20130408

अब लोग मुझे सीरियसली लेते हैं : आयुष्मान खुराना



 विकी डोनर आयुष्मान खुराना की पहली फिल्म थी. लेकिन पहली फिल्म से ही इन्होंने साबित कर दिया कि वे बेहतरीन कलाकार हैं. विकी डोनर को हाल ही में राष्टÑीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है, निश्चिततौर पर उनका आत्मविश्वास बढ़ा है.  फिल्म नौटंकी साला से दर्शकों के सामने एक अलग ही अंदाज में प्रस्तुत होंगे. 

आयुष्मान, सबसे पहले आपको बहुत बहुत बधाई कि आपकी पहली ही फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला. कैसा महसूस कर रहे हैं आप. पहली फिल्म और नेशनल अवार्ड
जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया. बेहद खुश हूं कि विकी डोनर को तीन तीन राष्टÑीय अवार्ड मिले हैं. यह फिल्म डिजर्व भी करती थी. चूंकि हिंदी में ऐसी फिल्में कम ही बनती हैं. जो मनोरंजन के साथ साथ एक मेसेज भी दे सके. इस फिल्म ने वैसा ही किया था. तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी कामयाबी है. खुश हूं और दुआ करता हूं कि मेरी बाकी की फिल्में भी यूं ही पुरस्कारों से नवाजी जाती रहे.

 नौटंकी साला आपकी दूसरी फिल्म है. क्या वजह रही कि आपने अपनी दूसरी फिल्म के रूप में इस फिल्म को चुना. चूंकि आपकी पहली फिल्म इतनी कामयाब रही है तो आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जायेगी.
मुझे लगता है कि किसी भी कलाकार के लिए हर फिल्म उसकी महत्वपूर्ण फिल्म होती है. फिर चाहे वह पहली फिल्म हो या दूसरी या तीसरी या चौथी. मुझे लगता है कि शुरुआती दौर में आपको ऐसे किरदार करने चाहिए जिससे आप खुद को रिलेट कर पायें. जैसे विकी डोनर का विकी मुझे लगता है कि मुझमें ही कहीं है. नौटंकी साला को साइन करने की भी वजह यही थी कि इस फिल्म में मैं एक थियेटर एक्टर डायरेक्टर की भूमिका निभा रहा हूं और वास्तविक जिंदगी में भी मैं एक्टर डायरेक्टर की भूमिका निभा चुका हूं. साथ ही साथ मैं एक स्ट्रलिंग एक्टर भी हूं इस फिल्म में. रियल लाइफ में भी मैं स्ट्रलिंग एक्टर रह चुका हूं तो मुझे लगता है कि ये सारे किरदार मेरे रियल लाइफ से जुड़े हैं और मैं इन सभी को अपनी जिंदगी में एक्सपीरियंस कर चुका हूं तो मुझे इन किरदारों को निभाने में आसानी होती है. और इसका सीधा असर आपके अभिनय पर होता है.

आप थियेटर से जुड़े रहे हैं तो अभिनय में यह कितना सहायक हो रहा है?
मैं तो कहूंगा कि बहुत बहुत ज्यादा. चूंकि आप जब कई सालों तक थियेटर कर चुके होते हो तो आपके पास सेंस आॅफ डिसिजन मेकिंग आ जाती है. आप अभिनय की बारीकियों, लूप फॉल्स को अच्छे से समझ सकते हैं. और अगर फिल्म नौटंकी साला जैसी है, जहां थियेटर अहम भूमिका में है तो मुझे लगता है कि ऐसे ही वक्त आपके थियेटर के अनुभव काम आते हैं. और साथ ही साथ अगर ऐसी फिल्म में आपके को स्टार्स भी थियेटर से जुड़े हैं तो काम करने का माहौल और बेहतरीन हो जाता है.

थियेटर को लेकर तो पहले भी फिल्में बनती रही हैं. फिर क्या अलग सी बात  है नौटंकी साला में? 
हां, यह सच है कि इससे पहले भी हिंदी फिल्मों में कई बार थियेटर को दिखाया जाता रहा है. लेकिन अब तक इसका केवल मजाक उड़ाया जाता रहा है. इस फिल्म में थियेटर को मजाकिया अंदाज में दिखाया जरूर गया है. लेकिन एक गंभीर बात भी है. जो आप फिल्म देखेंगे तो समझ जायेंगे. इस फिल्म में थियेटर एक अहम किरदार है.
रोहन  सिप्पी बेहतरीन निर्देशक होते हुए भी अब तक कमर्शियल हिट फिल्में नहीं दे पाये हैं तो इस फिल्म को साइन करते वक्त कहीं जेहन में कुछ संदेह था कि करूं  या न करूं फिल्म?
देखिए, मैं मानता हूं कि फिल्मों के हिट या फ्लॉप से हम किसी निर्देशक की काबिलियत पर भरोसा या संदेह नहीं कर सकते. मैं यहां सोच कर आया हूं कि अलग तरह के निर्देशकों के साथ काम करूंगा और रोहन जिस तरह के निर्देशक हैं, जिस तरह से वे स्क्रिप्ट का नैरेशन देते हैं या फिर जिस तरह से वे सीन को गढ़ते हैं. वह मुझे इंप्रेस करता है. मुझे उनकी ब्लफमास्टर बहुत अच्छी लगी थी. उनकी टैक्सी नंबर 9211 भी मेरी पसंदीदा फिल्मों में से एक है. मुझे तो दम मारो दम भी अच्छी लगी थी. मुझे रोहन की सेंसेलबिलिटी अच्छी लगती है. वे अपनी फिल्मों को लेकर कैजुअल अप्रोच नहीं रखते. थियेटर की भी समझ है उनको. सेट पर काफी कूल रहते हैं वह.

