20111221

यशराज फिल्मस, 38 साल 50 फिल्में...सिलसिला जारी है




इस वर्ष रिलीज फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन की कामयाबी के साथ ही यशराज फिल्मस ने 50 का आंकड़ा पार कर लिया. वर्ष 1973 में फिल्म आग से शुरू हुई इस प्रोडक्शन कंपनी की मेरे ब्रदर की दुल्हन 50वीं फिल्म थी. यह सिलसिला अब भी जारी है. मेरे ब्रदर...के बाद इसी बैनर की फिल्म मुझसे फ्रांडशिप करोगे को भी सफलता हासिल हुई और इसी साल लेडीज वसर्ेज रिक्की बहल रिलीज हो चुकी है. इश्कजादे जल्द ही रिलीज होगी. अगले साल आमिर खान की धूम व सलमान खान की एक था टाइगर रिलीज होंगी. अपने 38 वर्षों के सफर में यशराज फिल्मस ने हिंदी सिनेमा जगत को कई नये युवा सितारे दिये और साथ ही कई युवा निदर्ेशक भी. वर्तमान में भारत की एकमात्र ऐसी प्रोडक्शन कंपनी है, जो सर्वाधिक नये चेहरों व युवा निदर्ेशकों को मौके दे रहे हैं. पिछले साल इसी बैनर की फिल्म बैंड बाजा बारात को जबरदस्त कामयाबी मिली. फिल्म से रणवीर सिंह लांच हुए और इन दिनों उनकी गिनती लोकप्रिय सितारों में होने लगी है. इसी फिल्म से बतौर निदर्ेशक मनीष शर्मा ने अपनी पहचान स्थापित कर ली. लेडीज वसर्ेज...के निदर्ेशक भी वही हैं. रब ने बना दी जोड़ी से अनुष्का शर्मा ने इंडस्ट्री में कदम रखा और इन दोनों शिखर की अभिनेत्रियों में शुमार हैं. लेडीज वसर्ेज से प्रियंका चोपड़ा की बहन परिणिती चोपड़ा ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा. फिल्म इश्कजादे से बोनी कपूर के बेटे अर्जून कपूर लांच हो रहे हैं. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म मुझसे फ्रेंडशीप करोगे में सभी नवोदित कलाकार हैं और निदर्ेशक नुपूर अस्थाना की भी यह पहली फिल्म है. फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन के निदर्ेशक अली जफर ने भी इसी फिल्म से शुरुआत की. फिल्म लव का द एंड के निदर्ेशक बंपी भी नवोदित निदर्ेशक थे. श्रध्दा कपूर के अलावा सभी नये कलाकार हैं. फिल्म न्यूयॉर्क व काबूल एक्सप्रेस जैसी फिल्में बनानेवाले कबीर खान भी इसी बैनर की देन हैं( फिलवक्त एक था टाइगर का निर्माण). उन्होंने नवोदित निदर्ेशक शाद अली को साथिया, बंटी और बबली व झूम बराबर झूम बनाने का मौका दिया. सिध्दार्थ आनंद, संजय गांधवी,शिमित अमीन व जुगल हंशराज को भी मौक दिया. दरअसल, यशराज हिंदी सिनेमा जगत का वह बड़ा नाम बन चुका है, जिन्होंने नयी प्रतिभाओं को न सिर्फ तराशा, बल्कि उन्हें सही प्लेटफॉर्म भी दिया. उन्हें जहां भी प्रतिभा नजर आयी. उन्होंने मौका दे दिया. गौरतलब है कि उनके बैनर में काम कर रहे कई लेखकों को उन्होंने निदर्ेशक बनने का मौका दिया, जिनमें कबीर खान, शिमित अमीन अली जफर, शाद जैसे निदर्ेशकों का नाम शामिल है. प्रियंका की बहन परिणिती उनके पीआर गुप्र में काम करती थीं. आदित्य को उनमें क्षमता नजर आयी. और उन्होंने उसे नायिका बना डाला. जबकि खुद यशराज के पास आदित्य चोपड़ा जैसे कुशल निदर्ेशक हैं. खुद यश चोपड़ा सफल निदर्ेशकों में से एक रहे. इसके बावजूद उन्होंने अपनी कंपनी में नये लोगों को भरपूर मौके दिये. यह सच है कि आज भी नये लोगों के लिए यहां एंट्री करना मुश्किल है. लेकिन अगर जो एंट्री मिल गयी तो फिर उन्हें मुड़ कर देखने की जरूरत नहीं होती. आज यशराज फिल्म्स ने नये लोगों के लिए ही ह्वाइ फिल्मस भी शुरू किया, जिसके बैनर तले नयी और युवाओं के लिए फिल्मों का निर्माण किया जा रहा है. इसकी देख-रेख आदित्य की पत्नी करती हैं. यशराज का नाम आज भारत की दूसरे सबसे बड़े फिल्मी खानदान के रूप में होती है. इस सफलता की सबसे बड़ी पूंजी हैं यश चोपड़ा स्वयं व उनके बेटे आदित्य. यश स्वयं जो कलात्मक व सृजनशील व्यक्ति हैं. यह उनका ही जादू है जो दाग से लेकर विजय तक उनकी मशाल जलती रही. काला पत्थर मिल का पत्थर साबित हुई तो कभी कभी और सिलसिला ने अदभुत प्रेम कहानी दिया. वही दूसरी तरफ उनके बेटे आदित्य ने बतौर निदर्ेशक दिलवाले दुल्हनिया...मोहब्बते, रब ने बना दी जोड़ी जैसी फिल्में दी और कामयाब रहे. यह उनके निदर्ेशन का ही जलवा है कि आज भी राज सिमरन की प्रेम सबसे लोकप्रिय है. मुंबई के मराठा थियेटर में आज भी दर्शकों की भीड़ दिलवाले..के लिए होती है. आदित्य ने एक कुशल निर्माता के रूप में भी बागडौर संभाली. वे कभी पार्टी में नहीं जाते. अपनी शर्तों पर जीते हैं. उन्हें फर्क नहीं पड़ता उनके बारे में क्या बातें हो रही हैं. यशराज फिर भी अपनी शर्त पर जीता है. उसके स्टूडियो में किसी दूसरे वैन को जाने की इजाजत नहीं. मच्छर भी उनकी इजाजत के बिना यशराज परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते. वे प्रेस शो नहंीं कराते. नखरे दिखानेवाले फिल्मी सितारों के नखरे सिर्फ यही धरे के धरे रह जाते हैं. केवल सलमान खान की एकमात्र अभिनेता हैं, जिन्होंने 38 सालों में यशराज के बनाये नियमों को तोड़ा और यशराज ने उसे स्वीकार भी किया. यशराज की फिल्मों की सफलता का मूलमंत्र यही है कि आज भी वह पंजाब दिखाता है तो फिल्म में पंजाब दिखता है. जब दिल्ली का जन्नकपुरी दिखाता है तो वह नजर आता है. देहरादून की पहाड़ियों से लेकर सरसो के खेत तक आज भी उनकी फिल्मों में भारत दिखता है. शादियां, प्यार में नोंक-झोंक और संस्कृति दिखती है, जो कि भारत के दर्शकों की रोम रोम में बसी है. वही पारिवारिक दर्शकों के साथ युवा दर्शकों के लिए फ्रेश प्रेम कहानियां प्रस्तुत कर रहा है. बदलते दौर के साथ उन्होंने बस लहजा बदला है. लेकिन दर्शकों की नब्ज को हमेशा ध्यान में रखा है. यही वजह है कि 38 साल पुराने हो जाने के बावजूद यहां ताजगी बरकरार है और यह सिलसिला बरकरार है.
चलते-चलते
1. आदित्य चोपड़ा जब दिलवाले दुल्हनिया की कहानी लिख रहे थे. उस वक्त इस फिल्म के लिए वह हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज को लेना चाहते थे. लेकिन टॉम क्रूज ने मना कर दिया था.
2. दिल तो पागल है, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, मोहब्बते, रब ने बना दी जोड़ी, फिल्म दिल तो पागल है, इस कैंप की सर्वाधिक हिट फिल्मों में से एक थी. फिल्म दिल तो पागल है के लिए यश चोपड़ा ने संगीतकार उत्तम सिंह से कुल 100 गीत बनवाये थे. लेकिन फिल्म में केवल 10 गानों का इस्तेमाल किया गया था.
3. दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे आज भी दुनिया की सर्वाधिक देखी जानेवाली फिल्म में से एक है. मुंबई के मराठा मंदिर में आज भी इसका प्रदर्शन जारी है.
4. यशराज फिल्मस हमेशा अपने अलग तरह के संगीत के लिए जाना जाता रहा है. यह यश चोपड़ा का संगीत के प्रति समर्पण ही था जो उन्होंने फिल्म वीर जारा में मदन मोहन के पुराने संगीत का इस्तेमाल किया. आनंद बख्शी ने आखिरी बार इसी फिल्म के लिए गीत लिखे थे.

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