20111221

आकर्टिक सर्किल पर अब्बास-मस्तान का रोमांच


थ्रीलर और एक्शन फिल्मों के उस्ताद अब्बास-मस्तान फिल्म प्लेयर्स के साथ रोमांचक रूप से वापसी कर रहे हैं. प्लेयर्स हॉलीवुड फिल्म द इटैलियन जॉब का हिंदी रीमेक है. यह बॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म है जिसकी शूटिंग सर्वाधिक ठंडे स्थान आर्कटिक सर्किल पर की गयी है. दुनिया के सबसे ठंडे स्थान पर भी फिल्म की शूटिंग का निर्णय लेना ही अपने आप में एक चौंका देनेवाली सोच है. फूल सी पैंपरड रहनेवाली सोनम कपूर और हॉट बिपाशा बसु भी वहां जाकर शूटिंग के लिए तैयार हुए. फिल्म में इन दोनों ही अभिनेत्रियों से कई स्टंट दृश्य भी करवाये. इनकी सबसे बड़ी खूबी यही है कि वह भीड़ का हिस्सा नहीं बने. यह अब्बास मस्तान का ही जलवा था कि हाल ही फिल्म की म्यूजिक लांच पर बिपाशा बसु और सोनम कपूर ने कई लाइव स्टंट दिखाये. यह कमाल केवल अब्बास मस्तान ही दिखा सकते हैं. रोमांच के साथ जोखिम दर्शाना ही उनके निदर्ेशन की शैली रही है. उनके अद्वितीय निदर्ेशली शैली की ही यह क्षमता है जो उन्होंने ऐसे स्थान का चुनाव किया.उनकी फिल्में खिलाड़ी, सोल्जर, अजनबी, हमराज व रेस जैसी फिल्में नये दौर की थ्रीलर फिल्मों में सराहनीय रहीं. किसी दौर में ज्वेल थीफ-सरीके फिल्मों ने थ्रीलर के रूप में कीर्तिमान साबित किया. खासतौर से युवा दर्शकों को ऐसी फिल्में बेहद पसंद आने लगीं. अब्बास मस्तान भाईयों ने उन्हीं युवा दर्शकों की नब्ज पकड़ी. जब बॉलीवुड में हर निदर्ेशक लव स्टोरीज और लीक से हट कर फिल्में बनाने को आतुर थे. इन्होंने थ्रीलर विषयों का साथ नहीं छोड़ा. शायद यही वजह रही कि आम कहानियों के साथ भी वे दर्शकों को रोमांच परोसने में हमेशा कामयाब रहे. उन्होंने कम फिल्में बनायी. कुछ असफल भी रहीं. लेकिन हिंदी सिनेमा में थ्रीलर फिल्मों पर अपना एकाधिकार रखा. आज के दौर में जहां अधिकतर फिल्मों के क्लाइमेक्स कमजोर होते हैं. जबकि आज भी उन्होंने क्लाइमेक्स पर अपना कमांड बरकरार रखा है. प्लेयर्स से भी ऐसी ही उम्मीद की जा रही है. उन्होंने कभी पूरे भारत के दर्शक को अपना दर्शक नहीं माना. एक्शन प्रेमी व थी्रलर प्रेमियों के साथ ही वे खुश रहे और यही उनकी सबसे बड़ी यूएसपी बनी. भारत का युवा वर्ग आज भी एक्शन और थ्रीलर फिल्मों का दीवाना है. जबकि इन दिनों हिंदी सिनेमा में ऐसी फिल्में कम बनती हैं. और यही वजह है कि यह युवा वर्ग हॉलीवुड की फिल्मों की तरफ रुख करता है. लेकिन प्लेयर्स के प्रोमोज आते ही उस वर्ग की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. युवाओं में खासतौर से लड़कों को प्रोमोज लुभा रहे हैं. पूछने पर कई युवाओं का जवाब है कि वे प्लेयर्स फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, अब्बास-मस्तान मिसाल का नाम है जो बॉलीवुड के दिखावे में कभी नहीं रहा. चकाचौंध की इस दुनिया में वे शांत व कुशल व्यवहार के साथ ही जिये. उनके सफेद लिबाज की तरह ही दोनों भाईयों का चरित्र बेहद साफ छवि वाला है.