20111228

हॉलीवुड का बॉलीवुड में क्रेजीदेवो भवः



एमआइ 4 के बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट आ चुके हैं. जिस हफ्ते यह रिलीज हुई. इस फिल्म ने हिंदी फिल्मों से अधिक बिजनेस किया. यह तसवीर साफ जाहिर करती है कि भारत में अब हॉलीवुड की फिल्म का बाजार विस्तृत हो चुका है. इस बात से शायद टॉम क्रूज व इस फिल्म के निर्माता अच्छी तरह वाकिफ थे. और उन्होंने इसी का फायदा उठा कर फिल्म के प्रोमोशन के लिए टॉम क्रूज को भारत भेज दिया. यही नहीं, उन्होंने इसमें मोहरे की तरह इस्तेमाल किया अनिल कपूर का. जो कि इस फिल्म का हिस्सा भी हैं. उन्होंने भारत में दिखनेवाले प्रोमो में अनिल को भी शामिल किया. जबकि विदेशी प्रोमो में वे नजर नहीं आये. फिल्म में भी अनिल एक्स्ट्रा के रूप में ही इस्तेमाल हुए हैं. लेकिन टॉम क्रूज ने खुशी-खुशी इस फिल्म की सफलता 3दिसंबर को अपनी फिल्म एम के प्रमोशनल इंवेट में हॉलीवुड के सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता टॉम क्रूज भारत आये. वे यह टॉम क्रूज को भारत कुछ इस कदर भा गया कि वह जल्द ही अपनी पत्नी और बेटी के साथ फिर से भारत आ रहे हैं. संभवतः आगामी 16 दिसंबर को. उनके आवभगत में मुंबई व बॉलीवुड ने कोई कसर नहीं छोड़ी. खासतौर से अनिल कपूर( एमआइ4 में वे अभिनय कर रहे हैं ) व उनके परिवार ने मुख्य भूमिका निभायी. रेड कारपेट पर वह टॉम क्रूज के साथ मुस्कुरा रहे थे. टॉम क्रूज जैसे मशहूर हॉलीवुड शख्सियत के साथ अनिल की हुई नयी नयी दोस्ती की खुशफहमी ने बड़बोला बना दिया है. अनिल कपूर इन दिनों अपने ही भारत के बॉलीवुड से हॉलीवुड पर्सनैलिटी की तरह पेश आ रहे हैं. इसी क्रम में इतराते हुए वे कहते फिर रहे हैं कि शाहरुख उनकी वजह से आज इतने बड़े स्टार हैं, क्योंकि उन्होंने बाजीगर छोड़ी थी. तो शाहरुख को मिली. उनका यह बढ़ चढ़ कर बोलना दरअसल, उनकी खुद की जुबानी नहीं, बल्कि फिलवक्त विदेशी रंग चढ़ गया है. दरअसल, अनिल का यह अति उत्साही होना हमारे भारत की ही छवि प्रस्तुत करता है. वे बॉलीवुड के उस भीड़ में अकेले नहीं खड़े, जहां कोई विदेशी कलाकार बॉलीवुड के लिए भगवान होता है. बॉलीवुड के कलाकार भी आम आदमी की तरह ही विदेशी कलाकार के लिए क्रेजी होते हैं. जिस तरह भारत में किसी छोटे से गांव के लिए मुंबई बड़ी नगरिया हैं और यहां के सितारे भगवान. कुछ ऐसे ही बॉलीवुड के कलाकार भी विदेशी कलाकारों को लेकर क्रेजी हैं. फिर चाहे वह टॉम क्रूज, पामेला एडरसर, पेरिस हिल्टन, लेडी गागा या शकीरा का भारत आगमन हो. शाहरुख ने खुद टि्वटर पर शकीरा के साथ अपने परिवार की तसवीर अपलोड की. वे खुद मानते हैं कि शकीरा से मिलना. एक फैन के सपने का सच होना है. शाहरुख की यही बातें दर्शाती हैं कि किस हद तक भारतीय कलाकार विदेशी कलाकारों के फैन हैं. न सिर्फ वे बल्कि उनका पूरा परिवार भी. हाल ही में जब गायिका लेडी गागा दिल्ली में अपने कंसर्ट के लिए आयीं. तो वह पूरी तरह मीडिया में छाई रहीं. सिम्मी गेरेवाल ने भी अपने शो में कहा कि गागा की वजह से शो धन्य हो गया. उनके कंसर्ट को देखने के लिए कई बॉलीवुड सितारें इक्ट्ठे हुए. लोगों ने 40 हजार के टिकट खरीदे. प्रियंका चोपड़ा ने टि्वट पर लिखा कि उन्हें बेहद अफसोस है कि वे गागा से नहीं मिल पायीं . इससे साफ जाहिर है कि हमारी नजर में विदेशी कलाकारों की कद्र क्या है. आम इंसान ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड के कलाकार भी फिरंगी कलाकारों के फैन हैं. फिल्म रा.वन में शाहरुख लेडी गागा का एक गीत रखना चाहते थे. रा.वन के सभी गीत सुनने के बाद यह सवाल जेहन में उठता है कि क्या वाकई गागा के गीत की जरूरत थी. क्या रहबरा..., मोरे पिया...