अनुराग कश्यप ने एक फिल्म को प्रेजेंट किया है. द वर्ल्ड बिफोर हर. यह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है. इस फिल्म में उन हर तबके की महिलाओं की कहानी है, जिन्होंने कुछ नया करने का साहस किया और हमेशा दुनिया उनके आड़े आयी. इसमें मिस इंडिया रह चुकीं पूजा चोपड़ा की मां की कहानी, एक कोठे का धंधा करनेवाली महिला की कहानी जो कि खुद भी शिक्षित होना चाहती हैं और अपने साथ काम कर रहीं तमाम लड़कियों को भी शिक्षित होने की प्रेरणा देती हैं. वे लड़कियां, जिन्हें हम ब्यूटी पेंजेंट में देखते हैं. उन्हें भी किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. इस फिल्म के माध्यम से वाकई पहली बार किसी निर्देशिका ने कुछ ऐसी सच्चाईयों को लोगों के सामने लाने की कोशिश की है, जिसे देख कर शायद हम यह अनुमान लगा पायें कि किस तरह ब्यूटी पेंजेंट में हिस्सा लेने वाली लड़कियों को हम ग्लैमरस लुक में देखते हैं. लगभग 20 लड़कियों को बड़े मौके भी मिलते हैं. लेकिन बाकी सारी लड़कियां किस प्रताड़ना और सामाजिक दबाव से अपने भविष्य में गुजरती हैं. इनके अलावा दुर्गा वाहिनी किस गु्रप किस तरह महिलाओं की मिल्ट्री टीम तैयार कर रही हैं. निर्देशिका निशा पाहुजा ने इसे बखूबी इस फिल्म के माध्यम से दर्शाया है. अभिनेत्री पूजा चोपड़ा की मां ने किन परेशानियों से जूझ कर पूजा को पहचान दिलायी. पूजा चोपड़ा की मां की कहानी भी इस डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा है. दरअसल, निशा ने एक साथ भारत की उन तमाम महिलाओं की जिंदगी को महसूस करने की कोशिश की है, जिनके लिए वाकई जिंदगी आसान नहीं हैं और वे लगातार खुद को साबित करने की कोशिश में जुटी हुई हैं. भारत की असली तसवीर यही है. सतही तौर पर जो हम देखते हैं या सोचते हैं, वह अर्ध सत्य है. महिलाओं की जिंदगी में संघर्ष की मात्रा जितनी ज्यादा है. उतना ही उनके पास जज्बा और जूनून है.
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20140623
द वर्ल्ड बिफोर हर
अनुराग कश्यप ने एक फिल्म को प्रेजेंट किया है. द वर्ल्ड बिफोर हर. यह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है. इस फिल्म में उन हर तबके की महिलाओं की कहानी है, जिन्होंने कुछ नया करने का साहस किया और हमेशा दुनिया उनके आड़े आयी. इसमें मिस इंडिया रह चुकीं पूजा चोपड़ा की मां की कहानी, एक कोठे का धंधा करनेवाली महिला की कहानी जो कि खुद भी शिक्षित होना चाहती हैं और अपने साथ काम कर रहीं तमाम लड़कियों को भी शिक्षित होने की प्रेरणा देती हैं. वे लड़कियां, जिन्हें हम ब्यूटी पेंजेंट में देखते हैं. उन्हें भी किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. इस फिल्म के माध्यम से वाकई पहली बार किसी निर्देशिका ने कुछ ऐसी सच्चाईयों को लोगों के सामने लाने की कोशिश की है, जिसे देख कर शायद हम यह अनुमान लगा पायें कि किस तरह ब्यूटी पेंजेंट में हिस्सा लेने वाली लड़कियों को हम ग्लैमरस लुक में देखते हैं. लगभग 20 लड़कियों को बड़े मौके भी मिलते हैं. लेकिन बाकी सारी लड़कियां किस प्रताड़ना और सामाजिक दबाव से अपने भविष्य में गुजरती हैं. इनके अलावा दुर्गा वाहिनी किस गु्रप किस तरह महिलाओं की मिल्ट्री टीम तैयार कर रही हैं. निर्देशिका निशा पाहुजा ने इसे बखूबी इस फिल्म के माध्यम से दर्शाया है. अभिनेत्री पूजा चोपड़ा की मां ने किन परेशानियों से जूझ कर पूजा को पहचान दिलायी. पूजा चोपड़ा की मां की कहानी भी इस डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा है. दरअसल, निशा ने एक साथ भारत की उन तमाम महिलाओं की जिंदगी को महसूस करने की कोशिश की है, जिनके लिए वाकई जिंदगी आसान नहीं हैं और वे लगातार खुद को साबित करने की कोशिश में जुटी हुई हैं. भारत की असली तसवीर यही है. सतही तौर पर जो हम देखते हैं या सोचते हैं, वह अर्ध सत्य है. महिलाओं की जिंदगी में संघर्ष की मात्रा जितनी ज्यादा है. उतना ही उनके पास जज्बा और जूनून है.
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