कमल हसन की फिल्म विश्वरूप को लेकर काफी विवाद हुआ. विवाद शुरू करनेवाले व इसके पक्षदारों का मानना था कि फिल्म एक धर्म की भावन को आहत पहुंचाती है. सिनेमा जगत में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा. यहां जब जब सच्चाई बयां करने की कोशिश की गयी है. वे फिल्में विवादित रही ही है. कई बार मामला पब्लिसिटी का होता है. लेकिन इस बार बेफिजूल विवाद को खड़ा किया गया. कमल हसन पर आरोप था कि उन्होंने अपनी फिल्म में मुसलिम प्रांत की गलत छवि प्रस्तुत की है. जबकि फिल्म के नायक खुद मुसलिम समुदाय के हैं. यह पहली बार नहीं हो रहा. इससे पहले शाहरुख खान की फिल्म माइ नेम इज खान को लेकर भी ऐसे ही मुद्दे उठाये गये थे. कुछ दिनों पहले शाहरुख खान के एक पत्रिका को दिये गये इंटरव्यू की वजह से भी काफी हंगामा बरपा. जबकि इस पत्रिका में प्रकाशित इंटरव्यू को किसी ने ध्यान से नहीं पढ़ा. दरअसल, हंगामा करना हमारी फितरत में शामिल हो चुका है. हमें लगता है कि शोर शराबा करने से हम कुछ हासिल कर लेंगे. लेकिन हकीकत यह है कि हमारा अत्यधिक उतावलापन हमारे लिए ही घातक साबित हो रहा है. ऐसा क्यों होता है कि हमेशा फिल्मों पर व किताबों पर ही प्रतिबंध लगाया जाता है. क्या इसकी वजह यह है कि कई बार ये दोनों ही माध्यम बेबाकी से अपनी बात कह जाते हैं. कमल हसन की फिल्म को जिस तरह एक बड़ा मुद्दा बनाया गया. अगर आप फिल्म देख कर इस पर बात करेंगे तो बेहतर होगा. एक फिल्म सेंसर से पास कर दी जाती है. जो फिल्में सेंसर की परीक्षा में पास है. वह अन्य लोगों की नजर में फेल कैसे? ऐसे में तो प्रश्नचिन्ह केवल कमल हसन पर नहीं, बल्कि पूरी सेंसर बोर्ड की टीम पर भी है न. दरअसल, सच्चाई यह भी है कि हम भारत में अब भी सिनेमा को सबसे पहले मनोरंजन का माध्यम मानते हैं. बाद में कुछ और. हमारी आदत फिल्मों में मसाला फिल्में देखने की हो चुकी है. सो, जब भी कोई ऐसी मुद्दे के साथ फिल्म आती है तो दर्शक उसे देखना या दिखाना पसंद नहीं करते. लेकिन विश्वरूप जैसी फिल्मों का आगाज भारतीय सिनेमा में होना ही चाहिए. यह फिल्म न सिर्फ तकनीकी रूप से बल्कि अभिनय क्षमता के रूप में भी हॉलीवुड की फिल्मों को टक्कर देती है. हमें उस पहलू से भी इस फिल्म को देखना चाहिए. कमल हसन बेहतरीन अभिनेता हैं और संवेदनशील भी. ऐसे में अगर वे कोई ऐसी फिल्म बना रहे हैं तो निश्चित तौर पर उसमें कोई तो बात होगी. बेवजह हंगामा करने की फितरत हमें बदलनी होगी.
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20130204
हंगामा बरपाने की फितरत
कमल हसन की फिल्म विश्वरूप को लेकर काफी विवाद हुआ. विवाद शुरू करनेवाले व इसके पक्षदारों का मानना था कि फिल्म एक धर्म की भावन को आहत पहुंचाती है. सिनेमा जगत में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा. यहां जब जब सच्चाई बयां करने की कोशिश की गयी है. वे फिल्में विवादित रही ही है. कई बार मामला पब्लिसिटी का होता है. लेकिन इस बार बेफिजूल विवाद को खड़ा किया गया. कमल हसन पर आरोप था कि उन्होंने अपनी फिल्म में मुसलिम प्रांत की गलत छवि प्रस्तुत की है. जबकि फिल्म के नायक खुद मुसलिम समुदाय के हैं. यह पहली बार नहीं हो रहा. इससे पहले शाहरुख खान की फिल्म माइ नेम इज खान को लेकर भी ऐसे ही मुद्दे उठाये गये थे. कुछ दिनों पहले शाहरुख खान के एक पत्रिका को दिये गये इंटरव्यू की वजह से भी काफी हंगामा बरपा. जबकि इस पत्रिका में प्रकाशित इंटरव्यू को किसी ने ध्यान से नहीं पढ़ा. दरअसल, हंगामा करना हमारी फितरत में शामिल हो चुका है. हमें लगता है कि शोर शराबा करने से हम कुछ हासिल कर लेंगे. लेकिन हकीकत यह है कि हमारा अत्यधिक उतावलापन हमारे लिए ही घातक साबित हो रहा है. ऐसा क्यों होता है कि हमेशा फिल्मों पर व किताबों पर ही प्रतिबंध लगाया जाता है. क्या इसकी वजह यह है कि कई बार ये दोनों ही माध्यम बेबाकी से अपनी बात कह जाते हैं. कमल हसन की फिल्म को जिस तरह एक बड़ा मुद्दा बनाया गया. अगर आप फिल्म देख कर इस पर बात करेंगे तो बेहतर होगा. एक फिल्म सेंसर से पास कर दी जाती है. जो फिल्में सेंसर की परीक्षा में पास है. वह अन्य लोगों की नजर में फेल कैसे? ऐसे में तो प्रश्नचिन्ह केवल कमल हसन पर नहीं, बल्कि पूरी सेंसर बोर्ड की टीम पर भी है न. दरअसल, सच्चाई यह भी है कि हम भारत में अब भी सिनेमा को सबसे पहले मनोरंजन का माध्यम मानते हैं. बाद में कुछ और. हमारी आदत फिल्मों में मसाला फिल्में देखने की हो चुकी है. सो, जब भी कोई ऐसी मुद्दे के साथ फिल्म आती है तो दर्शक उसे देखना या दिखाना पसंद नहीं करते. लेकिन विश्वरूप जैसी फिल्मों का आगाज भारतीय सिनेमा में होना ही चाहिए. यह फिल्म न सिर्फ तकनीकी रूप से बल्कि अभिनय क्षमता के रूप में भी हॉलीवुड की फिल्मों को टक्कर देती है. हमें उस पहलू से भी इस फिल्म को देखना चाहिए. कमल हसन बेहतरीन अभिनेता हैं और संवेदनशील भी. ऐसे में अगर वे कोई ऐसी फिल्म बना रहे हैं तो निश्चित तौर पर उसमें कोई तो बात होगी. बेवजह हंगामा करने की फितरत हमें बदलनी होगी.
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