20131004

पॉजिटिव सोच से मिलता है सुपर पावर

सुपर स्टार रितिक रोशन सिर्फ बाहर से ही रफ एंड टफ नहीं हैं, बल्कि अंदर से भी काफी मजबूत हैं. उनका सकारात्मक सोच हमेशा उन्हें सुपर पावर देता है. तभी तो हेल्थ से जुड.ी कई परेशानियों से न केवल वह उबर कर सामने आये हैं, बल्कि ज्यादा मैच्योर भी हुए हैं. उनके सकारात्मक सोच की चमक चेहरे पर साफ नजर आती है. उनके अनुसार हर शख्स में एक सुपर हीरो होता है. जरूरत बस उसे पहचानने की है. जिंदगी में मुसीबतों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उनसे लड.ना चाहिए. रितिक ने कृष 3 और अपनी जिंदगी से जुडे


आपकी नजर में सुपरहीरो की असली परिभाषा क्या है? सुपर हीरो को पावर कहां से मिलती है?

मेरी नजर में हर किसी में सुपर पावर है. बस उसे जानने-समझने की जरूरत है. सुपर हीरो की पावर उसकी सोच है. सुपर हीरो बनने में सिर्फ तीन सेकेंड बनने का समय लगता है. आपके सामने जो भी चैलेंज, जो भी सिचुएशन है, आप सोच लें कि इसको मैं सुपरहीरो की तरह हैंडल करूंगा. मतलब बहादुरी से. एक, दो, तीन..लेट्स डू इट. जैसे कि मेरे साथ हुआ ब्रेन सर्जरी के समय.डॉक्टर ने कहा कि ब्रेन में ब्लड जमा है. होल करके ब्लड निकालना होगा. ऐसे में पहला रिएक्शन होता है, अरे बाप रे.., लेकिन मैंने तीन सेकेंड में तय कर लिया कि गिव अप नहीं करूंगा. तय किया कि मैं सुपरहीरो की तरह इस परेशानी से उबरूंगा. ऑपरेशन टेबुल पर भी मैं गा रहा था. मैंने कहा कि मैं होश में रह कर ऑपरेशन कराऊंगा. डॉक्टर मेरे सिर से जमा ब्लड निकाल रहे थे और मैं देख रहा था.

इन सब के लिए आपको प्रेरणा कहां से मिलती है? 

प्रेरणा तो जिंदगी ही है. लाइफ इज अ गेम. जिस वक्त आपने यह स्वीकार कर लिया कि इस गेम को पूरी एबिलिटी के साथ खेलना है, तो बस फिर आपके लिए कोईभी काम मुश्किल नहीं. अब जो भी हो रहा है. जब परेशानी आती है, तो मैं ऊपर देखकर भगवान से कहता हूं, बस इतना ही. बस यही से मुझे ऊर्जा और शक्ति मिल जाती है. मैंने महसूस किया है, कि जैस-जैसे मेरी जिंदगी में मुश्किलें बढ.ीं, मेरे सामना करने की क्षमता भी बढ.ती गयी. जिंदगी में प्रॉब्लम कभी खत्म नहीं होती. आज भी मेरे घुटनों में परेशानी है, शोल्डर ठीक नहीं. अब तो ब्रेन में भी होल है. मैं निराश नहीं होता. सोचता हूं, सब अच्छा होगा. मैं एक्सीपिरियंस से जल्दी सीख लेता हूं.

क्या आपने गुजारिश या अन्य फिल्मों में अपनी इसी अवस्था को परदे पर उतारा है?

हां, मैंने अपने हर किरदार से कुछ-न-कुछ सीखा है. जब भी मैं किसी किरदार का चयन करता हूं, तो मैं देखता हूं कि उस किरदार में क्या-क्या खूबियां हैं? अगर उस किरदार में खूबियां मुझसे ज्यादा हैं, तो मैं वह कैरेक्टर करना चाहता हूं, क्योंकि मैं महसूस करता हूं कि कहीं-न-कहीं मैं उस कैरेक्टर से कम हूं. अपने आप को उस कैरक्टर में रख कर मैं ग्रो करने की कोशिश करता हूं.

इस फिल्म का नाम कृष 3 क्यों है? कृष 2 क्यों नहीं? कोई मिल गया व कृष के बाद यह तो अगली कड.ी थी?

ये सीरीज की तीसरी फिल्म है. सबसे पहले कोई मिल गया में जादू ने पावर दिया था. इसके बाद कृष और अब तीसरी फिल्म कृष 3 है.