जैसे गीत गागा के गीत के बगैर खूबसूरत नहीं. अकोन ने फिल्म में दो गीत गाये और शाहरुख ने अकोन के लिए अपने घर मन्नत पर शानदार पार्टी भी रखी. जबकि खुद अकोन ने विशाल शेखर के सामने स्वीकारा कि भारत जैसे बाजार कहीं नहीं है. यहां जितने प्रशंसक हैं.उतने कहीं नहीं. अकोन के यही शब्द दरअसल, विदेशी कलाकारों के भारत आगमन का मूल रहस्य है. चूंकि वे जानते हैं कि भारत में उनके चाहनेवालों में बॉलीवुड भी शामिल है, जो बहुत धनी है. सो, वे अपनी शर्तों पर मुंहमांगी रकम के साथ यहां पधारते हैं और बेहद अमीर होकर चले जाते हैं. हम मेटेलिका जैसे रॉक बैंड का स्वागत दिल से करते हैं. लेकिन दूसरी तरफ अपने भारत के रॉक बैंड की सूध लेनेवाला कोई नहीं. शाहरुख छम्मक छलो गीत के लिए अकोन को करोड़ों रुपये देने से नहीं हिचकते. क्योंकि वे भी जानते हैं कि हमारे इंडियन तड़का अगर कहीं से भी थोड़ी फिरंगी छौंक भर लग जाये तो वह हिट ही है समझो. रितिक बेहद दुखी हैं कि वे शकीरा के भारत आगमन पर अपनी बीमारी के कारण यह शो नहीं कर पायेंगे. शायद उन्हें इतना दुख अपनी किसी फिल्म के फ्लॉप होने पर नहीं हुआ होगा. बॉलीवुड में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि जेम्स बांड की अगली सीरिज की शूटिंग भारत में होनेवाली है. और खुद जेम्स बांड का किरदार निभा रहे डैनियल क्रैग भारत आनेवाले हैं. उनके स्वागत की तैयारी अभी से जारी है. लेकिन सोचनेवाली बात यह है कि क्या भारतीय कलाकारों को भी विदेशों में वही आदर सत्कार मिलता होगा. शायद नहीं. ऑस्कर विजेता एआर रहमान को छोड़ कर ऐसे कोई भी भारतीय कलाकार नहीं, जिसे पूरी दुनिया जानती हो. निस्संदेह शाहरुख, अक्षय की फिल्में ओवरसिज पर कमाल करती हैं. लेकिन वहां के भी दर्शक और फैन में अधिकतर संख्या अप्रवासी भारतीयों की होती है. भारतीय कलाकारों व उनकी फिल्मों की वास्तविक छवि अगर देखनी हो तो हर वर्ष होनेवाले सबसे प्रतिष्ठित कान फिल्मोत्सव का हिस्सा बनना चाहिए, जहां भारतीय फिल्में किसी प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं बन पाती. कुछेक को छोड़ कर. भले ही अनिल कपूर को लगने लगा हो कि उन्हें कोई तीर मार लिया है. लेकिन सच्चाई यही है कि हिंदी फिल्मों के कलाकारों को विदेशी फिल्मों में खास किरदार नहीं दिये जाते है. 16 ऑस्कर विजेता निदर्ेशक हग हडसन ने साफ कहा कि अब भी भारतीय फिल्में विश्व स्तरीय नहीं हैं. उनमें सिर्फ नाच गाना होता है. जबकि उन्होंने भारतीय निदर्ेशकों में सिर्फ और सिर्फ सत्यजीत रे की फिल्मों को स्तरीय कहा.
चलते-चलते
राजकपूर की फिल्में रूस में सबसे अधिक लोकप्रिय होती थी. फिल्म आग व श्री 420 को विदेशों में सबसे अधिक लोकप्रियता हासिल हुई.
भारतीय निदर्ेशकों में सत्यजीत रे एकमात्र निदर्ेशक हैं,जिन्हें ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त है और वह विदेशों में भी लोकप्रिय हैं.
मिथुन चक्रवर्ती को रूस में आज भी लोग जिम्मी जिम्मी के नाम से जानते हैं.
भारतीय पृष्ठभूमि पर बनी विदेशी फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर को कई ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए.
भारतीय मूल की एकमात्र अभिनेत्री फ्रीडा हैं, जिन्हें विदेशों में लीड किरदार मिलते हैं.वरना शेष अभिनेत्रियां सहायक किरदार ही निभाती हैं.
कृष्णा शाह की फिल्म शालीमार में पहली बार किसी हिंदी फिल्म में विदेशी कलाकारों को अहम भूमिका दी गयी थी. तीन अहम किरदार थे. जॉन सेक्सन, जिन्हें ब्रुस ली के साथ एंटर द ड्रैगन में देखा जा सकता है.रेक्स हैरिसन औप सिल्विया माइल्स.

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