नौटंकी साला फ्रेंच फिल्म पर आधारित है तो हिंदी में यह कितनी अलग होगी?
जी हां, बिल्कुल यह सच है कि यह फिल्म फ्रेंच फिल्म एप्रेस वाउस का आॅफिशियल हिंदी रीमेक है. मैंने यह फिल्म देखी है और मुझे यह फिल्म इतनी मजेदार लगी थी कि मैं क्या बताऊं. मुझे लगता है कि रोहन काफी ईमानदारी से अपनी फिल्मों को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करते हैं. और इस बार यकीनन दर्शकों को उनकी यह कोशिश पसंद आयेगी.

आयुष्मान आप एक साथ कई जिम्मेदारियां निभा रहे हैं तो कितना आसान कितना मुश्किल है. भटकाव का डर नहीं रहता कि कहीं ये नहीं कर पाया तो कहीं चूक रह गयी तो ?
जी हां, यह बात तो सच है कि यह सब बहुत कठिन है. एक साथ मैं गाने लिख भी रहा हूं.गा भी रहा हूं. अभिनय भी कर रहा हूं. लेकिन मुझे खुद पर  इतना भरोसा है कि मैं जो करूंगा अच्छा करूंगा. वैसे मैं एक बात बताना चाहूंगा कि फिल्म विकी डोनर में जो गीत मैंने लिखा था और गाया. और अब नौटंकी साला में जो गीत गाने जा रहा हूं. दोनों ही गाने मैंने कॉलेज के दिनों में लिखा था. और अब वह काम आ रहे हैं तो मुझे हमेशा से इन सारी चीजों का शौक रहा है. परफॉरमर रहा हूं. इसलिए तो शुरुआत से लेकर अब तक होस्टिंग, एंकरिंग सब करते करते यहां आ पहुंचा हूं.

आप स्पॉनटेनियस एक्टर हैं या फिर अपने किरदारों के लिए काफी होम वर्क करते हैं?
यह तो फिल्म के किरदार पर निर्भर करता है. विकी डोनर में काफी होम वर्क करता था. लेकिन कभी कभी होम वर्क ज्यादा हो जाता था तो सरकार कहते कि थोड़ा स्पॉनटेनियस हो जा यार. तो मुझे लगता है कि मैं मिक्सड आॅफ बोथ हूं.

आयुष्मान, आपकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. खासतौर से लड़कियों में आपकी फैन फॉलोइंग बहुत ज्यादा है तो किस तरह आप अपनी लोकप्रियता बरकरार रखना चाहेंगे और पहले के आयुष्मान और अब के आयुष्मान में कितना बदलाव आ चुका है? 
कुछ नहीं बदला है जी. मैं तो वैसा ही हूं और बदलूंगा क्यों. मैं मुंबई से तो हूं नहीं और न ही कुछ भी आसानी से मिला है. हां, यह जरूर है कि सबकुछ खुद की बदौलत हासिल की है तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है. मुझे खुशी इस बात की है कि लोगों ने उम्मीद जारी रखी है. हां, बस इतना जरूर ख्याल रखा है कि मुझे अपने पैर जमीन पर रखना है. लेकिन खुशी होती है कि विकी डोनर में मेरे काम को देख कर लगभग सारे सुपरस्टार्स ने मेरी सराहना की. आज भी कहीं मिलते हैं तो कहते हैं कि वाह कमाल का काम किया है तो संतुष्टि होती है. कोशिश होगी कि सोच समझ कर काम करूं. सपना था कि मुंबई में घर हो. बीवी को खुश रख सकूं. वो सबकुछ कर रहा हूं. आसान नहीं रहा सफर लेकिन कर पाया. ये खुशी है.

आप मुंबई या किसी फिल्मी खानदान से नहीं है तो कितनी मुश्किलें रही राह.एक आउट साइडर के रूप में?
हां, यह सच है कि हमें जहां 4 साल लगते हैं. वहां उन्हें आसानी से काम मिलता है और दोबारा मौके भी मिल जाते हैं. लेकिन लोग उनसे ज्यादा उम्मीद करते हैं और उन्हें खुद को साबित करना ज्यादा कठिन होता है क्योंकि उनके साथ उनके फिल्मी खानदान का नाम जुड़ा है. और अपना क्या है. हम हैं तो ठीक न है तो ठीक़. तो मुझे लगता है कि परेशानियां दोनों तरफ है. हां, बस फर्क इतना है कि उन्हें दूसरे मौके मिलते हैं और हम आउट साइडर्स को उसके मुकाबले कम दोबारा मौके मिलते हैं. लेकिन साबित करना खुद को और लंबे दौर तक स्थापित करना एक चैलेंज है हर किसी के लिए. जब शुरुआती दौर में मैं मुंबई आया तो दोस्तों के साथ इलिगल रूप से हॉस्टल में रहता था. वहां अलाउड नहीं था. फिर भी. तो मुझे लगता है कि जो सेल्फ मेड लोग होते हैं और कुछ हासिल कर लेते हैं तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता ही जाता है.

इंडस्ट्री का रवैया आपके प्रति कितना बदला है?
बहुत बदला है. मुझे लगता था कि भारत में क्रिकेट और सिनेमा सबसे पॉपुलर चीजे हैं तो मैंने टीवी भी किया. क्रिकेट के लिए एंकरिंग भी की. लेकिन जब तक आप फिल्में नहीं करते. लोग आपको सीरियसली नहीं लेते. फिल्में करते ही आपके प्रति लोगों का सम्मान बढ़ जाता है. तो मुझे लगता है कि सिनेमा का माध्यम आज भी सबसे बड़ा है.फिल्मों से लोग आपको हमेशा याद रखते हैं. टीवी के किरदारों को याद नहीं रखते.

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