( फिल्म प्लेयर्स की शूटिंग स्नोफॉल के दौरान की गयी है. बर्फ के रंग और निदर्ेशक के कपड़े के रंग मेल खाने की वजह से पहली बार दोनों ने काला जैकेट पहना).इन्होंने कभी अपने करियर में धारा प्रवाह निदर्ेशकों की नकल नहीं की. वर्तमान में जहां अब व्यवसायिक सिनेमा को मद्देनजर रखते हुए संजय लीला भंसाली जैसे क्राफ्ट फिल्में बनानेवाले निदर्ेशक एक्शन फिल्मों की तरफ रुख कर रहे हैं. अब्बास मस्तान ने आज भी थ्रीलर फिल्मों पर कमान संभाल रखी है. हाल के कई वर्षों में थ्रीलर फिल्मों पर अल्पविराम सा लग गया. कुछेक थ्रीलर फिल्में आयीं भी. लेकिन उनमें हॉरर व थ्रील का मिला जुला अनुपात रहा. लेकिन प्लेयर्स की वापसी से फिर से उम्मीद जगी है. कई सुपरसितारों के करियर को संभालने व उन्हें चमकाने में इस जोड़ी की अहम भूमिका रही. अक्षय को एक्शन हीरो के रूप में, फिल्म बाजीगर से शाहरुख चमके. फिर बादशाह से उन्हें बादशाह की उपाधि मिली. सोल्जर से बॉबी देओल व हमराज-रेस से अक्षय खन्ना की डूबती नैया. यह संभव है कि अभिषेक बच्चन की नैया भी इस फिल्म से पार लग जाये. आप आंकलन करें तो इस जोड़ी के साथ लगभग हर सितारा अपनी अलग पहचान स्थापित करने में कामयाब रहा है. एक निदर्ेशक की इससे बड़ी सफलता और क्या होगी. यह जोड़ी कलाकारों को सही तरीके से तराशने में माहिर हैं. और यही वजह है कि हर लोकप्रिय सितारा आज भी इस जोड़ी के साथ काम करना चाहता है. बॉलीवुड की दुनिया में हमने अब तक कई जोड़ियां बनती देखी ( जतीन-ललित, नदीम-श्रवण) और लंबे समय के बाद टूटते भी. यह ऐसी दुनिया है जो भाई-भाई व बहन बहन में भी दूरियां बना देता है ( लता-आशा हमेशा एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी रहीं) लेकिन यह जोड़ी अपनी सादगी.एक दूसरे भाई के लिए प्यार व आदर सत्कार की भावना के साथ सफलता से अपना पारी खेल रहे हैं. वाकई सोच में संयम, बिना किसी मन मुटाव के, बेहद समझदारी से व्यवसाय कर रहे हैं. ये जोड़ी आज सफल है. संतुष्ट है. क्योंकि आज भी भीड़ में इन भाईयों ने अलग दुनिया बना रखी है. यह जोड़ी बॉलीवुड के उन रिश्तों के लिए एक आदर्श है, जो यह दलीलें देते फिरते हैं कि शोहरत आने के बाद कोई सगा नहीं होता. उस लिहाज से अब्बास-मस्तान एक नाम नहीं एक मिसाल है.
चलते-चलते
1.अब्बास-मस्तान एकमात्र भाई बंधू हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सिर्फ और सिर्फ सफेद कपड़े पहने और जूते भी सफेद ही पहने.
2. पहली बार फिल्म वो कौन थी देख कर अब्बास मस्तान के ख्याल में थ्रीलर फिल्में बनाने का धुन चढ़ा था.
3. शुरुआती दौर में कुछ गुजराती फिल्मों का निर्माण किया.
4. उनकी फिल्म बाजीगर पहले अनिल कपूर को ऑफर की गयी थी. लेकिन उनके मनाही पर फिल्म शाहरुख को मिली.
5. अक्षय कुमार को खिलाड़ी कुमार की उपाधि इन्हीं की फिल्म खिलाड़ी से मिली.
6. पहली बार किसी निदर्ेशक ने सबसे ठंडे स्थान पर जाकर शूटिंग की है.

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