20160711

किरदार ऐसे हों कि पांच साल भी याद रखें लोग मुझे : अनुष्का शर्मा


अनुष्का शर्मा पहली बार महिला पहलवान के किरदार में हैं. वे अपने इस नये अवतार से बेहद खुश हैं. फिल्म सुल्तान को लेकर वे चर्चे में हंै. पेश है अनुप्रिया से हुई बातचीत के मुख्य अंश

इस फिल्म में अपने किरदार की तैयारी आपने कैसे की?
मुश्किल तो था. चूंकि रेस्टलिंग में आप सामने से लड़ते हो. आपका चेहरा कभी किसी की आर्मफिट पर है. कभी कही हैं. कभी कमर में है.तो इन चीजों से आपको असहजता होती है. लेकिन मैंने इस असहजता को तुरंत दूर किया. अगर नहीं करती तो मैं फिर यह किरदार सही तरीके से नहीं निभा पाती. फिर मेरे मन में भी यह बात आयी कि मैं लड़की हूं और जो किरदार निभा रही. वह तो बहुत जोशिली है. सो, मैंने तय किया. जो भी अच्छे से परफॉर्म करूंगी ही. और फिर मैंने यह सब किया. तो मैंने अच्छे से यह सीख लिया. बाद में फिर मैंने भाषा सीखनी शुरू की. हरियाणवी सीखी. डायलॉग को मैं फोनेटिकिली लिखती थी. ताकि मैं जब उसे सीखूं तो वैसे ही सीखूं. मेरे लिए यह कठिन इसलिए भी हो गया था. चूंकि मुझे बहुत कम वक्त में सबकुछ सीख लेना था.मुझे छह हफ्ते से कम समय मिला इसके लिए.लेकिन जब फिल्म का पहला टीजर आया और लोगों ने कहा कि मैं किरदार में फिट दिख रही हूं तो मुझे लगा मेरी मेहनत सफल हो गयी.
यशराज फिल्म्स से ही आपने अपने करियर की शुरुआत की थी. फिर से यशराज की एक और फिल्म आप कर रही हैं. जब इस बैनर की फिल्म करती हैं तो क्या महसूस करती हैं?
मेरा सफर बहुत अच्छा रहा है.मेरे लिए यशराज घर जैसा है. मुझे यशराज ने अपने बैनर की सारी अच्छी फिल्में करने का मौका दिया है हमेशा. उनकी वजह से ही आज मैं यहां हूं. आदित्य ने उस वक्त मुझमें विश्वास जताया जब मुझ पर कोई विश्वास नहीं कर रहा था. खुद करन जौहर कहते आये हैं कि उन्होंने आदित्य को मना किया था कि वह मुझे कास्ट न करें बैंड बाजा में. लेकिन उन्होंने मुझे मौका दिया और बाद में धीरे-धीरे लोगों का यकीन मुझ पर जगा.
जो किरदार निभा रही हैं. उनसे वास्तविक जिंदगी में आप खुद कितनी प्रभावित हुई.
मैं काफी प्रभावित हुई. चूंकि यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसकी दुनिया गोल्ड मेडल पर आधारित है. वह ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतना चाहती है. उसे बहुत कुछ नहीं करना. तो ऐसे किरदार आपको प्रभावित करते हैं. आप फोक्स्ड होने की कला सीख पाते हैं. मैंने काफी कुछ सीखा है. साथ ही इसे महिला होने के नाते हर लिहाज से आपका मनोबल बढ़ता है. लड़की होने के बावजूद यह लड़की शादी व्याह के साथ अपना परिवार भी चलाती है और अपना काम भी भलिभांति संभालती है. यह सारी बातें मेरे लिए काफी मायने रखती है.यह एक सिंपल लेकिन बहुत प्यारी सी किरदार है.
सिनेमा कितना बदला है?
राइटर्स की भूमिका बढ़ी है. मेरा मानना है. अच्छी कहानियां अब लोगों को पसंद आने लगी है और अब प्रोडयूर्स भी चाहते हैं कि वे अच्छी कहानियां लेकर आयें. अच्छे स्टूडियोज लेकर आयें.बॉक्स आॅफिस पर भी अच्छी फिल्में बन रही हैं. बतौर एक्ट्रेस मुझे खुशी है कि मैं अच्छी फिल्में कर रही हूं. मुझे हर जगह दिखने में दिलचस्पी नहीं है. मेरे लिए एक्टिंग करना बहुत बड़ी बात है. मैं अच्छे किरदार निभा रही हूं. मैं  अपने किरदारों को दोहराना नहीं चाहती. मैं चाहती हूं कि पांच सालों के बाद अपनी फिल्मों को देखूं तो यह महसूस होना चाहिए कि हां, मैं कुछ ठोस काम किया और ठोस काम इसलिए कर रही, क्योंकि अच्छे आॅफर मिल रहे हैं.
क्या आप मानती हैं कि अभिनेत्रियों का करियर अच्छे काम करने के बावजूद एक वक्त के बाद थम जाता है. इसकी वजह आप क्या मानती हैं?
मुझे हमेशा इस बात से निराशा होती है कि लोग इस तरह की बातें क्यों करते हैं. कमबैक जैसी बातें क्यों करते हैं. कई बार तो हीरो भी ब्रेक पर जाते हैं. साल में उनकी फिल्में नहीं आती हैं. लेकिन फिर भी वे कामयाबी हासिल करते हैं. उनसे कोई नहीं पूछता. उनको कोई नहीं कहता कि यह उनकी कमबैक फिल्म है. मुझे याद है एक साल शाहरुख की कोई फिल्म नहीं आयी थी. लेकिन लोगों ने उन्हें भी कुछ नहीं कहा. अभिनेत्रियां किसी से कम मेहनत थोड़ी करती हैं और उन्हें उनका सम्मान मिलना ही चाहिए.
लड़कियों के लिए आपको क्या लगता  है रेस्टलिंग में कितनी संभावना है?
मेरा मानना है कि हरियाणा तो इसमें अग्रणिय रहा है. वहां काफी मौके मिलते हैं. लेकिन मैं चाहती हूं कि उन्हें और सुविधाएं मिले. स्कोप खुले. एक्पोजर मिले. तभी हम बेहतर काम कर सकते  हैं. लड़कियां तभी इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित होगी.
आपकी और कौन सी फिल्में आने वाली है?
मैं शाहरुख के साथ इम्तियाज की फिल्म कर रही हूं और ऐ दिल है मुश्किल करन की फिल्म है. और भी कई फिल्मों की स्क्रिप्ट पढ़ रही हूं.
अब प्रोडयूर बनने के बाद प्रोडयूसर बनने के कितने गुण आ गये हैं?
मैंने अब थोड़ा बॉक्स आॅफिस, बजट का गणित समझना शुरू किया है. बाकी तो भाई देखते हैं. संभालते हैं. क्रियेटिव स्तर पर काफी नया करने की कोशिश जारी रहती है.

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