रिद्धिमा पंडित को देख कर इन दिनों सास की चाहत यही है कि काश, हमारी बहू भी रजनीकांत बन जाये. अपने पहले ही शो से उन्होंने धमाल मचा दिया है. खासतौर से बच्चों को उन्होंने अपना प्रशंसक बना लिया है. लाइफ ओके के शो बहू हमारी रजनीकांत के लीक से हट कर विषय होने की वजह से इन दिनों दर्शकों को यह शो बेहद पसंद आ रहा है.रिद्धिमा रोबोट का किरदार निभा रही हैं. लेकिन वह अपने किरदार में रोबोटिक एकरसता नहीं ला रहीं. यही उनके किरदार की खूबी है. पेश है अनुप्रिया अनंत से रिद्धिमा की बातचीत के मुख्य अंश
आपके शो को काफी लोकप्रियता मिली है. आप इस सफर को किस तरह देखती हैं?
मैं बहुत खुश हूं कि एक अलग तरह का किरदार निभाने का मौका मिला है. सफर बहुत अच्छा रहा है. मैं पहले टीवी करने से डरती थी, कि पता नहीं कैसे करूंगी. इतना हार्ड वर्क है. मैं क्योंकि एड बैकग्राउंड से आती हूं. उसमें कभी काम मिल गया तो मिल गया. कुछ घंटों का काम होता. यहां पर जॉब जैसा है. लेकिन पहले डरती थी. अब तो इतनी सराहना मिल रही है कि मुझे काफी मजा आ रहा है. मेरे फैन्स बन गये हैं. यहां हर दिन कुछ नया करने को मिल रहा है. एक बड़ा प्लैटफॉर्म मिला है.
आपके किरदार रजनीकांत को देखें तो हर दिन उसमें भिन्नता दिखाई देती है.तो हर दिन अलग तरह से तैयारी करना कितना कठिन होता?
जो एक्टर चैलेंज लेने को तैयार हो. उसके लिए तो यह ड्रीम रोल है. जो एक्टर कतराता है. उसके लिए यह मुश्किल होगा. मेरे लिए भी कठिन है. इसमें व्वॉयस मॉडयूलेशन करना बहुत जरूरी है. और जब आप अंदर से महसूस करो कि अपने किरदार को बेस्ट देना है तो आप अच्छा ही काम करेंगी. मुझे इस किरदार को निभाने में मेरे निर्देशक मदद करते हैं.मेरे को-एक्टर में पल्लवी और करन बहुत मदद करते हैं. को एक्टर्स भी मदद करते हैं. हम सभी एक दूसरे को इंप्रोवाइज करते हैं.
एक्टिंग का सपना हमेशा से देखा था?
हां, मैं बचपन से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थीं. और पता नहीं मैं खुद में यह मान बैठी थी कि मेरे परिवार को शायद इस बात से हर्ज होगा. मैंने कभी उनसे चर्चा ही नहीं की.मैंने इसलिए जॉब किया था पहले. मैं आर्टिस्ट मैनेजर रह चुकी हूं. इवेंट्स मैनेज किये हैं मैंने. फिर एक दिन मैं अपने पिताजी के पास गयी और उनको बोला कि नादिरा बब्बर जी का एक थियेटर वर्कशॉप आ रहा है. और वह मैं करना चाहती हूं.तो पापा ने सपोर्ट किया. मां ने भी.मैंने वह वर्कशॉप ज्वाइन किया. फिर मैं उनके थियेटर गु्रप में काम करने लगी. फिर मैंने कुछ दिनों के लिए एक्टिंग छोड़ी भी थी. लेकिन एक्टिंग में ही मुझे जाना था. तो कुछ दिनों के बाद एड फिल्मों में काम शुरू किया और फिर बस मिलते गये अवसर.
आपका पहला प्रोजेक्ट कौन सा था?
एक डियोडरेंट का विज्ञापन किया था. और उसके बाद से लगातार मुझे आॅफर्स मिलने लगे थे और मैं फिर लगातार काम करती रही. टीवी के लिए हमेशा से मुझे आॅफर आते थे. लेकिन मैंने तय कर रखा था कि कुछ भी नहीं कर लेना है. अच्छे अवसर मिलेंगे और अच्छा किरदार कुछ हट के तभी करूंगी. मुझे कुछ अलग करके ही यहां आना है. और मुझे यह शो मिल गया.
जब शो की शुरुआत हुई थी तो कभी मन में संदेह था कि यह प्रयोगात्मक शो अगर कामयाब न हुआ तो क्या होगा?
नहीं मैं कभी शो को लेकर संदेह में नहीं रही. चूंकि शो का कांसेप्ट अलग है. बतौर आॅडियंस मैं इस तरह के शो जरूर देखना पसंद करूंगी. और अगर शो नहीं भी हिट होता तो मैं खुश होती कि जब लोग कुछ नये की बात करेंगे तो लोग मुझे रजनी के नाम से याद तो जरूर करेंगे. लेकिन खुशनसीब हूं कि लोगों को शो पसंद आ रहा है. खासतौर से बच्चे मेरे फैन्स बने हैं. इस बात की खुशी है. वे जब मुझसे मिलने आते हैं तो गौर से देखते हैं कि मैं किस तरह से बर्ताव कर रही हूं. मैं भी इनसानों की तरह ही हूं. लेकिन टीवी में तो अलग हूं तो उनकी दिलचस्पी देख कर अच्छा लगता.
रिद्धिमा में रजनी के कौन से फीचर्स हैं ही नहीं?
रिद्धिमा को दुख होता है. वह सेंसटिव है. रिद्धिमा को तो बहुत रोना आता है. रजनी की तरह उसके पास हर बात का सॉल्यूशन नहीं और रजनी डिप्लोमेटिक नहीं हो सकती. चूंकि मशीन है. इनसान नहीं हो सकता.
जब एक्टिंग नहीं कर रही होतीं तो क्या करना पसंद है?
परिवार के साथ वक्त बिताना और छुट्टियां अगर लंबी मिले तो ट्रैवलिंग करना पसंद है.
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