My Blog List
20111228
लेखकों को भी अब मिलने लगी है तवज्जो ः रजत अरोड़ा
बॉलीवुड के बदलते ट्रेंड की फिल्मों में ऐसे अवसर कम ही आते हैं, जब फिल्में देखने के बाद फिल्म के संवाद लेखक के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़े. लेकिन वर्ष 2011 की सबसे चर्चित फिल्म द डर्टी पिक्चर में जितनी तारीफ विद्या बालन के अभिनय की हो रही है, उतनी ही सराहना हो रही है फिल्म के संवाद लेखक रजत अरोड़ा की भी. वन लाइनर व प्रभावशाली संवाद लिखने में माहिर रजत मानते हैं कि लेखकों के लिए यह बॉलीवुड का सबसे बेहतरीन वक्त है.
संक्षिप्त परिचय ः दिल्ली से संबध्द रखनेवाले रजत ने अब तक कई हिंदी फिल्मों के लिए बतौर संवाद लेखक व पटकथा लेखक के रूप में योगदान दिया है. जिनमें वन्स अपन अ टाइम इन मुंबई, चांदनी चौक टू चाइना, टैक्सी नंबर नौ दो ग्यारह, ब्लफमास्टर,हैट्रीक व द डर्टी पिक्चर प्रमुख हैं. रजत ने शुरुआती दौर में सीआइडी जैसे शो से शुरुआत की. उन्होंने डर्टी पिक्चर के लिए गीत भी लिखे हैं.
द डर्टी पिक्चर देखने के बाद थियेटर से बाहर निकलने के साथ लोगों की जुबां पर कई संवादों ने राज कर लिया था. अगले ही दिन फेसबुक पर कई यूजर ने डर्टी पिक्चर के संवाद को पोस्ट करना व अपना अपडेट स्टेटस बना लिया. अखबारों से लेकर, इंटरनेट, इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल, एफएम रेडियो यहां तक कि लोगों ने आपस में बातचीत के दौरान भी फिल्मों के कई लोकप्रिय संवादों को दोहराया. एक संवाद लेखक के लिए इससे बड़ी सफलता और क्या होगी. फिल्म में विद्या बालन के अभिनय के साथ हर तरफ फिल्म के संवाद लेखक रजत अरोड़ा की चर्चा हो रही थी. वजह यह थी कि कई वर्षों बाद किसी हिंदी फिल्म में एक साथ कई संवाद दर्शकों को पसंद आये. उन संवादों में चंचलता भी थी. लेकिन भावनाओं के साथ. यह बेहतरीन कमाल कर दिखाया था रजत ने. रजत ने यूं तो अब तक कई फिल्मों की कहानी लिखी थी. उन फिल्म से उन्हें सफलता भी मिली. लेकिन स्थापित डर्टी पिक्चर ने किया है. बचौर रजत मानते हैं कि यह बॉलीवुड का सबसे बेहतरीन समय है, क्योंकि अब जो काम करेगा, उसे नाम मिलेगा ही. आखिर आज लेखकों को तवज्जो दी जा रही है, तभी तो आपने मुझसे बातचीत करना मुनासिब समझा. वे बताते हैं कि वाकई डर्टी पिक्चर के लिए कहानी लिखना व संवाद लिखना एक चुनौती थी. चूंकि फिल्म के विषय के साथ इस बात का ख्याल रखना था कि फिल्म फुहड़ न हो और न ही संवाद. उन्होंने बताया कि उन्होंने डर्टी पिक्चर लिखते वक्त इस बात का पूरा ख्याल रखा कि सिल्क-सी लड़की अगर नायिका बनने का ख्वाब देखती है तो उसके रास्ते में किस किस तरह की परिस्थितियां आयी होंगी. एक लेखक होने के नाते आपको परिस्थितियां खुद सोचनी होती है. बकौल रजत मैं फिल्म की कहानी लिखते वक्त सिर्फ रिसर्च को तवज्जो नहीं देता. कहानी परिस्थिति, किरदार, उस किरदार को निभा रहे कलाकार, सबकुछ महत्व रखता है. कई बारीकियों को ध्यान में रखने के बावजूद इसके रजत बताते हैं कि फिल्म देखने के बाद कई लोगों ने कहा कि फिल्म में संवाद अश्लील थे. लेकिन गौर करनेवाली बात यह है कि इस फिल्म में बिना किसी गाली जैसे शब्द का इस्तेमाल करने के बावजूद पूरी कहानी गढ़ी गयी. रजत बताते हैं कि संवाद कहानी के किरदार और उसकी डिमांड के अनुसार ही लिखे जाते हैं. अब अगर कहानी सिल्क की है तो उसके व्यक्तित्व के अनुसार ही संवाद लिखे जाने चाहिए. सो, इसे अश्लील नहीं कहा जाना चाहिए. रजत खुश हैं कि हिंदी सिनेमा में फिर से संवादों को तवज्जो दी जा रही है. फिलवक्त रजत वन्स अपन टाइम इन मुंबई के सीक्वेल पर काम कर रहे हैं. रजत सलीम जावेद को अपना आदर्श मानते हैं.
फिल्म के लोकप्रिय संवाद
फिल्में सिर्फ तीन चीजों से चलती हैं एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट...
इतिहास गवा रहा है, मर्दों का जमाना रहा है, औरतों ने आकर आफत की है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment