विपुल शाह जब भी फिल्में लेकर आते हैं. दर्शकों को उम्मीद रहती है कि वे कुछ अलग जरूर परोसेंगे. बतौर निर्माता इस बार वे कमांडो लेकर आ रहे हैं, जो एक् शन से भरपूर है.विपुल का दावा है कि कमांडो में जिस तरह के एक् शन दृश्य दिखाये गये हैं, वे बॉलीवुड में नये तरह का प्रयोग होगा.
कमांडो बनाने की प्लानिंग कैसे हुई?
मैं एक अलग तरह की एक् शन फिल्म बनाना चाहता था. और विधुत इसके लिए कमाल के एक्टर साबित हुए, क्योंकि उन्होंने मार्शल आर्टस में गजब की ट्रेनिंग कर रखी है और भी कई तरह के आटर््स आते हैं उन्हें. तो मुझे लगा कि विधुत के साथ इस तरह की कोई फिल्म बनाई जाये. साथ ही मैं चाहता था कि मैं कोई ऐसा एक् शन फिल्म बनाऊं., जो बिल्कुल अलग हो. ऐसा एक् शन किया जाये जो भारत में इससे पहले कभी नहीं हुआ हो. आपने अगर ट्रेलर देखा होगा तो आप खुद इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि कमांडो किस तरह की फिल्म होगी और हमें जिस तरह के रिस्पांस मिल रहे हैं वह कमाल के रिस्पांस मिल रहे हैं.
विधुत नये हैं तो कोई रिस्क महसूस नहीं किया?
हां, हर निर्माता के लिए यह बड़ी बात होती है कि वह जिस एक्टर का चुनाव कर रहा है, क्या वह फिल्म का फेस बन पायेगा या नहीं और चूंकि हम एक् शन फिल्म बना रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि हम इसमें किसी तरह के कॉमेडी हीरो को तो नहीं ले सकते थे. विधुत में वह सारी क्वालिटीज नजर आयी और इसलिए हमने उन्हें चुना.
भारत में फिर से एक् शन फिल्मों की वापसी हो रही है. बदल रहा है ट्रेंड? हॉलीवुड से क्यों इंस्पायर क्यों रहती है
नहीं मैं नहीं मानता कि हमारी हर फिल्में वहां से इंस्पायरड हैं. देखिए वहां के सिनेमा अलग है. यहां का सिनेमा अलग है. आज अगर हमारी फिल्म का बजट 100 करोड़ है तो उनका 5000 करोड़ ेहोगा. जितने में यहां साल भर की फिल्में बनती हैं. वहां एक फिल्म बनती है. होता अक्सर यह है कि हमारे पास वह बजट नहीं होता. हमारी आॅडियंस वैसी नहीं है. दूसरी बात है कि वह अपनी हर फिल्म बनाने में वक्त लगाते हैं. वे काफी तैयारियां करते हैं और उसमें भी पैसे खर्च करते हैं. हमारे यहां वह कल्चर नहीं है. फिर देखा देखी की बात कहां से आती है.
किस तरह के ट्रेनर्स को बुलाया आपने इस फिल्म के लिए?
हमने हॉलीवुड व विदेश से लगभग चार ट्रेनर को बुलाया है. जो कि साउथ अफ्रीका से हैं. फ्रांस से हैं. फ्रांस के सबसे चर्चित एक् शन निर्देशक को हमने बुलाया इसलिए कि लोगों को यहां कुछ नया लगे. वे आम तरह की एक् श्न फिल्में देख कर बोर हो चुके हैं. उनके साथ नौ लोगों की टीम आयी. हमने चार महीने तैयारी की है. मुझे लगता है कि हमने कुछ तो नया हासिल जरूर किया है.
आप किस आधार पर बाहरी ट्रेनर्स को बुलाते हैं?
हम उनका काम देखते हैं और उसके बाद ही हम तय करते हैं कि हम किन्हें शामिल करना है.
क्या आमतौर पर जो फिल्में बनती हैं, उनकी तूलना में ए क् शन फिल्मों का बजट अधिक होता है?
जी बिल्कुल, क्योंकि आपको कई एक् श्न निर्देशक को बुलाना होता है. वे कई महीने यहां रहते हैं. फिर शूटिंग के दौरान गाड़ियां अलग तरह की इस्तेमाल होती हैं. कितने सारे इक्वीपमेंट बर्बाद किये जाते हैं. काफी कुछ खर्च होता है. लेकिन आॅडियंस को चार्म होता है कि वे एक् श्न फिल्म देखें.
आपने क्यों नहीं डायरेक्ट की यह फिल्म
मुझे लगा कि इस फिल्म में निर्माता की भूमिका अहम है. चूंकि मुझे ही तय करना था कि फिल्म का हीरो कैसा होगा. एक् शन कैसा होगा जो भारत में कभी नहीं दिखा हो. नया लड़का लड़की, म्यूजिक निर्देशक हैं. निर्देशक फर्स्ट टाइमर है तो इन सारी बातों में निर्माता की भूमिका अहम हो जाती है तो मुझे लगा कि दिलीप घोष नये निर्देशक हैं. उन्हें मौका देना चाहिए. टीम के जोश के साथ मैं हूं.
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पूजा चोपड़ा बेहतरीन अभिनेत्री हैं, ज्यादा तैयारी नहीं करतीं. बिंदास रहती हैं और हमारे किरदार के लिए यही अहम चीजें थीं. उनमें. जिसकी वजह से हमने उन्हें कास्ट किया.
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