कोई मिल गया से अब तक बतौर एक्टर क्या चीजें रहीं, जो आपको सबसे कठिन लगी? 

‘कोई मिल गया’ में मैंने जो रोहित का किरदार निभाया था, उसे फिर से 10 सालों के बाद दोबारा कृष 3 में निभा रहा हूं. कोई मिल गया में जो बच्चा था, वहीं इस फिल्म में बाप का रोल कर रहा है. बच्चे की हरकतों के साथ एक बाप की जो डिगनिटी है, जो सपोर्ट है, वहीं बतौर एक्टर मुझे मुश्किल लगा.मैंने इसके लिए काफी मेहनत भी की है. दरअसल, कृष और रोहित मेरे अंदर के ही दो हिस्से हैं. जब शूटिंग के दौरान मैं कृष का सूट पहनता हूं तो मैं वाकई सुपरहीरो की तरह महसूस करने लगता हूं.भारी सूट पहनकर लगातार शूटिंग करना और इसके तुरंत बाद रोहित का किरदार निभाना भी थोड.ा मुश्किल था.

भारत में रह कर कृष 3 जैसी फिल्में बनाना कितना कठिन है? 

हां, ये बात सही कही आपने. थोड.ा टफ तो है. शुरुआत में जैसे-जैसे फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी जा रही थी. पापा मेरे पास आते और कहते कि नहीं बना पायेंगे. पापा ने कहा कि चलो कोई छोटी फिल्म बनाते हैं और उसी को बना कर एंज्वॉय करेंगे. मैंने पापा से बस इतना ही कहा कि यह अब आपकी जिम्मेवारी है, कि आप इस स्क्रिप्ट को दर्शकों तक कैसे पहुंचाते हैं.ऐसी स्क्रिप्ट बहुत कम बनती है. अगर हम दोनों मिल कर नहीं करेंगे, तो कौन करेगा भारत में. उसके बाद हमने निर्णय लिया कि इस फिल्म में हम किसी भी हॉलीवुड आर्टिस्ट से काम नहीं लेंगे. यह पूरी तरह से भारत की पहली हाइ बजट वीएफएक्स सुपरहीरो फिल्म है, जिसका पूरा काम भारत में हुआ है. इसमें एक शॉट भी नहीं है..कहीं भी बाहर से. यह कंप्लीट इंडियन फिल्म है, जिसमें इमोशन भी है. फैमिली ड्रामा भी है और वीएफएक्स सुपरहीरो भी.

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान भी आप पूरी तरह से स्वस्थ नहीं थे?

हां, मेरे डॉक्टर्स ने मुझे एक्शन करने से मना किया था और पापा इस बात को लेकर टेंशन में रहते थे. मेरे लाइफ का एक्सपीरियंस रहा है, कि जब भी डॉक्टरों ने कहा कि मैं ये नहीं कर सकता, मैंने करके दिखाया है. मैंने कभी भी अपने करेज के सामने किसी की बात नहीं सुनी. मैंने देखा है कि बहुत सारे लोग हैं, जिनके लाइफ में मिरैकल होते हैं.मैं हमेशा सोचता हूं कि ये मिरैकल मेरे साथक्यों नहीं हो सकता. मुझे तो बस ढूंढ.ना है. साइंस ने तो बोल दिया कि आप अब नहीं कर पायेंगे, लेकिन मैंने ऑल्टेरेनेटिव ढूंढ.ना शुरू किया. कृष के दौरान भी मुझे डॉक्टर ने कहा तो मैंने बात नहीं मानी. मैंने कृष के किरदार से पॉवर लिया और सारे एक्शन किये. आपको आश्‍चर्य होगा कि मैंने अपनी लाइफ में इतना एक्शन कभी नहीं किया, जितना इस फिल्म में किया है. 80 दिनों तक लगातार बिना किसी ब्रेक के. मैं मानता हूं कि अगर आप किसी चीज को पाना चाहते हो और उसे पाने के लिए हरसंभव प्रयास करते हो, तो आपको वह चीज मिल ही जाती है. यह यूनिवर्स का इक्वेशन है. मैंने भी वही किया.

कई लोग कहते हैं कि आप ग्रीक गॉड की तरह दिखते हैं?

नहीं, मैं ग्रीक गॉड नहीं हूं. झूठी बात है. अभी-अभी मैं ग्रीक गया था और वहां मुझे किसी ने पहचाना तक नहीं.इससे साबित होता है कि मैं ग्रीक गॉड नहीं हूं

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