20111221

अब हीरोइन को भी नोटिस करना शुरू किया हैः प्रियंका चोपड़ा



लोगों ने अब हीरोइन को भी नोटिस करना शुरू किया हैः प्रियंका चोपड़ा
डॉन ताकतवर है तो क्या. रोमा भी उससे कम नहीं. डॉन चालाक है तो रोमा चालबाज. वह दुश्मनी भी सोच समझ कर करता है तो रोमा को भी पता है प्यार में दुश्मनी मोल लेने वालों को किस तरह सबक सिखाना है. फिल्म डॉन2 में इस बार जितनी महत्वपूर्ण व केंद्रीय भूमिका शाहरुख निभा रहे हैं. उतनी ही तवज्जो रोमा उर्फ प्रियंका चोपड़ा के किरदार को भी दी गयी है.
अपने खास अंदाज, स्टंट से छुई मुई सी दिखनेवाली प्रियंका चोपड़ा फिल्म डॉन2 में सबको हैरत में डालनेवाली है. इस फिल्म में वाकई वह साबित करना चाहती हैं कि वह भी खतरों की खिलाड़ी हैं. प्रियंका चोपड़ा ने अब तक कई चरित्र व अभिनय प्रधान फिल्में करके यह साबित कर दिया है कि वह बेहतरीन अदाकारा हैं. और शायद यही वजह है कि अब निदर्ेशक अपनी फिल्मों में जब उन्हें लेते हैं तो उनके किरदारों पर भी मुख्य रूप से काम करते हैं,

प्रियंका, डॉन 2 में जितनी चर्चा शाहरुख खान के किरदार को लेकर हो रही है. प्रोमोज देख कर लोगों का मानना है कि आपके किरदार में भी बिल्कुल नयापन हैं. रोमा के किरदार के बारे में विस्तार से बताएं.
जी हां, यह बिल्कुल सच है कि इस बार डॉन 2 में मुझे कई चीजें पहली बार करने का मौका मिल रहा है. निदर्ेशक फरहान ने रोमा का किरदार केवल डॉन के साथ प्यार करने के लिए नहीं रचा. बल्कि उन्होंने इस बात का भी ख्याल रखा है कि इस किरदार में क्या क्या खूबियां हो सकती हैं. इस फिल्म में मैंने रोमा का किरदार निभाया है. जिसे पता चल जाता है कि जिससे वह प्यार करती है वह विजय नहीं डॉन है. सो, वह कसम खाती है कि वह पुलिस की नौकरी करेगी और डॉन को सबक सिखायेगी. सबक सिखाने के दौरान ही ऐसी कई अजीबोगरीब चीजें होंगी, जिसे देख कर दर्शक इस बात को स्वीकारेंगे कि अब लड़कियां भी फिल्मों में स्टंट कर सकती हैं. वह भी बन सकती हैं खतरों की खिलाड़ी.
आपने हमेशा अपनी बातचीत में कहा है कि हिंदी फिल्मों में पुरुषों का बोलबाला है. और उनके किरदारों को अधिक तवज्जो दी जाती है.
जी हां, मैं बिल्कुल इस बात से सहमत हूं. आप खुद इस बात पर गौर करें कि अगर हम अपने हीरोज की तरह स्टंट करने लगती हैं, तो लोग उसका माखौल बना देते हैं, जबकि वे कभी इस बारे में नहीं सोचते कि उस दृश्य के लिए हमने भी उतनी ही मेहनत की होगी, जितनी एक पुरुष करते हैं. हिंदी फिल्मों में वाकई महिलाओं को ध्यान में रख कर वैसी स्क्रिप्ट नहीं लिखी जाती, जिसमें महिलाएं सुपर हीरोइन बन जायें. अगर वह वैसा करें, तो हंस देते हैं. लोग हमें आज भी परियों के रूप में ही उड़ते देखना चाहते हैं. सुपरहीरो या स्टंट के दृश्यों में नहीं.
लेकिन, यह साल तो महिला प्रधान फिल्मों के लिए खास रहा. नो वन किल्ड से लेकर डर्टी पिक्चर्स तक में महिलाओं ने कमाल दिखाया है.
जी, इस बात से पूरी तरह वाकिफ हूं और खुश भी हूं कि धीरे धीरे अब महिलाओं के लेकर बोल्ड विषयों पर फिल्में बनने लगी हैं और नायिकाओं को भी अब लोग ऐसे रूपों में बिना उन पर छींटाकशी किये अपनाने लगे हैं.
विद्या बालन ने डर्टी पिक्चर्स फिल्म में बेहतरीन व बोल्ड अदाकारी से साबित कर दिया कि वह बेहतरीन अभिनेत्री हैं. आपको किसी तरह की असुरक्षा महसूस हो रही.
जी बिल्कुल नहीं, आप या मैं यह कभी नहीं भूल सकती कि मैंने ही फैशन फिल्म से एक नयी शुरुआत की. पहली बार इसी फिल्म से मैं मानती हूं कि अभिनेत्री का बोल्ड विषय पर बोल्ड रूप लोगों के सामने आया था. मैं मानती हूं कि मैं शुरुआत की थी. अब परंपरा आगे बढ़ रही है. हां, लेकिन एक बात से खुश हूं कि बॉलीवुड वाकई महिला प्रधान फिल्मों के लिए तत्पर हो रहा है.
आपने सात खून माफ, फैशन, ह्वाट्स योर राशि जैसी महिला प्रधान फिल्में कीं. फिर आपने अंजाना अंजानी जैसी फिल्में करने का मन कैसे बना लिया.
क्योंकि मैं चाहती हूं कि हर बार मैं दर्शकों को चौंकाती रहूं. वह जब तक यह सोचें कि अरे यार प्रियंका तो बस ऐसे ही किरदार निभा सकती हैं. मैं कुछ ऐसा कर जाऊं कि वह सोच में और हैरत में पड़ जायें. अरे, प्रियंका ने तो कमाल कर दिया.
आप अपनी भूमिकाओं से अभिनेत्री के रूप में स्थापित हो चुकी हैं. आगे की क्या और कैसी तैयारी है. किस तरह की सावधानियां बटोर रही हैं.
मैं इस बात से बेहद खुश हूं कि लोग मुझे हीरोइन नहीं एक्ट्रेस मानते हैं. मसलन लोग जानते हैं कि मैं अच्छा अभिनय भी करूंगी, सिर्फ शोपीस की तरह खूबसूरत लिबाज में ही नजर नहीं आऊंगी. मेरे लिए भी यह सफर कम कठिन नहीं रहा था. मुझे मेहनत करनी पड़ी और मैं अपनी हर फिल्म के लिए बहुत मेहनत करती हूं. और जब फिल्में फ्लॉप होती हैं तो मुझे रोना भी बहुत आता है. दो दो हफ्तों तक मेरे आंसू रुकते नहीं हैं. मेरे लिए मेरी हर फिल्में खास होती हैं. हर किरदार. मैं भावनात्मक रूप से जुड़ जाती हूं फिल्मों से. यह सच है कि अब लोगों ने मानना शुरू किया है. वरना शुरुआत में मुझे भी परेशानी हुई है. आगे की बस इतनी तैयारी है कि वैसी किसी भी फिल्म में काम नहीं करूंगी जिसमें मेरे किरदार खास न हो. मुझे फिल्म में केंद्रीय नहीं खास भूमिका चाहिए. सावधानी बस इतनी बरत रही हूं कि लगातार मेरे बारे में हो रहे लींक अप्स की बातों का अपने दिल या दिमाग पर कोई असर नहीं होने दे रही है.
आप कई निदर्ेशकों की पसंदीदा अभिनेत्री हैं. अब तक जिनके साथ भी आपने काम किया. क्या क्या सीखा.
आशुतोष सर के साथ मैंने बहुत कुछ सीखा है. और मैं हमेशा उनसे टच में रहती हूं. उनकी खास बात यह हैं कि लोग कुछ भी कहें वह अपना काम करते हैं और फोक्सड होकर करते हैं. वे किरदार, कॉस्टयूम, लोकेशन हर बात का बारीकि से ध्यान रखते हैं. विशाल सर ने मुझे कमीने की शूटिंग के बाद कहा था. तुम बुरी आदत बन गयी हो... मेरी. मसलन यहां उनके कहने का अर्थ था कि वे मेरे अभिनय के आदि होते जा रहे हैं. फरहान के साथ डॉन2 दूसरी फिल्म है. फरहान जानते हैं कि प्रियंका को लिया है तो उसके किरदार पर भी काम करना होगा. और मैं खुश हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास कर मुझसे कई स्कैरी काम करा लिये हैं. उन्होंने मुझे जबरन मलेशिया के वास्तविक जेल में समय व्यतीत कराया. कई स्टंट कराये. कई ऐसी जगहों व सुरंगों, अंधेरे स्थानों पर शूटिंग कराया है. लेकिन मैं खुश हूं चूंकि उन्होंने विश्वास किया है मुझ पर.
झारखंड के जमशेदपुर से आपका गहरा रिश्ता रहा है. अब आना जाना नहीं हो पाता. कुछ पुरानी यादें शेयर करें?
जमशेदपुर मेरे नाना नानी का घर है. लेकिन मैं चूंकि नाना की बेटी थी और इसलिए मैं झारखंड की भी बेटी हूं. यह सच है कि नाना अब दुनिया में नहीं. लेकिन मैं नाना नानी के बेहद करीब रही हूं. आज भी वहां जाती हूं और झारखंड से जुड़ाव रहेगा मेरा. झारखंड स्थापना दिवस पर मुझे बुलाया गया था. मैं आनेवाली थी. ऐन मौके पर किसी वजह से नहीं आ पायी. फिलवक्त नानी यहां मुंबई में साथ रहती हैं और वे झारखंड की खबरों से मुझे कनेक्ट रखती हैं. मेरा जन्म जमशेदपुर में हुआ. पढ़ाई वही हुई. मां पापा के साथ मेडिकल कॉलेज के खूब चक्कर मारे हैं मैंने. इतने चक्कर की अस्पताल की महक से चिढ़ सी हो गयी थी. सो, मैंने तय कर लिया था कि भविष्य में कुछ भी बनूं डॉक्टर नहीं बनूंगी. वैसे मैंने तय किया था कि क्यों न इंजीनियर बन जाऊं. बचपन में नानाजी के घर में बाहर बड़ा सा ग्राउंड था और वहां मुझे गिल्ली डंडा खेलना बेहद अच्छा लगता है. वैसे मैं बचपन से ही लड़कों के खेल खेलने में माहिर थी.
अभिनेत्री के साथ साथ अब आप सिंगर भी बन गयी हैं. और गीतकार भी. शुरु से दिलचस्पी थी. कैसे वक्त निकालती हैं.
मैं भारत में रहती हूं तो कभी गीत नहीं लिखती. मैं जब लॉस एंजिल्स जाती हूं तो वहां एक स्टूडियो है. वही बैठ कर गीत लिखती हूं. मैंने जिंदगी में जो भी हासिल किया. किसी की कोई प्लानिंग नहीं थी.बस इतना जानती हूं कि अब भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं. अभी बहुत कुछ हासिल करना है.

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