैं अच्छी फिल्में कर सकता हूं. उस क्रेडिबेलिटी के आधार पर कोई दिक्कत नहीं होती. हां, यह जरूर है कि आप जब अपनी पहली फिल्म कर रहे होते हैं तो आपको कोई नहीं जानता. लोगों को शक होता है कि पता नहीं अच्छा करेगा या नहीं. लेकिन, दूसरी फिल्म भी अगर अच्छी बन जाये तो लोग मान लेते हैं कि निर्देशक में कुछ तो बात है. ऐसा नहीं है कि निर्देशकों का स्ट्रगल खत्म हो जाता है. स्ट्रगल तो रहता ही है. दस फिल्म बनाने के बाद भी स्ट्रगल रहता है. यह जरूर है कि लोग आपको जानने लगते हैं तो काम थोड़ा आसान हो जाता है. आप जब किसी निर्माता के पास अपनी कहानी लेकर जाते हैं तो लोग आपको सुनने लगते हैं कि आप कहना क्या चाहते हैं. करना क्या चाहते हैं. काम देखने के बाद लोगों का आप पर एक विश्वास-सा जाग जाता है.

विद्या कितनी बदली हैं? अब तो वह सुपरस्टार बन चुकी हैं और उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला है?
विद्या जैसी थीं, वैसी ही हैं. मैंने उनकी तरह डाउथ टू अर्थ लड़की अब तक नहीं देखी. वे डायरेक्टर और कहानी को लेकर अब भी बहुत सजग रहती हैं कि क्या करना चाहिए क्या नहीं. वे हंबल हैं और सबकी बातों को सुनती हैं. वे जानती हैं कि उन्हें फिल्मों में खुद को किस तरह से प्रेजेंट करना है. मैं उन्हें चार सालों से जानता हूं. वे जितनी हंसमुख हैं उतना ही अपने काम को लेकर सीरियस रहती हैं. ‘घनचक्कर’ में भी उन्होंने जो परफॉरमेंस दी है, आपको विश्वास नहीं होगा कि उन्होंने किस तरह से खुद को किरदार में ढाला है, वह सिर्फ विद्या बालन ही कर सकती हैं. विद्या स्वभाव में कभी नहीं बदलेंगी. वह बहुत गट्सी एक्ट्रेस हैं.

इन दिनों फिल्मों और फिल्म के गीतों पर सेंसर की पैनी नजर है. इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
देखिए, इसके बारे में बहुत तो नहीं जानता, लेकिन मैं मानता हूं कि सेंसरबोर्ड का अपना प्वाइंट आॅफ व्यू है और वह बदलता है. मुझे यह तो नहीं पता कि वे क्या सोचते हैं, लेकिन अगर वे मानते हैं कि कुछ गलत है, तो यह उनकी धारणा है कि किसलिए वह आॅब्जेक्शनल है. किसी ने फिल्म में गाली दी और टेलीविजन पर उसे दिखाना है, इसलिए गाली को फिल्म से हटाना है, क्योंकि टेलीविजन बच्चों का भी माध्यम है, तो उनकी सोच सही ही होगी और हमें वह सुनना ही होगा.

स्पीलबर्ग से आपकी मुलाकात हुई? यह अनुभव कैसा रहा? 
स्पीलबर्ग की फिल्में देख कर हम बड़े हुए हैं, ऐसे में मेरे लिए यह काफी बड़ा अवसर था, जो काफी अच्छा रहा. काफी कुछ जानने का मौका मिला. हमारी तरफ से अमिताभ  बच्चन जी ने सारे प्रश्न पूछे थे. हमें जो जवाब मिले, उनसे हम खुश थे. हम सभी उनसे मेस्मराइज्ड थे. कुल मिलाकर बहुत अच्छा अवसर था.

अपनी फिल्म में इमरान हाशमी को कास्ट करने की कोई खास वजह?
रियल लाइफ में इमरान बहुत प्रोफेशनल और हंबल हैं. सिंपल आदमी हैं, लेकिन जब हम इमरान को परदे पर देखते हैं, तो हम महसूस करते हैं कि वह काफी शो आॅफ और एटीट्यूड दिखानेवाले होंगे. वह एक अलग मिजाज के दिखनेवाले अभिनेता हैं. जैसा उनका किरदार है, मैं उसे निकाल कर सामने लाना चाहता था. इस फिल्म में हम सभी ने मिथुन दा को ट्रिब्यूट दिया है. इमरान ने वह अंदाज बहुत बखूबी निभाया है. हम सभी मिथुन दा की फिल्में देख कर बड़े हुए हैं, तो मुझे लगता है कि इमरान को इस किरदार में देखकर बहुत मजा आयेगा.

विद्या बिल्कुल वाइन की तरह हैं. जिस तरह वाइन जितना घुलती जाती है, वह अच्छी होती जाती है. विद्या भी फिल्म-दर- फिल्म खुद को साबित कर रही हैं और बेहतर होती जा रही हैं. मैं लकी हूं कि वे मेरे साथ दोबारा काम कर रही हैं और हम अच्छा ही करेंगे. 

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